Homeतिलिस्मी कहानियाँ28 – जयदेव की जादुई शादी | Jaidev ki Jadui Shaadi | Tilismi Kahaniya

28 – जयदेव की जादुई शादी | Jaidev ki Jadui Shaadi | Tilismi Kahaniya

उत्तम सिंह- “मधु! कोई लाभ नहीं हुआ इतना कुछ करने का!”

हेमलता (उत्तम सिंह से)- ” मुझे माफ कर देना उत्तम,,, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया,,,, मैंने अपने जादू से ही तुम्हारे महल के कुछ लोगों को अपने जाल में फंसाया और उन से यह काम करवाया था…. इस में भानु की कोई गलती नहीं है…”

उत्तम- ” कोई बात नहीं हेमलता,,, मैंने तुम्हें माफ किया!”

और तभी हेमलता अपने प्राण त्याग देती है और देखते ही देखते उस का शरीर वहां से गायब हो जाता है।

करण- ” अपने आप को संभालिये महाराज ”

उत्तम सिंह (रोते हुए)- ” मैं ठीक हूँ । आप का बहुत-बहुत शुक्रिया आप ने हमारी बहुत मदद की है!”

करण- ” हम ने अपने मित्र होने का फर्ज निभाया है बस,,, अब आप दुखी मत होइए क्यूंकि आप इस राज्य के राजा हैं….और अब आप अपना राज धर्म निभाईये!”

उत्तम सिंह- ” तुम ठीक कहते हो …!”

वधिराज- ” तो ठीक है,,,,महाराज,, अब हम यहां से प्रस्थान करते हैं!”

उत्तम सिंह सभी को वहां से जाने की इजाजत देते हैं। सभी दोस्त उन्हें अलविदा कह कर वहां से चले जाते हैं।
थोड़ी दूर चलने के बाद सब रुक जाते हैं।

वधिराज- ” अब हमें यहां रुकना चाहिए,,क्योंकि अब हमें उज्जवल पुर की तरफ प्रस्थान करना होगा? ”

चिड़िया- “अच्छा तो किसी से आगे का रास्ता पूछने होगा।?”

वधिराज- “जी राजकुमारी!”

कर्मजीत- “यहां तो दूर दूर तक कोई राहगीर नही दिखाई पड़ता!”

करण- “थोड़ा विश्राम करो करण। कोई तो आ ही जाएगा!’

सभी मित्र बैठ कर आसपास के लोगों की प्रतीक्षा करते हैं तभी वहां से एक आदमी गुजरता है जिस ने अपने सिर पर चारा रखा हुआ था।

वधिराज उस आदमी को रोक लेता है।

वधिराज- ” मित्र क्या आप उज्जवल पुर का रास्ता जानते हो? ”

आदमी- ” अरे हां,,,अवश्य,,,मैं जानता हूं! आगे से पूर्व में जाना और फिर उत्तर दिशा की तरफ सीधे चलते जाना”

कर्मजीत- ” आप का बहुत-बहुत शुक्रिया मेरे मित्र!”

बुलबुल- “हाँ,,, शुक्रिया!”

वधिराज- ” तो ठीक है अब हम चलते हैं!”

करण- “हाँ,,, चलो!”

पर सब बहुत दूर चले पर भी वो उज्जवल पुर नहीं पहुंच पाते

बुलबुल- “कब आएगा ये उज्जवलपुर?”

कुश- “हां बहुत देर से चल रहे हैं। थक गए!”

लव- ” हमें लगता है कि उस व्यक्ति को उज्जवल पुर का रास्ता नहीं पता था!”

चिड़िया- ” हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। हम लोग इतनी देर से चलते जा रहे हैं लेकिन यहां पर तो कोई भी नहीं दिख रहा है,, और ना ही कोई घर दिख रहे हैं!!”

करण- “परंतु अब क्या करें?,, हमारे पास कोई रास्ता भी नहीं है। हमें आगे बढ़ कर देखना होगा!”

वधिराज- ” तुम सही कह रहे हो करण। चलो आगे बढ़ते हैं!”

सभी लोग थोड़ा आगे बढ़ते हैं और आगे बढ़ने पर उन्हें आभास होता है कि उन के चारों ओर बहुत बड़ा घेरा बन गया है।

कर्मजीत- “अरे यह क्या। हम इस घेरे में फंस गए हैं करण!”

वधिराज- ” छल है ये,, हमारे साथ छल हुआ है!!”

कर्मजीत- “हां तुम बिल्कुल सही कह रहे हो,,,, हमें इस घेरे से बाहर निकलने का प्रयास करना होगा!”

तो सभी लोग जैसे ही उस घेरे से बाहर निकलने का प्रयास करते हैं वैसे ही वहां पर एक स्त्री आ जाती है।

बुलबुल- ‘अरे यह स्त्री कौन है। कितनी अजीब है।”

लव- “और इस ने बहुत सारे जेवर पहन रखे हैं और उसके सींग भी निकले हैं।”

कुश- “साथ ही एक पूंछ भी है। देखो तो!’

स्त्री- ” तो तुम सब यहां पर मेरे विवाह के लिए आये हों? ”

सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

सुनहरी चिड़िया- “विवाह?? परंतु किस का विवाह?,, आप कहना क्या चाह रही है? ”

स्त्री- “क्या तुम लोगों को नहीं पता है कि यह मेरा इलाका है?,,, और जो भी मेरे इलाके में आता है उन के साथ क्या होता है? ”

शुगर- ” हमारी गलती माफ करना,,, हमें पता नहीं था कि यह आप का इलाका है!”

टॉबी- ” हमे माफ कर दीजिए!”

स्त्री- ” अब माफी का क्या फायदा? अब तुम लोग यहां प्रवेश कर चुके हो तो मेरी शर्तों को तो मानना ही होगा!”

वधिराज- ” शर्त??? भला कैसी शर्त????और हम आप की शर्त क्यों माने? ”

स्त्री- ” चलो तुम सभी को बता ही देती हूं… तो जो भी मेरे इलाके में आता है उन्हें मेरी एक शर्त माननी पड़ती है…और शर्त यह कि कोई एक लड़का जो कि मेरे राज्य में आया है और मुझे वह पसंद है….वह मुझ से विवाह करे।”

बुलबुल- “क्या~~~~~!”

स्त्री- “और मेरे साथ मेरे लोक मे चले,, अन्यथा वह अपनी जान से हाथ धो बैठेगा….और इतना ही नहीं , उस के मित्रों को भी मार दिया जाएगा। ”

सभी लोग स्त्री की बात सुन कर आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

चिड़िया- ” परंतु देवी यह तो अन्याय है,, किसी की रजामंदी के बगैर आप कैसे किसी से विवाह कर सकती हैं? ”

स्त्री (ज़ोर ज़ोर से हंसकर)- “हा हा हा, तुम इस की फिक्र मत करो,,, मुझे जो करना है मैं वो कर के रहूंगी!”

तभी करण गुस्सा हो जाता है और गुस्से में उस पर अपनी तलवार से वार करता है लेकिन उस पर तो करण की तलवार का कोई असर ही नहीं होता।

वधिराज- “ये एक मायावी स्त्री है करण। तलवार इस के आर-पार जा रही है!”

स्त्री- ” तेरा यह दुस्साहस,, तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी!”

और इतना कह कर वह अपना मुंह काफी बड़ा कर के खोल लेती है और करण के सिर को चबाने ही वाली होती है।

बुलबुल- ” रुक जाओ?,,, तुम्हें विवाह करना है ना? तो तुम उसे चुनो, जिस से तुम विवाह करना चाहती हो,,, परंतु हमारे मित्रों को चोट मत पहुंचाओ!”

स्त्री खुश हो जाती है और करमजीत की तरफ इशारा करती है।

स्त्री- “तो ठीक है,,, मुझे यह लड़का पसंद है,,बोलो करोगे मुझ से विवाह?!”

बुलबुल- “हाँ क्यों नहीं?,, करमजीत तुम्हें पसंद करता है। वह तुम से विवाह अवश्य करेगा क्योंकि तुम हो ही इतनी अच्छी!”

स्त्री उन की यह बात सुन कर बहुत ही खुश हो जाती है और हवा में यहां वहाँ उड़ने लगती है.

वहीं बुलबुल कर्मजीत को बीच-बीच में इशारा करती है जिस से कर्मजीत समझ जाता है कि यह कोई योजना है।

कर्मजीत- ” हां मैं तुम से विवाह करने के लिए तैयार हूं!”

स्त्री- “तो तुम्हे मेरे साथ नृत्य करना होगा। यह बहुत खुशी का समय है।

यह सुन कर स्त्री कर्मजीत के पास जाती है और उस के साथ नाचने लगती है।

बुलबुल- “आप सब कुछ सोचो अब। मैं नही जानती आगे क्या करना है!”

कुश- “तो तुम ने विवाह के लिए क्यों कहा उसे!”

बुलबुल- “हम सब की जान बचाने के लिए।”

करण- “हॉं बुलबुल। सही किया तुम ने!”

टॉबी- “देखो तो उसे कैसे विवाह की बात पर नचा रही है!”

सुनहरी चिड़िया- “करण! हमें सोनापुर की रानी कविता को बुलाना होगा,, इस मे वो हमारी सहायता कर सकती है!”

करण- ” ठीक है, राजकुमारी जी! जल्दी से उन्हें बुलाइये! अभी वह स्त्री व्यस्त हैं।”

तो सुनहरी चिड़िया मंत्र पढ़ती है और तभी रानी कविता वहां पर आ जाती है।
तो वहीं दूसरी ओर चिड़िया कविता को सारी बात बताती हैं और थोड़ी देर सोचने के बाद कविता सभी को एक उपाय बताती है।

कविता- “अब मैं अपना आकार छोटा कर लेती हूं और वधिराज के पीछे छिप जाती हूँ। ताकि वो स्त्री मुझे देख ना पाए!”

चिड़िया- “ठीक है कविता!”

और इस के बाद रानी कविता छोटी हो कर वधिराज के पीछे छुप जाती है

करण- “टॉबी तुम उस स्त्री के पास जाओ। उस की थोड़ी तारीफ करो!”

टॉबी- “ठीक है। चलो शुगर तुम भी मेरे साथ।”

शुगर और टॉबी उस स्त्री के पास जाते हैं और खुश हो कर उन का नृत्य देखने लगते हैं।

टॉबी- ” आप दोनों साथ में काफी अच्छे लग रहे हैं!”

स्त्री- ” बहुत-बहुत शुक्रिया!”

कुश- “मैं भी आ गया। तो चलो,,,विवाह की रस्म शुरू करते हैं!”

तो स्त्री अपनी जादू से अपने सामने एक दानव की मूर्ति ले आती है। वहां विवाह का सामान भी आ जाता है। और स्त्री अपनी आंखें बंद कर के कुछ मन ही मन में बोलने लगती है।और थोड़ी देर बाद आंखें खोल लेती है।

स्त्री- ” चलो कर्मजीत मुझे माला पहनाओ!”

तो कर्मजीत उस के कहने पर उसे माला पहना देता है।

उस के बाद वह स्त्री करमजीत में माथे पर एक लाल रंग का तिलक लगा देती है।

स्त्री- ” मैं तो बहुत ही प्रसन्न हूं ! आखिर आज मेरा विवाह हो गया है,,, तुम प्रसन्न हो ना??… करमजीत?!”

लेकिन कर्मजीत कुछ नहीं बोलता, वह तो एक टक बस किसी पेड़ को घूरे जा रहा था।

स्त्री- “कर्मजीत। कुछ तो बोलो।!”

बुलबुल- ” मैं भी बहुत प्रसन्न हूं!”

स्त्री- “तुम मत बोलो। मुझे उस के मुँह से सुनना है।”

और तभी अचानक से दूसरा करमजीत वहां पर प्रकट हो जाता है। दरअसल असली करमजीत ने उस मकड़ी जैसे दिखने वाले प्राणी के दिए हुए मोती का इस्तेमाल किया था जिस से वह गायब हो गया था और कोई भी उसे देख नहीं पा रहा था।

स्त्री- ” अगर तुम यहां पर हो तो यह मेरे बगल में कौन है? ”

और वह गुस्से से अपने पंजों को उस आदमी की तरफ करती है लेकिन उस का पंजा उस आदमी के आर पार हो जाता है।

तभी रानी कविता उस के सामने आ जाती है।

स्त्री- “यह कौन है!”

कविता- ” तुम कैसी स्त्री हो??…. तुम्हारा जिस के साथ विवाह हुआ है…उसी को मरना चाह रही हो? ”

स्त्री- ” मेरे साथ छल हुआ है,, और मैं अच्छे से परिचित हूं कि यह सब किस ने किया है,,, जरूर तूने ही इन सब की सहायता की होगी…. तू चिंता मत कर इन सब के साथ आज मैं तेरा भी खात्मा कर दूंगी!”

चिड़िया- ” यह तुम कैसी बातें कर रही हो?,,,, तुम्हारा विवाह हो चुका है… तुम्हें पत्नी व्रता रहना चाहिए,,,, भले ही वह कर्मजीत नहीं है, वह एक परछाई है,,,, लेकिन विवाह तो विवाह होता है!”

और वह स्त्री अपना मुंह बेहद विशाल आकार का कर लेती है लेकिन तभी वहां कर्मजीत की दूसरी परछाई उस के सामने आती है

कर्मजीत की परछाई- “ऐसा मत करो,, यह एक गलत कार्य है,,, और यह आदेश तुम्हारा पति दे रहा है!”

स्त्री- ” तू चुप हो जा,,, तू कोई व्यक्ति नहीं बल्कि तू एक छल है छल…एक परछाई है तू!”

परछाई- ” परंतु मैं तुम से बहुत प्रेम करता हूं और मेरा तुम से विवाह हुआ है,,,, इन सब के साथ गलत मत करो,,, तुम्हें प्रसन्न होना चाहिए कि तुम्हारे जीवन में कोई ऐसा आ गया है जो तुम से बेहद प्रेम करेगा!”

और इस तरह वह परछाई उसे अपनी बातों में फ़साने लग जाती है और वह स्त्री उस की बातों में आ जाती है।

बाकी लोग भी उस परछाई का साथ देते हैं।

स्त्री- “आप सभी सही कह रहे हैं,,, मेरा विवाह अब इन से हो चुका है,,,, आप ही मेरे पतिदेव हैं और आप का कहना मानना मेरा परम धर्म है!”

परछाई- ” तो ठीक है ! अब तुम इन सभी को यहां से जाने दे!”

स्त्री- ” आप सभी लोग यहां से जा सकते हैं!”

और इस तरह करण और उस के मित्रों को उस स्त्री से छुटकारा मिल जाता है।

सभी लोग वहां से चले जाते हैं।

सुनहरी चिड़िया- ” रानी कविता आप ने तो कमाल ही कर दिया!”

कविता- “हाँ, वह परछाई मेरे ही द्वारा उत्पन्न करी गई थी,,, जब उस स्त्री ने विवाह के दौरान मंत्र पढ़ने के लिए अपनी आंखें बंद की थी,,, उसी समय वह परछाई वहां पर आ गयी थी,, कुछ समय के पश्चात वह परछाई गायब हो जाएगी !”

लव कुश- “हा हा हा। वाह रानी कविता। बहुत बढ़िया किया आप ने!”

करमजीत- “बहुत बहुत धन्यवाद आप का रानी जी!”

और फिर सब खुशी खुशी अपने रास्ते पर बढ़ते जाते हैं।

तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का मज़ेदार सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।

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