Homeतिलिस्मी कहानियाँ20 – जादुई राक्षस की सेना | Jadui Rakshas ki Sena | Tilismi Kahaniya

20 – जादुई राक्षस की सेना | Jadui Rakshas ki Sena | Tilismi Kahaniya

तो सभी मित्र वहां से उस पुरुष को छोड़ कर जाने लगते हैं।

वधिराज- ” करण अब हमें और भी संभल कर चलना होगा नहीं तो इस से भी बुरा हो सकता है हमारे साथ!”

कर्मजीत- ” हां करण,,वधिराज बिल्कुल सही कह रहे हैं,,तुम्हें किसी भी अजनबी मनुष्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए,,!”

करण- ” नहीं करमजीत बात विश्वास की नहीं है बात है माया की,,, हम जिस सफर पर निकल पड़े हैं उस सफर में माया ही माया है।”

चिड़िया- “हां करण सही कह रहा है। ये सब तुम्हारे लिए नया है।”

करण- ” और हम सब तो एक साधारण मनुष्य हैं ना,,,हम सब तो इस बात से परिचित नहीं है ना कि जो हमारे सामने घटित हो रही है वह एक माया है या सत्य!”

सुनहरी चिड़िया- “हां करण तुम बिल्कुल सही कह रहे हो,, हमें किसी को भी देख कर अत्यंत व्याकुल नहीं होना चाहिए बल्कि सोच समझ कर उस की सहायता करनी चाहिए!”

बुलबुल- ” हाँ,, राजकुमारी चंदा आप बिल्कुल सही कहती हैं,,, माना कि सहायता करना एक अच्छी बात है लेकिन हम सच्चाई को भी तो नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं!”

सभी लोग वार्तालाप करते हुए जा ही रहे थे कि अचानक से डोबी की नजर राजकुमारी अप्सरा पर जाती है.. वह थोड़ी सी दुखी दिखाई दे रही थी.

डोबी- *बड़े प्यार से अप्सरा से)- ” क्या हुआ राजकुमारी अप्सरा,,, आप इतनी उदास क्यों लग रही हैं? ”

तभी सुनहरी चिड़िया समझ जाती है।

सुनहरी चिड़िया- ” हमें पता है,,, कि आप उदास क्यों है,,, आप को अपने माता-पिता की याद सता रही होगी,,,ना? ”

करण- ” अरे,,, राजकुमारी अप्सरा !! आप चिंता मत करिए,,, इसमें उदास होने की क्या बात है,, हम आप को अभी आप के परी लोक छोड़ आते हैं!”

परी अप्सरा- ” परंतु,,,, हमें आप की मदद करनी है!”

चिड़िया- ” ऐसी बात नहीं है राजकुमारी अप्सरा,,, आप ने हमारी बहुत सहायता करी है,, परंतु हम यह चाहते हैं कि अब आप अपने परी लोक वापस पहुंच जाएं और वहां परी लोक में सब की सेवा करें क्योंकि उन्हें भी अब आप की आवश्यकता है!”

और सभी लोग परी को समझाते हैं जिस से वह आखिरकार मान जाती है।

लेकिन वही डोबी इस बात से दुखी हो जाता है और रोता भी है।

डोबी- ” हम आप को बहुत याद करेंगे राजकुमारी अप्सरा!”

अप्सरा (डोबी के कंधे पर हाथ रखते हुए)- “हाँ,,, हम भी,,,,बहुत ही ज्यादा,, लेकिन तुम चिंता मत करो मैं तुम से बीच-बीच में मिलने आया करूंगी!”

डोबी- “सच्ची??? ”

अप्सरा- ” हाँ…डोबी!”

और इस के बाद सभी लोग परी की जादुई दरी पर बैठते है और उड़ कर परी लोक की तरफ चले जाते हैं।

थोड़ी देर में वे सभी परी लोक पहुंच जाते हैं।

और थोड़ी ही देर में परी लोक के सभी निवासी वहां पर आ जाते हैं।

परी अपने माता-पिता को देख कर बहुत खुश होती है और उन्हें गले से लगा लेती है।

परी की मां- “पुत्री,,,अप्सरा तू ठीक तो है ना? ”

अप्सरा- ” हाँ माँ,,, हम बिल्कुल ठीक हैं!”

लेकिन तभी अप्सरा के चाचा का लड़का मगन भड़कते हुए आता है।

मगन- ” झूठ मत बोलो अप्सरा,, हमें पता है कि तुम मुसीबत में रही होगी इन लोगों के साथ!”

और मगन गुस्से में करन और उसके साथी को न जाने क्या-क्या कह देता है।

करन- ” हमें माफ कर दीजिएगा,,, ”

अप्सरा मगन से – ” अब बस भी करो,, तुम उन्हें यह सब नहीं कह सकते!,,, ये काफी अच्छे लोग हैं!”

तो इन सभी में बहस हो ही रही थी कि अचानक से एक बड़े से बाज के ऊपर बैठ कर एक दानव आता है, जिस का रंग हरा था..।

परी लोग के सभी निवासी दानव को देख कर बेहद डर जाते हैं।

मगन- “देखिए,, चाचा चाची!! हम ने कहा था कि अप्सरा यदि हमारे लोक से बाहर जाएगी तो ऐसी समस्या जरूर आएगी और देखिए हमारी बात बिलकुल सत्य निकली!”

और तभी वो बड़ा दानव उस पक्षी से नीचे उतरता है और अपने हाथ को घुमाता है जिस से वहां पर उस की तरह कई सारे मानव आकार के दानव उत्पन्न हो जाते हैं।

सुनहरी चिड़िया- ” हे भगवान अब क्या होगा??,, यह तो हमारी ओर ही बढ़ रहे हैं। ”

कर्मजीत (अपनी तलवार निकालतें हुए)- ” राजकुमारी चंदा,,,,आप बिल्कुल भी चिंता ना करें,, हौसला रखिए,,सब ठीक हो जाएगा!”

और तभी लव, कुश, करण और बुलबुल अपनी-अपनी तलवार निकाल लेते हैं और उस दानव के सैनिकों से लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। वहीं परी लोक के महिला और पुरुष , सभी परियां सैनिक भी उन दानव सैनिकों से लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।

वधिराज- “आप सब इन सैनिकों को संभालो,,,, और मैं इस दानव को देखता हूं!”

करण- “अवश्य,,,वधिराज!”

और तभी वधिराज भी अपना आकार उस दानव जितना बड़ा कर लेता है।

उस समय वह दानव परी लोक की एक परी को अपने हाथ में उठाया हुआ था और वह उस की गर्दन मरोड़नें ही जा रहा था कि तभी वधिराज उस के चेहरे पर जोर का घूसा मार देता है।

वधिराज- ” छोड़ दे उसे,,, दुष्ट दानव!”

और वो परी उस दानव की हाथ से आजाद हो जाती है और उड़ कर दूर चली जाती है।

दानव- ” तुझे मैं जिंदा नहीं छोडूंगा!”

और इतना कह कर वह दानव वधिराज पर हमला करने लगता है और इस तरह दोनों में भयंकर लड़ाई होने लगती है।

वहीं दूसरी तरफ करन और उस के दोस्त उस दानव के सैनिकों से लड़ने में लगे हुए थे।

इसी बीच मगन भी और शैतानों से लड़ रहा है लेकिन वह काफी गुस्सा भी कर रहा है।

मगन (अप्सरा के माता पिता से)- “आप दोनों एक तरफ कहीं छुप जाइये।?”

अप्सरा की माता- “ठीक है मगन लेकिन हमें समझ में नहीं आ रहा कि यह सब क्यों हो रहा है? कैसे छुटकारा मिलेगा इस से।”

पिता- ” हम दुआ करते हैं कि जल्द ही सब ठीक हो जाए,, हे भगवान हमारी रक्षा करना!”

अप्सरा (अपने माता पिता से)- ” आप दोनों बिल्कुल भी चिंता ना करें,, हमें पता है कि सब ठीक हो जाएगा,,, करन और उसके मित्र हमें कुछ भी नहीं होने देंगे!”

मगन- “अरे अप्सरा अब तो उन की प्रशंसा करना छोड़ दो,,, तुम देख ही रही हो कि इन की वजह से आज हमारे परी लोक पर मुसीबत आन पड़ी है,,, अगर ये लोग ना होते तो शायद यह मुसीबत ना होती!”

माता- “हाँ अप्सरा,, अब तो मुझे मगन की बातें सही लगती है!”

और अप्सरा की माता की यह बात सुन कर मगन मन ही मन मुस्कुराता है।

और साफ पता चल रहा था कि उस के मन में कुछ था जिस के बारे में हमें बाद में पता चलेगा।

मगन (अप्सरा के माता-पिता से)- ” परंतु आप दोनों चिंता मत करिए। जब तक हम हैं तब तक आप दोनों को कुछ नहीं हो सकता!”

उसके बाद मगन जैसे-तैसे कर के उन दानवों से लड़ कर बचते-बचाते अप्सरा के माता और पिता को वहां से कहीं और सुरक्षित जगह पर ले जाता है।

तभी सुनहरी चिड़िया अप्सरा के पास आती है।

चिड़िया- ” हमें पता है राजकुमारी अप्सरा,, हमारे कारण आप को बहुत दुख उठाने पड़ रहे हैं,,, इस के लिए हमें क्षमा करिएगा!”

राजकुमारी अप्सरा- ” अरे राजकुमारी चंदा!! आप चिंता ना करें,, ऐसी कोई भी बात नहीं है,,,!”

तभी परी के पीछे से एक दानव सैनिक आ जाता है ।

सुनहरी चिड़िया उसे देख कर बहुत डर जाती है।

चिड़िया- ” राजकुमारी अप्सरा !! संभल कर,,,,,,,,!”

चिड़िया की यह बात सुन कर राजकुमारी घबरा जाती है और तुरंत पीछे मुड़ कर अपनी छड़ी गोल-गोल घूमाती है।
जिस से दानव पत्थर में बदल जाता है।

तभी इस बीच सुनहरी चिड़िया जब अप्सरा की तरफ देखती है तो उसे किसी अनहोनी की संभावना लगती है।

चिड़िया- “राजकुमारी अप्सरा आप के माता-पिता कहां है?? मुझे पता नहीं क्यों आप के माता पिता के कुछ दृश्य दिख रहे हैं!”

परी- ” क्या? ऐसा कैसे हो सकता है।वो तो मगन के साथ है!”

सुनहरी चिड़िया- ” कुछ तो गड़बड़ है,, हमें उन्हें ढूंढना होगा!”

और चिड़िया; अप्सरा के साथ,,,अपनी दिव्य शक्ति से उन दोनों को खोजतें हुए मगन के पास पहुंच जाते हैं।

कि तभी वे दोनों देखते हैं कि मगन 1 दानव में बदल चुका है और वो अप्सरा के माता-पिता को मारने ही वाला है।

अप्सरा- “ठहर जाओ,,,,!”

मगन- ” चिंता मत करो। इस के बाद मैं तुझे भी मारूंगा और यह राज्य मेरा हो जाएगा!”

और तभी चिड़िया समझ जाती है कि अब कुछ बुरा होने वाला है इसलिए वह जल्दी से करण को बुलाने के लिए चली जाती है।

लेकिन वहीं परी दानव बने मगन को अपनी छड़ी के द्वारा किसी मूर्ति में बदलने की कोशिश कर रही है लेकिन मगन बार-बार बचता जा रहा है।

Dialogue
मगन,” हा हा हा तुम्हें क्या लगता है मैं इतनी आसानी से हार जाऊंगा हाहा हा हा कभी नहीं!!!!”

कि तभी वहाँ करन भी आ जाता है और मगन से लड़ने लगता है लेकिन मगन उसे हराने लगता है। वहीं इसी बीच मगन राजकुमारी अप्सरा को अपनी जादुई शक्ति द्वारा पीड़ा देने लगता है।

राजकुमारी (अप्सरा दर्द मे)- “आहहहह आहहह आह!”

तभी वहां मगन के माता-पिता भी आ जाते हैं।

मगन के पिता- “बेटा ऐसा मत कर,, ये अन्याय क्यों कर रहा है तू?”

मगन की माता- “रुक जा बेटे!!”

मगन- ” आप को नहीं पता पिता जी। यह सब इसी लायक हैं,, आप दोनों मेरे रास्ते से हट जाइए,!”

और इतना कह कर मगन करण की तरफ एक धारदार तीर फेंकता है लेकिन मगन के पिता आगे आ जाते हैं जिस के कारण वो तीर उन्हे लग जाती है।

करण- “हे भगवान,,,,ये क्या हो गया?”

परी- ” देखो मगन,,,, तुम्हारे कारण तुम्हारे पिता की ये हालत हो गयी!,, यकीन नहीं होता हमें कि तुम इतना नीचे गिर जाओगे”

वहीं मगन अपने पिता की लाश के पास जा कर बहुत रोता है। और उसे अपने किये पर पछतावा हो रहा था।

दूसरी ओर अचानक से वो दानव और उस के सैनिक भी गायब हो गए थे। दरअसल वो दानव मगन के द्वारा ही भेजा गया था।

अप्सरा की माता- “मगन,,,, तू चिंता मत कर हम तेरे साथ है ना,, माना कि तूने गलत किया परंतु हम आशा करते हैं कि तुम्हें अब अपनी गलती का एहसास हुआ होगा!”

और मगन उन्हें गले से लगा लेता है और माफी मांगता है।

कर्मजीत- ” भगवान का शुक्र है कि सब ठीक हो गया!”

करण- “लेकिन एक मासूम आदमी की जान जाने के बाद।

खैर, अब सब सामान्य हो गया था। तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।

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