10 – राक्षस और खज़ाना | Rakshas aur Khazana | Tilismi Kahaniya
तो सभी मित्र थोड़ी देर वही पर रुककर उस बूढ़ी औरत के होश में आने का इंतजार करते हैं। थोड़ी देर बाद उस को होश भी आ जाता है और करण उन्हें सारी बात बता देता हैं कि उनके साथ क्या हुआ था।
करण: “तो चलिए। अब हम आपको तांगे तक ले चलते हैं।”
बूढ़ी औरत: “हाँ बेटा चलो! मुझे माफ़ कर देना बेटा। मैंने ये सब कर दिया तुम्हारे साथ।”
जयदेव: “नही नही! दादी माँ! इस में आपकी कोई गलती नही है। आप माफी मत मांगिये।”
करण: “हाँ! और अब आप हमें अपने घर का मार्ग बताइए। हैं। आपको वहां तक छोड़ कर आते हैं।”
बूढ़ी औरत: “नही बेटा! मेरा घर तो बिल्कुल पास में ही हैं। मैं चली जाऊंगी।”
करण: “ठीक है जैसा आपको ठीक लगे।”
बूढ़ी औरत (मुस्कुराते हुए): “बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे बच्चों, मेरा आशीर्वाद तुम सभी पर सदा बना रहेगा।”
विदुषी: “जी दादी जी! अभी हमें आपका आशीर्वाद मिल गया है तो हमारा सफर अवश्य सफल होगा धन्यवाद दादी जी, अब हम चलते हैं।”
करण: “प्रणाम दादी माँ, अब हमें चलना होगा!”
तो सभी मित्र दादी मां को प्रणाम करते हैं और अपने सफर के लिए आगे बढ़ जाते हैं।
सुनहरी चिड़िया: “अब हमें उत्तर दिशा की ओर चलना चाहिए लेकिन रास्ते मे एक मायानगरी है इसलिए हमें थोड़ा सावधानी से चलना होगा, वहां पर कुछ भी हो सकता है।”
करण: “ठीक है राजकुमारी जी!”
तो थोड़ी देर सफर करने के बाद वह लोग उसी मायानगरी में पहुंच जाते हैं। वो जगह काफी बंजर थी और दूर-दूर तक कोई व्यक्ति नहीं दिखाई दे रहा था। अगर कुछ दर्शित हो रहा था तो वह थे सिर्फ बड़े-बड़े पत्थर और सूखी जमीन।
तभी सभी को अचानक से एक आदमी की रोने की आवाज सुनाई देती है लेकिन यह पता नहीं चल पा रहा था कि वह आवाज कहां से आ रही है।
लव: “मित्रों जरा संभल कर आगे जाना!”
जयदेव और करण उस आदमी की आवाज का पीछा करते-करते एक जादुई स्थान पर पहुंच जाते हैं जहां पर बहुत सारा सोना रखा होता है।
वहां पर केवल सोना ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार की महंगी महंगी मूर्तियां और कीमती मोती और गहने भी थे, जिसकी चमक किसी को भी अपनी और आकर्षित कर सकती थी।
इतना सारा सोना देख कर दोनों हैरान हो जाते हैं और जयदेव सभी मित्रों को आवाज लगाकर वहां पर बुला लेते हैं।
सुनहरी नीली चिड़िया: “देखो दोस्तों!, ये एक मायानगरी है और हो सकता है कि यह किसी की चाल हो क्योंकि ऐसी माया नगरी मे तो विभिन्न प्रकार के राक्षस घूमते रहते हैं जो कि इंसान पर प्रहार करके उन्हें जिंदा ही अपना भोजन बनाना चाहते हैं।”
करण: “हाँ! इसलिए हमें थोड़ा संभल कर रहना होगा, इन सभी वस्तुओ पर पर हाथ नही लगाना कोई भी!”
लव: “अच्छा राजकुमारी चंदा! क्या मैं कुछ सिक्के भी नहीं उठा सकता है यहां से?”
सुनहरी नीली चिड़िया: “नहीं लव!, ऐसा करना किसी खतरे से खाली नहीं होगा क्यूंकि हो सकता है कि इसे स्पर्श करने मात्र से ही कोई राक्षस हमारे सामने प्रकट हो जाए।”
सभी लोग यह सब बातें करी रहे थे कि अचानक किसी के आने की आवाजें सुनाई देती हैं ।
तो करण और उस के सभी दोस्त एक बड़े से पत्थर के पीछे छुप जाते हैं।
करण (टॉबी से कहता है): “टॉबी, तुम चुपचाप रहना ठीक है नहीं तो वो लोग हम पर हमला कर देंगे!”
टॉबी: “अवश्य करण, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो!”
तो वहीं डाकू का सरदार जब इतना सारा सोना दिखता है तो वह खुशी के मारे पागल हो जाता है और जोर जोर से हंसने लगता है।
और इन लोगों को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि इन लोगों के सामने कौन सी मुसीबत अब आने वाली है।
डाकू का सरदार (खुश होते हुए): “आज तक मैंने अपने जीवन में इतना सारा सोना नहीं देखा! अब तो हम बहुत अमीर हो जाएंगे, अब हमें कई सालों तक किसी को भी लूटने की जरूरत नहीं पड़ेगी हा हा हा हा!”
उस राक्षस को देखकर सभी के पसीने छूट जाते हैं और सभी लोग डर के मारे वहां से भागने लगते हैं लेकिन वह राक्षस किसी को भी वहां से जाने नहीं देता है।
तभी वह अपना मुंह बड़ा सा खोल लेता है और उसमें से आग निकालने लगता है और जैसे ही करण ये देखता है वह अपनी उस जादुई अंगूठी का इस्तेमाल करता है और चारों और एक जादुई रक्षा कवच उत्पन्न हो जाता है।
तो जैसे ही वह जादुई रक्षा कवच उत्पन्न होता है वैसे ही उस राक्षस के मुंह के द्वारा फेंके गए उसके आग के गोले कवच से टकरा कर वापस लौटने लगते है।
कवच काफी बड़ा था और उसमें लगभग सभी लोग समा गए थे और यह देखकर वह राक्षस बहुत गुस्सा होता है। करण कवच को बनाए रखता है।
करण: “सब लोग यहां पत्थर के पीछे छुप जाओ। यह रक्षा कवच आपकी सहायता करेगा।”
वह उसके एकदम पास चला जाता है और जैसे जैसे राक्षस गुस्से में ज्यादा से ज्यादा आग बरसाता है, वह कवच से टकराकर उसी की ओर लौट जाती है और कुछ देर मे वह उससे जलने लग जाता है।
तो जैसे ही वह राक्षस की मृत्यु हो जाती है वैसे ही वहां पर रखा सारा सोना और जेवर गायब हो जाते हैं।
लव: “ये क्या ! सब कुछ गायब हो गया। एक सिक्का भी नही बचा।”
सुनहरी चिड़िया: “हां! मैने तो तुम से पहले ही कहा था कि ये मायानगरी है। यहां सब एक जाल होता है।”
तो वहीं दूसरी और करण और उसके मित्रों की बहादुरी को देखकर सभी डाकू बड़े अचंभित हो जाते हैं।
टॉबी: “करण, तुम ठीक हो ना?”
करण: “मैं बिल्कुल ठीक हूं और आप सब ठीक है ना!”
जयदेव ओर उसके सभी मित्र: “हाँ, हम ठीक है!”
डाकू का सरदार: “आपने हमारी जान बचाई! इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे मित्र! आप बताइए हम आपकी किस तरह सहायता कर सकते हैं।”
तभी उनमे से एक डाकू गुस्से मे आ कर तलवार निकाल लेता है। और करण के सभी दोस्त सब घबरा जाते हैं।
तो अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि क्या उस राक्षस का वाकई में खात्मा हो चुका है या वह फिर से उत्पन्न हो जाएगा?