Homeतिलिस्मी कहानियाँ02 – लड़ाकू चिड़िया | Ladaku Chidiya | Tilismi Kahaniya

02 – लड़ाकू चिड़िया | Ladaku Chidiya | Tilismi Kahaniya

लव कुश के घर में अफरा-तफरी मची हुई है और अब करण उस हट्टे-कट्टे आदमी से लड़ने वाला है।

आदमी: “चल आजा मैदान में देखते हैं कौन जीतता है? जीतूंगा तो मै ही। हा हा हा”

बस इस आदमी के इतना कहते ही दोनों में लड़ाई शुरू हो जाता है। करण के सामने वह आदमी थोड़ी देर भी नहीं टिक पाता है और वो हार जाता है।

कुश: “उस आदमी को तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि करण जैसे साधारण दिखने वाले लड़के के पास इतनी सारी शक्ति कैसे आई। उसे करण की शक्ति का अंदाजा ही गया और वह लव के सारे घड़े वही छोड़कर भाग गया।”

विदुषी (हंसते हुए बोलती है): “वाह करण वाह! तुमने तो कमाल ही कर दिया। मुझे पता था कि तुम ही जीतोगे।”

लव के पिता: “करण ने वो काम कर दिखाया है, जो गांव के किसी बड़े आदमी ने भी नहीं कर पाया। वाह बेटे!”

लव की माँ: “बेटा! तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया। तुमने बचा लिया।”

वहीं दूसरी और लव और कुश भी बहुत खुश होते हैं और करण के ऊपर गर्व कर रहे होते हैं। तभी वहां पर कर जयदेव भी आ जाता है और सभी दोस्त उसको बताते हैं कि वहां पर क्या-क्या हो रहा था।

थोड़ी देर बातचीत करने के बाद करण अपने घर में चला जाता है। उस रात करण को पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही थी, उसे बार-बार कुछ दिनों से कोई सपना था जो कि दिखाई दे रहा था और सपने में उसे सब कुछ धुंधला-धुंधला सा ही दिख रहा था, उस दिन वह बड़ी मुश्किल से ही सो पाता है।

तो थोड़ी देर बाद सुबह हो जाती है और उसकी आंख खुल जाती है। दिन में जब वह घड़े बना रहा होता है तो उसके सारे दोस्त उसके घर पर आ जाते हैं।

जयदेव: “अरे करण, तुम्हें आम बहुत पसंद है ना? अरे चलो रामपुर गाँव के बगीचे में बहुत सारे आम लगे हुए हैं। चलो, अभी मेरे साथ। वहां से ढेर सारे आम तोड़ कर लाएंगे।”

लव और कुश: “सुना है बहुत बड़े-बड़े और पके हुए आम लगे हैं वहां।”

विदुषी: “मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है अब। चलो करण जल्दी चलो क्योंकि घर भी वापस जल्दी आना है।”

करण: “अच्छा ठीक है ठीक है चलो चलो।”

करण और उसके दोस्त जिस गांव में रहते थे उसका नाम जगतपुर था और जयदेव जिस गांव में जाने के लिए कह रहा था- उस गांव का नाम रामपुर था। दोनो गांवों के बीच मे एक जंगल था।

करण का पालतू कुत्ता टॉबी भी उस के साथ होता है।

यह पहली बार नहीं था कि सभी दोस्त लोग रामपुर गांव के बगीचे में जा रहे थे। वे कई बार जा चुके थे। क्योंकि गर्मी का मौसम था और बगीचे में बहुत सारे पीले पीले आम लगे हुए थे इसीलिए सभी दोस्त वहां पर जाने का सोचते हैं।

विदुषी: “अब तो मैं बहुत सारे आम खाऊंगी! हा हा हा हा।”

करण: “अरे विदुषी खा लेना और अपने माता-पिता को भी खूब खिलाना।”

सभी दोस्त अपनी धुन में जंगल को पार करते हुए रामपुर गांव की ओर जा रहे थे की तभी करण को ऐसा लगता है कि कोई उसका नाम ले रहा है। ये आवाज जंगल की बाईं ओर से आ रही थी।

करण ( चौकते हुए): “अरे दोस्तों तुम सभी ने वो आवाज सुनी? मुझे पता नहीं क्यों जंगल की बाई ओर से किसी की आवाज आ रही है। ऐसा लग रहा है जैसे कि वह मुझे बुला रहा हो।”

विदुषी: “मुझे तो कुछ नही सुनाई दिया।”

करण: “मुझे लगता है कि हमें वहां जाकर देखना चाहिए क्या पता कोई मुसीबत में हो?”

जयदेव: “तुम सही कहते हो करण! चलो हम लोग चलते हैं।”

तो सभी दोस्त बाईं और जाने लगते हैं और जैसे-जैसे वे लोग आगे बढ़ते हैं। वह आवाज और भी तेज हो जाती है। आवाज तेज हो जाने के कारण सभी दोस्त उस आवाज का पीछा करते हुए एक आदमी के घर पहुंच जाते हैं।

टॉबी (कुत्ता) उस तरफ देख कर भौंकने लग जाता है।

करण: “लगता है यही से आ रही है आवाज! दोस्तों तुम लोग धीरे धीरे बोलना ज्यादा आवाज मत करना क्योंकि पता नही अंदर कुछ भी हो सकता है।। विदुषी, लव और कुश तुम सभी यही बाहर रुको। मैं और जयदेव अंदर जाकर देखते हैं।”

तो दोनों दोस्त बाकी दोस्तों को बाहर छोड़कर घर के अंदर दबे पांव जाते हैं।

उस आदमी के घर के अंदर बहुत सारी विभिन्न प्रकार की चिड़ियां पिंजरे के अंदर कैद थीं और देख कर तो ऐसा लग रहा था कि वह आदमी चिड़िया को गांव में ले जाकर बेचता है।

लेकिन ऐसा क्या हो गया था कि वह उस सुनहरी नीली चिड़िया को मारने के लिए आतुर हो गया था?

तो जब वे अंदर जाते हैं तो अंदर का नजारा देखकर उनके होश उड़ जाते हैं वे देखते हैं कि एक आदमी एक बेहद सुंदर चिड़िया जिसका रंग सुनहरा नीला था का गला मरोड़ने ही जा रहा था।

साथ ही साथ वो ये भी देखते हैं कि वह चिड़िया बोल सकती थी और वह उस आदमी से अपनी जान की भीख मांग रही थी।

चिड़िया: “मुझे जाने दो। मुझे मत मारो।”

करण (गुस्से में): “ओ बेरहम इंसान, छोड़ दे उस चिड़िया को।”

जैसे ही वह आदमी करण की आवाज सुनता है वह उसकी तरफ गुस्से से देखने लगता है।उस आदमी की आंख का रंग बिल्कुल नीला था और उसके पास विचित्र शक्ति भी थी।

वह अपनी आंखों से कुछ इशारा करता है और उसके घर में रखे हुए सारे चिड़िया के पिंजरे अपने आप खुल जाते हैं जिससे सारी चिड़िया पिंजरों के बाहर अपने आप निकल आती हैं।

आमतौर पर तो चिड़िया खूंखार नहीं होती है लेकिन ऐसा लग रहा था कि वे सभी चिड़िया साधारण नहीं थी क्योंकि वह सारी चिड़िया जैसे ही पिंजरे से बाहर निकली तो वो जयदेव और करण के ऊपर हमला करने लग गई।

तभी करण को वहां पर एक पुरानी तलवार दिखाई देती है। वह उस पुरानी तलवार को उठाता है और उसी तलवार से सभी पक्षियों को मार गिराना शुरू करता है।

अंदर हल्ला-गुल्ला सुनकर उसके बाकी के दोस्त भी घर के अंदर आ जाते हैं।

अंदर का नजारा देखकर उनके होश उड़ जाते हैं और वे जयदेव की मदद करने लगते हैं।

वे सभी वहां पर पड़े हुए कुछ लकड़ियों के डंडे को उठाते हैं और उसकी सहायता से अपना बचाव करने लगते हैं क्योंकि उस घर के सारे पक्षी बड़े खूंखार हो गए थे और सभी को मारने के लिए आतुर हो गए थे।

तभी मौका देखकर करण उस आदमी से लड़ने लगता है। क्योंकि करण को पहले से ही तलवारबाजी आती थीं इसलिए वह उस आदमी को घायल करने में सफल हो जाता है और उस सुंदर सी सुनहरी नीली चिड़िया को अपने हाथ मे उठा लेता है।

करण: “दोस्तों, मैंने इस जादुई चिड़िया को पकड़ लिया है, जल्दी चलो यहां से अब।”

और सभी दोस्त वहां से जंगल की ओर भागने लगते है।
तभी वह आदमी फिर से अपनी नजरों को घुमाता है और उन सभी मृत चिड़ियों को फिर से जिंदा कर देता है। साथ साथ वह उन सब का पीछा भी करने लगता है।

वह आदमी: “ये दुस्साहस करना तुम सभी को महंगा पड़ेगा!”

जयदेव: “दोस्तों और तेज दौड़ो, नहीं तो हम सब मारे जाएंगे।”

अब अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि क्या करण अपने सभी दोस्तों को बचा पाएगा? और उस चिड़िया के बोलने का क्या कारण था?

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