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मईया व नईया खुल्लर को उपदेश – साखी श्री गुरु राम दास जी

मईया व नईया खुल्लर को उपदेश

एक दिन गुरु साहिब जी का दीवान सजा था| गुरु जी स्वयं भी उसमें विराजमान थे| सभी गुरु जी से अपनी शंकाओं का निवारण कर रहे थे|

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तभी जापा मईया व नईया खुल्लर ने प्रार्थना की कि महाराज! हमें अपने ऐसे उपदेश से कृतार्थ करें कि हम गृहस्थ में रहते हुए भी अपना उद्धार कर लें| गुरु जी कहने लगे, भाई| आप उठते-बैठते निरंतर वाहिगुरू का जाप करें| आप काम-काज करते हुए भी अपनी लिव इस निरंकार प्रभु से लगाएं रखें| बार-बार यह विचार न करें कि इसमें गुरु जी हमें क्या आज्ञा करते है और हमें क्या करना चाहिए? अपना मन बुराई से मोड़े| अहम का भाव त्यागकर नाम का जाप करें| शरीर से काम, क्रोध को दूर करो| हृदय को प्रभु नाम रूप में लगा कर रखें| इस उपदेश को धारण कर लें| उपदेश को धारण करने से आप को मुक्तिपद प्राप्त हो जाएगा|

 

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