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महानन्द व बिधी चन्द को उपदेश – साखी श्री गुरु राम दास जी

महानन्द व बिधी चन्द को उपदेश

एक दिन भाई महानंद व बिधी चन्द गुरु जी के पास आए| उस समय गुरु साहिब के दोनों समय कथा कीर्तन और उपदेश के दीवान लगते थे|

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तभी भाई महानन्द जी व बिधी चन्द जी ने प्रार्थना की कि महाराज! हमारे जन्म-मरण के बन्धन किस प्रकार कट सकते हैं? गुरु जी कहने लगे कि पहले आप अपना आप पहचानो, जिस से तुम्हारा यह जन्म मरण कट जाएगा| यह शरीर नश्वर है, झूठा है| यह आप नहीं है, आप तो वह है जो न कभी मरता है और न ही मारा जा सकता है| आप चेतन स्वरूप है|

इस चेतन स्वरूप को जानो| उन्होंने कहा महाराज! हमें चेतन स्वरूप की पहचान कैसे हो सकती है?

गुरु जी कहने लगे श्रद्धा व प्रेम के साथ संगत किया करो| गुरु के सिक्खों की सेवा भी किया करो| कथा-कीर्तन सुनो| गुरुबाणी पढ़ा व सुना करो| दुःख-सुख में सदैव ही स्थिर रहो| आप इस तरह पथ का पालन करोगे तो आप स्वयं ही अपने चेतन स्वरूप से अवगत हो जाओगे|

 

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