श्री गुरु अमरदास जी का हुक्मनामा जारी करना – साखी श्री गुरु अमर दास जी
एक दिन श्री गुरु अमरदास जी के समक्ष भाई पारो ने प्रार्थना की कि महाराज! आप जी के दर्शन करने के लिए संगत दूर-दूर से आती है|
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अलग-अलग समय पर आने के कारण सिक्खों का आपस में मेल नहीं हो पाता| आप जी एक दिन नियत कर दें जिस दिन संगत इकट्ठी हो| इससे एक-दूसरे में प्रेम भावना व सिक्खी सम्बन्ध बढ़ेगा| गुरु जी ने कहा कि आपके भाव उत्तम है| उन्होंने हुक्म किया कि संगत को पत्र लिख दो कि वैसाखी वाले दिन यहां आएं| गुरु जी की आज्ञा से हुक्मनामे जारी किए गए| जिन को पढ़-कर संगते दूर-दूर से चलकर गोइंदवाल आ गई| अटूट लंगर बिना जात-पात व भेदभाव के पंगत में बैठाकर संगत को बटने लगा| इससे संगतों में आपसी प्यार व मेल-मिलाप बढ़ा|
इस प्रकार गुरु जी के हुक्म से गोइंदवाल में तब से वैसाखी का मेला लगता आ रहा है|
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