मुक्ति का रहस्य – साखी श्री गुरु अमर दास जी
एक दिन श्री गुरु अमरदास जी के पास खान छुरा बेगी पासी नंद सूदना झंडा आदि कुछ सिक्ख इकट्ठे होकर गुरु जी के पास पहुंचे|
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उनमें से सिक्खों ने गुरु जी से प्रश्न किया कि मुक्ति किस प्रकार सम्भव है? गुरु जी ने उत्तर दिया कि यह कलयुग का समय है| पहले युगों में यज्ञ आदि किए जाते थे| इन यज्ञों का मकसद देवताओं की खुश करना होता था| परन्तु आज के समय में संतो-महात्माओं को घर में बुलाकर भोजन देने या कराने से यज्ञ के बराबर ही फल प्राप्त होगा| प्रेमा भक्ति का आश्रय लें| वाहिगुरू का नाम हृदय में बसाएं|
गृहस्थ में रहते हुए सभी सुखों को भोगते हुए भी ऐसा ही फल प्राप्त होगा जिस प्रकार वन में तप करके प्राप्त होता है | इसके लिए जरूरी है कि आपका ध्यान इस परमात्मा से जुड़ा हो| संतों को श्रद्धा-भाव से भोजन कराना व उनसे असीस लेना कई फलों की भागीदार बनाता है| गुरु जी के ऐसे बचन सुनकर सिक्ख निहाल हो गए|
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