श्री गुरु अमरदास जी की दास भावना – साखी श्री गुरु अंगद देव जी
श्री गुरु अंगद देव जी के सुपुत्र दासू और दातू श्री अमरदास की महिमा दूर-दूर होते देख ईर्ष्या से भर गए| वे गुरुगद्दी संभालने के लिए गोइंदवाल चल पड़े|
श्री गुरु अमरदास जी की दास भावना सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio
गुरु साहिब संगत में गद्दी पर विराजमान थे| परन्तु दातू ने बड़े ही गुस्से से गुरु जी की पीठ पर लात मारी, जिसके कारण वह गद्दी से गिर पड़े| दातू अभी कुछ ओर करते, श्री गुरु अमरदास जी दातू का पैर पकड़ कर दबाने लगे और कहने लगे कि मेरा शरीर वृद्ध होने के कारण कठोर है, आप जी के कोमल चरण को चोट न लगी हो| आप मुझे दबाने दें| आप मेरे गुरुदेव के बेटे हैं|
मुझे उठकर आप का आदर करना चाहिए था| मुझे माफ करे| मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई है| यह कहकर श्री गुरु अमरदास जी अपने निवास स्थान पर आ गए| दातू जी गुरु की गद्दी पर बैठ गए| दूसरे दिन जब कोई सिक्ख दातू जी के पास भेंट लेकर माथा टेकने न गया तो शाम के समय उदास होकर कीमती समान व इकट्ठी माया को खच्चर पर लादकर खडूर को चल पड़े| रास्ते में रात के समय यह सब कुछ चोरों ने लूट लिया| दातू जी को खाली हाथ ही खडूर पहुंचना पड़ा| इसके अतिरिक्त एक बात और हुई कि जो टांग दातू जी ने गुरु जी को मारी थी उस में भी काफी दर्द शुरू हो गया|
Khalsa Store
Click the button below to view and buy over 4000 exciting ‘KHALSA’ products
4000+ Products