सांई बुढण शाह के पास मिलने जाना – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी सतलुज नदी को पार करके सांई बुढण शाह के पास पहाड़ी स्थान पर पहुंच गए| इस वृद्ध फकीर के पास शेर और बूढ़ी बकरियां थी| उसने अपना एकांत में रहकर भक्ति का कारण बताया कि संसार में भ्रमण करके भक्ति नहीं हो सकती|
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फकीर से ऐसी बात सुनकर गुरु जी कहने लगे सांई जी! सबसे बड़ा एकांत आवास यही है – पुरुष एक मन होकर सत्य का संग करे| सत्संग में प्रभु के प्यार वाले अनमोल मोती रूपी बचनों को सुनकर अपना जीवन ऊंचा करे| बुढण शाह ने गुरु जी को अपने पास सदा टिकने की बिनती की| परन्तु गुरु जी ने कहा कि शरीर करके संगत सदा स्थिर नहीं रह सकती| आप हमारा उपदेश, नाम स्मरण सदा अपने पास रखो|
बुढण शाह ऐसे बचनों को सुनकर खुश हुए| आप जी की याद में यहां गुरुद्वारा चरण कमल करके प्रसिद्ध है|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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