मुल्ला के पास पढ़ाई करनी – साखी श्री गुरु नानक देव जी
पांधे गोपाल से पढ़ाई करके बाबा कालू ने आपको फारसी पढ़ने के लिए मुल्ला घुतवदीन के पास भेज दिया| मिष्ठान व कुछ नकदी समान भेंटा के रूप में आप साथ ले गए|
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पिता ने मुल्ला जी से कहा कि ये प्यार से पढ़ते हैं, इन्हें प्यार से ही पढ़ाना| कुछ दिनों के पश्चात् आप एक वृक्ष के नीचे चादर ताणकर चुप चाप लेट गए| किसी भूत प्रेत की छाया समझकर आप मुल्ला जी को साथ ले आए|
मुल्ले ने दुआ कि हे नेक बालक| अपने चुपचाप लेटे रहने का कारण बताएं| खुदा के लिए आप अपने मन की बात हमें बताएं| तब गुरु जी तिलंग राग में बोले कि हे मुल्ला जी! मैं यह दुनिया नाश्वान मानकर मौत से भयभीत रहता हूं| इसलिए मेरी यह दशा है| मुल्ला जी कहने लगे, आप अभी बच्चे हैं| आपको ऐसी बातें नहीं सोचनी चाहिए| स्त्री-पुत्र का सुख प्राप्त करो| अभी तो आपको संसार के सुखों को भोगना है|
गुरु जी ने उत्तर दिया मुल्ला जी! मौत कभी भी आ सकती है, मन को विकारों से मोड़कर परमात्मा के आगे विनयशील रहना चाहिए| मुल्ला ने कहा आपकी बात मन को प्रभु स्मरण लगाना अच्छी बात है परन्तु आपके माता-पिता व सम्बन्धी आपकी दशा पर चिंतित है| आप उठकर घर जाएं व काम-काज करके सबको प्रसन्न करे गुरु जी ने उत्तर दिया, मुल्ला जी! किसी भी स्त्री-पुरुष ने अंत समय साथ नही देना, इसलिए परमात्मा को भूलना नहीं चाहिए|
मुल्ला से गुरु जी कहने लगे – पुरुष नेकी को त्याग कर रात-दिन बुरे विकारों में घूमता है| मेरा भी यही हाल है| मेरी प्रशंसा न करे| मुल्ला जी कहने लगे कि जिन का मन सदा ईश्वर के रंग में रंगा रहता है, उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता| गुरु जी एकदम बोले कि मैं अभाग्यशाली, ईर्ष्यालु व भुल्लकड़ हूं| मैं तो प्रभु का सेवक हूं और उनके दासों की चरण-धूलि चाहता हूं| आपके वचनों को सुनकर मुल्ला गदगद हो गए व आपसे क्षमा मांगी|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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