हमीद कारूँ जी नसीहत देनी – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी रोम देश के सुलतान हमीद कारूँ को मिले| उसने बड़ी कंजूसी से ४० गंज दौलत इकट्ठी की हुई थी|
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कारूँ ने कबरों से मुर्दे निकाले व उनके मुंह से भी पैसे निकाल लिए| कारूँ के राज में कोई घर में अपने पास पैसा नहीं रख सकता था| एक दिन श्री गुरु नानक देव जी कारूँ के महल के आगे बैठकर ठीकरीयां इकट्ठी करने लगे| कारूँ ने पूछा, पीर जी! इन ठीकरीयों का क्या करोगे? गुरु जी ने स्वाभाविक ही वचन कह दिया कि हम इसे इकट्ठी करके परलोक में साथ लेकर जाएंगे| कारूँ ने कहा, हे दरवेश! हमारा शरीर भी हमारे साथ नही जाता वहां आपकी ठीकरियां क्या साथ जाएगी? अन्त समय एक तिनका भी साथ नहीं जाता| गुरु जी हंसने लगे व कारूँ से बोले – हे बादशाह! तुम लोगों पर जुल्म करके 40 गंज धन इकट्ठा किए हो, यह तुम्हारे साथ कैसे जाएगा?
लोगो पर किए जुल्म से तुम नर्कों में दुःख पाओगे| अगर तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यह पाप की कमाई गरीबों में बांट दो| गुरु जी का यह वचन सुनकर कारूँ का मन पिघल गया| वह अपने ही पापों को याद करके कांप उठा| गुरु जी को कहने लगा कि मैं धन के लालच में तृष्णा की नदी में बहता जा रहा था| आप की कृपा से में इससे निकला हूं|
मुझे खुदा का रास्ता बताओ जिस पथ को ग्रहण करके मेरा पार उतारा हो जाए| पश्चाताप भरे शब्दों को सुनकर गुरु जी ने कहा यह 40 गंज खजाना जो तुमने पाप से इकट्ठा किया है प्रभु के नाम पर गरीबों को बांट दो| अहंकार से रहित होकर प्रभु की बंदगी करो| गुरु जी के वचनों को मानकर कारूँ ने सभी खजाने गरीबों में अनाज-कपड़े के रूप में बांट दिए| इससे लोग शान्ति से रहने लगे|
कारूँ ने गुरु जी के चरणों पर नमस्कार करके कहा कि आप ने मुझ जैसे भूलण-हार को सदमार्ग पर डाला है| आपकी बड़ी कृपा है| कुछ दिन यहां विश्राम करके कारूँ को आनन्दित करके गुरु जी आगे की ओर चल पड़े|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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