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गुरु जी को गोपाल पांधे के पास पढ़ना – साखी श्री गुरु नानक देव जी

गुरु जी को गोपाल पांधे के पास पढ़ना

बाबा कालू जी ने शुभ दिन वार पूछ कर आपको नए वस्त्र पहना कर पांधे के पास भेज दिया| आप उनके लिए कुछ नकदी व मिष्ठान भी साथ लेकर गए|

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महिता कालू जी गोपाल पांधे के साथ हिन्दी पढ़ाने की बात पक्की करके घर आ गए| पांधा भी गुरु जी को बुलार के पटवारी कालू चन्द का पुत्र समझ कर बड़े प्यार से पढ़ाने लगा| आपकी स्मरण शक्ति को देखकर पांधा प्रशंसा करते व कालू जी को बताते कि आपका पुत्र कितना होनहार है|

एक दिन श्री गुरु नानक देव जी पांधे से कहने लगे पांधा जी| यह बन्धन रूपी लेखा अब मुझसे वही पढ़ा जाता| आप मुझे यमों के बन्धन से मुक्त होने को लेखा बताएं| आपने वहां शब्द का उच्चारण भी किया|

आपके विचार सुनकर पांधे ने कहा कि आपके विचार उत्तम है| नाम जपने वालों को गरीबी की दशा में देखा जाता है| मरना भी सबका समान होता है| पांधा जी! ज्ञानी व अज्ञानी के मरने में अन्तर है| अज्ञानी पुरुष चिन्ता व शोक के साथ कई विषय विकारों को साथ लेकर मरते है, मगर ज्ञानी व्यक्ति परमात्मा को अंग संग देखते हुए व यमों से निर्भय होकर शरीर त्यागते है| आप जी के वचन सुनकर पांधे ने हाथ जोड़कर आपसे क्षमा मांगी|

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गुरु जी