HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 58)

एक भिखारी था| वह न ठीक से खाता था, न पीता था, जिस वजह से उसका बूढ़ा शरीर सूखकर कांटा हो गया था| उसकी एक-एक हड्डी गिनी जा सकती थी| उसकी आंखों की ज्योति चली गई थी| उसे कोढ़ हो गया था| बेचारा रास्ते के एक ओर बैठकर गिड़गिड़ाते हुए भीख मांगा करता था| एक युवक उस रास्ते से रोज निकलता था|

एक राजा समय-समय पर प्रतियोगिताएं आयोजित करवाता और विजेता को सम्मान सहित पारितोषिक भी देता। प्रजा इससे उत्साहित रहती थी। एक बार उसने राजपुरुष के चयन की प्रतियोगिता रखी। उसने एक वाटिका बनवाई जिसमें हर तरह की वस्तुएं रखी गईं। लेकिन उन पर उनका मूल्य नहीं लिखा था।

एक खरगोश बेहद आलसी और कामचोर था| एक बार वह पेड़ के नीचे बैठा था| वही एक डंडा भी पड़ा था| खरगोश ने वह डंडा उठा लिया और उसे ज़मीन पर मारने लगा| ज़मीन पर डंडा मारते हुए वह सोच रहा था कि काश मुझे ढेर सारी गाजरें मिल जाती|

भारत के संत स्वामी विवेकानंद ‘विश्व धर्म’ सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका पहुँचे| वह सादे वस्त्रों में एकाकी एक बगीचे में बैठे थे कि एक भद्र अमेरिकी महिला उनके पास पहुँची| वह थोड़ी ही बातचीत से प्रभावित हो उठी|

एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुर से दुर्योधन के यज्ञ से निवृत होकर द्वारका लौटे थे| यदुकुल की लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मी की भी मात कर रही थी| सागर के मध्य स्थित श्रीद्वारकापुरी की छटा अमरावती की भी तिरस्कृत कर रही थी|

एक चोर अक्सर एक साधु के पास आता और उससे ईश्वर से साक्षात्कार का उपाय पूछा करता था। लेकिन साधु टाल देता था। वह बार-बार यही कहता कि वह इसके बारे में फिर कभी बताएगा। लेकिन चोर पर इसका असर नहीं पड़ता था। वह रोज पहुंच जाता। एक दिन चोर का आग्रह बहुत बढ़ गया। वह जमकर बैठ गया। उसने कहा कि वह बगैर उपाय जाने वहां से जाएगा ही नहीं। साधु ने चोर को दूसरे दिन सुबह आने को कहा। चोर ठीक समय पर आ गया।

किसी गाँव में दीनू नाम का एक लोहार अपने परिवार के साथ रहता था| उसका एक पुत्र था, जिसका नाम शामू था| जैसे-जैसे शामू बड़ा होता जा रहा था, उसके दिल में अपने पुश्तैनी धंधे के प्रति नफ़रत बढ़ती जा रही थी| शामू के व्यक्तित्व की एक विशेषता यह थी कि उसके माथे पर गहरे घाव का निशान था, जो दूर से ही दिखाई देता था|

एक बार कुछ मुनि मिलकर विचार करने लगे कि किस समय में थोड़ा सा पुष्प भी महान् फल देता है और उसका सुखपूर्वक अनुष्ठान कर सकते हैं? वे जब कोई निर्णय नहीं कर सके, तब निर्णय के लिये व्यास जी के पास पहुँचे| व्यास जी उस समय गंगा जी में स्नान कर रहे थे|