HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 32)

पहाड़ी की तलहटी में बना सुंदरपुर नामक एक गाँव था| सुंदरपुर में वैसे तो सुख-शांति का वास था लेकिन वहाँ के सरपंच की पत्नी कुमति बड़े ही दुष्ट स्वभाव की स्त्री थी| उसके कुटिल स्वभाव से सभी घरवाले परेशान थे| अपनी सीधी-सादी बहू सुकन्या को तो वह कुछ ज्यादा ही परेशान करती थी|

हनुमान जी के धर्म पिता वायु थे, इसी कारण उन्हे पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। बचपन से ही दिव्य होने के साथ साथ उनके अन्दर असीमित शक्तियों का भण्डार था।

पंडित रामशंकर यजमानी करके दूसरे गाँव से अपने घर कि ओर लौट रहे थे| वे बहुत प्रसन्न थे क्योंकि दक्षिणा में उन्हें बकरी मिली थी| पंडित रामशंकर की ख्याति आसपास के गाँवों में फैली हुई थी|

एक बार की बात है| काशी (वाराणसी) की घटना है| एक बार स्वामी विवेकानंद काशी की एक तंग गली से गुजर रहे थे कि बंदरों के एक समूह ने उनका सामान छीन लिया| बंदर गुर्रायें तो स्वामी जी घबरा गए| वह कुछ चिल्लाकर पीछे हटने लगे कि बंदर उन पर टूट पड़े, उनके कपड़े फाड़ दिए| स्वामी जी भागने लगे तो बंदर किलकारियाँ मारते उनका पीछा करने लगे|

जन्म:
हनुमान जी का जन्म त्रेता युग मे अंजना(एक नारी वानर) के पुत्र के रूप मे हुआ था। अंजना असल मे पुन्जिकस्थला नाम की एक अप्सरा थीं, मगर एक शाप के कारण उन्हें नारी वानर के रूप मे धरती पे जन्म लेना पडा। उस शाप का प्रभाव शिव के अन्श को जन्म देने के बाद ही समाप्त होना था।

महाभारत का प्रसंग है| जुए में हारने के बाद पाँच पांडव बारह वर्ष के वनवास के दिन वनों एवं पर्वतों में व्यतीत कर रहे थे| एक समय वे द्वैतवन के समीप ब्रहामणों के साथ निवास कर रहे थे कि शकुनि और कर्ण ने दुर्योधन को सलाह दी की हमारा विचार है कि तुम खूब ठाट-बाट से द्वैतवन को चलो और अपने वैभव और ऐश्वर्य से पांडवों को चमत्कृत कर दो|

किसी नगर में एक धोबी रहता था| कपड़े धोने में उसका कोई सानी नही था| लेकिन वह अपने गधे के साथ बहुत दुर्व्यवहार करता था| दिनभर उससे हाड़-तोड़ काम कराने के बाद भी खाने को कुछ नही देता| बेचारा गधा यहाँ-वहाँ मुहँ मारकर जो मिलता उसी से अपना पेट भर लेता| यही कारण था कि वह बहुत कमज़ोर हो गया था|