साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान
साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान
हे साँई बाबा हे साँई बाबा
साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान
हे साँई बाबा हे साँई बाबा
शिरडी वाले सांई बाबा तू ही है एक हमारा
जो भी दर पर आता तेरे मिलता उसे सहारा
तन में राम मन में राम रोम रोम में समाया – 2
ओ सांई नाथ अनमोल खजाना जिन चाहा तिन पाया
सांई की मन भावन मूरत मन में है समाई – 2
सांई धुन की एक अजीब दीवानगी सी छायी – 2
तेरे कदमों की आहट का मुझे इन्तजार है – 2
कैसे कहूँ बाबा तुमसे कितना प्यार है – 2