राम रस मीठा रे, कोइ पीवै साधु सुजाण
राम रस मीठा रे, कोइ पीवै साधु सुजाण ।
सदा रस पीवै प्रेमसूँ सो अबिनासी प्राण ॥टेक॥
राम रस मीठा रे, कोइ पीवै साधु सुजाण ।
सदा रस पीवै प्रेमसूँ सो अबिनासी प्राण ॥टेक॥
मनवा मेरा कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धाम…………..
जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम………२
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ..
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो .
जानकी नाथ सहाय करें
जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ..
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो।
इस भव बंधन के भय से हमें उबारौ।