HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 89)

किसी नगर में एक सेठ रहता था| उसके पास अपार धन था, उसका व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था| एक दिन एक साधु उसके दरवाजे पर भिक्षा मांगने के लिए आया| सेठ ने उसे भिक्षा दी| भिक्षा लेकर जब साधु जाने लगा तो सेठ ने उसे रोककर कहा – “महाराज, मुझे कुछ उपदेश तो देते जाइए|”

पुराने समय में एक राजा था। राजा के पास सभी सुख-सुविधाएं और असंख्य सेवक-सेविकाएं हर समय उनकी सेवा उपलब्ध रहते थे। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी। फिर भी राजा उसके जीवन के सुखी नहीं था। क्योंकि वह अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशान रहता था।

उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचकर अकबर के बाल भी सफेद हो गए थे| वह बालों को काला करने के लिए खिजाब लगाने लगे थे| एक दिन खिजाब लगाते हुए उन्होंने बीरबल से यूं ही पूछ लिया – “बीरबल, खिजाब लगाने से दिमाग पर कोई असर तो नहीं होता है न?”

सच है, कोई पुरुष अत्यंत धैर्यवान, दयालु, सद्गुणी, सदाचारी, नीतिज्ञ, कर्तव्यनिष्ठ और गुरु का भक्त अथवा विधा-विवेक सम्पन्न भी क्यों न हो, यदि वह निरंतर अत्यंत पापबुद्धि दुष्ट पुरुषों का संग करेगा तो अवश्य ही क्रमशः उन्हीं की बुद्धि से प्रभावित होकर उन्हीं के समान हो जाएगा| इसलिए सदा ही दुष्ट पुरुषों का संग त्याग देना चाहिए|

एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन नगर की स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले। रास्ते में एक जगह भवन का निर्माण कार्य चल रहा था। वह कुछ देर के लिए वहीं रुक गए और वहां चल रहे कार्य को गौर से देखने लगे। कुछ देर में उन्होंने देखा कि कई मजदूर एक बड़ा-सा पत्थर उठा कर इमारत पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। किंतु पत्थर बहुत ही भारी था, इसलिए वह इतने मजदूरों के उठाने पर भी उठ नहीं आ रहा था।

प्राचीन काल में गुलिक नामक एक व्याध था| वह बड़ा क्रूर था| वह पराये धन को हड़पने में सदा तत्पर रहता था| धन के लिए प्राणियों की, मनुष्यों की हत्या करने में भी उसके मन में हिचक न थी| वह सदा इसी अवसर की प्रतीक्षा में रहता था कि पराई स्त्रियों का अपहरण कर लूँ, कपटपूर्वक धन हरण कर लूँ, पशु-प्राणियों की हत्या कर दूँ|

एक राजा था| उसकी एक लड़की थी| जब राजकुमारी बड़ी हुई तो रानी को उसके विवाह की चिंता होने लगी| राजा के महल में एक जमादारिन सफाई करने आती थी| एक दिन रानी को उदास देखकर उसने उनकी उदासी का कारण पूछा, तो रानी ने कहा – “क्या कहूं? लड़की बड़ी हो गई है| उसके ब्याह की चिंता मुझे रात-दिन खाए जा रही है|”

एक बार अवंतिपुर में साधु कोटिकर्ण आए। उन दिनों उनके नाम की धूम थी। उनका सत्संग पाने दूर-दूर से लोग आते थे। उस नगर में रहने वाली कलावती भी सत्संग में जाती थी। कलावती के पास अपार संपत्ति थी। उसके रात्रि सत्संग की बात जब नगर के चोरों को मालूम हुई तो उन्होंने उसके घर सेंध लगाने की योजना बनाई।