मित्रता की परख
रमानाथ और दीनानाथ में गहरी दोस्ती थी| दोनों ही एक-दूसरे पर जान छिड़कने का दम भरा करते थे| एक दिन दोनों घने जंगल से होकर गुजर रहे थे कि मार्ग में उन्हें एक भालू आता दिखाई दिया| वह उनकी तरफ़ ही आ रहा था| रमानाथ तेजी से भागकर निकट के पेड़ पर चढ़ गया| उसने अपने मित्र दीनानाथ की तनिक भी चिंता नही की| वह बोला, ‘भाई दीनानाथ! जान है तो जहान है| तुम भी अपने बचाव का रास्ता खोजो|’