HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 147)

ब्रहापुर नगरवासी एक ब्राह्मण की पत्नी इतनी अधिक झगड़ालू थी कि प्रतिदिन उसके कारण ब्राह्मण को अपने बंधु-बांधवों से भला-बुरा सुनना पड़ता था| यहाँ तक कि उस नगर में ब्राह्मण से कोई बोलना तक पसंद नही करता था|

एक गरीब अनपढ़ ब्राह्मण मांगकर अपना गुजारा चलाता था| उस ब्राह्मण की हार्दिक इच्छा यह थी कि लोग उसे पंडितजी कहें किंतु उस अनपढ़ को पंडितजी कौन कहता|

उपनिषद् की कथा है| प्रजापति ब्रह्मा की तीन प्रकार की संतानें थी| पहले देवता थे जिन्हें सब प्रकार के सुख-वैभव प्राप्त थे, परंतु वे सदा भोग-विलास में लीन रहते थे|

एक बार अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा, 'मैंने आज तक संसार में बड़े भ्राता युधिष्ठिर जितना दानवीर कोई दूसरा नहीं देखा।' श्रीकृष्ण बोले, 'पार्थ, यह तुम्हारा भ्रम है। इस दुनिया में कई दानवीर ऐसे हैं जो बिना सोचे-समझे मूल्यवान से मूल्यवान वस्तु का दान देने से नहीं

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राजगढ़ के राजा शक्ति सिंह की दो रानियाँ थी- प्रेमलता और सुमनलता| दोनों सगी बहनें थी| कुछ समय बाद प्रेमलता ने एक पुत्र को जन्म दिया| प्रेमलता द्वारा पुत्र को जन्म देने के बाद सुमनलता मन-ही-मन उससे जल उठी| उसे लगा कि अब महाराज की नजरों में उसका महत्व समाप्त हो जाएगा| वह यह चाहती थी कि भविष्य में उसका होने वाला पुत्र ही राजा बने|

बादशाह अकबर से मिलने कुछ विदेशी मेहमान आए हुए थे| वे अभी दरबार में उपस्थित नहीं हुए थे| कुछ देर बाद एक सेवक आया और बोला – “हुजूर की मां का देहान्त हो गया है, अत: उन्हें आने में देर लगेगी|”

एक बैल था| जब वह बूढ़ा हो गया तो उसका मालिक उसे जंगल में छोड़ आया| बैल बूढ़ा ज़रूर था लेकिन था बहुत समझदार| जंगल में वह सबसे पहले अपने रहने-खाने का बंदोबस्त देखने लगा|

उत्तराखंड में प्रचलित पौराणिक गाथा के अनुसार पृथ्वी में सर्वप्रथम निरंकार विद्यमान था। उनके द्वारा सोनी और जंबू गरुड़ की उत्पत्ति के पश्चात ही सृष्टि की रचना मानी गयी है। आइए जाने उत्तराखंड के लोगों के बीच, सृष्टि के निर्माण के बारे में कौन सी कहानी प्रचलित है।