घमंडी कौए
आसमान पर काले घने बादल घिर आए थे| मैना जल्दी से उठकर अपने घोंसलें में पहुँचना चाहती थी| अंधेरा भी हो चला था और उसका घोंसला अभी दूर था| मौसम खराब होता देख उसने नीम के एक पेड़ पर रुकने का फैसला किया| उसी पेड़ पर बहुत से कौए भी थे| जैसे ही उन कौओं की नज़र उस मैना पर पड़ी तो वे ‘काँव-काँव’ करते हुए मैना पर टूट पड़े और कहने लगे, ‘हमारे पेड़ से भाग जाओ|’