अध्याय 149
1 [भ]
शृणु पार्थ यथावृत्तम इतिहासं पुरातनम
गृध्रजम्बुक संवादं यॊ वृत्तॊ वैदिशे पुरा
1 [भरद्वाज]
यदि परानायते वायुर वायुर एव विचेष्टते
शवसित्य आभासते चैव तस्माज जीवॊ निरर्थकः
1 [ष]
तस्मात ते ऽहं परवक्ष्यामि धर्मम आवृत्तचेतसे
शरीमान महाबलस तुष्टॊ यस तवं धर्मम अवेक्षसे
पुरस्ताद दारुणॊ भूत्वा सुचित्रतरम एव तत
1 [भ]
विमानस्थौ तु तौ राजँल लुब्धकॊ वै ददर्श ह
दृष्ट्वा तौ दम्पती दुःखाद अचिन्तयत सद गतिम