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भूमिका:

परमात्मा ने सब जीवो को एक – सा जन्म दिया है| माया की कमी या फिर जीवन के धंधो के कारण लोगो तथा कई चालाक पुरुषों ने ऐसी मर्यादा बना दी कि ऊँच – नीच का अन्तर डाल दिया| उसी अन्तर ने करोडों ही प्राणियों को नीचा बताया| परन्तु जो भक्ति करता है वह नीच होते हुए भी पूजा जाता है| भक्ति ही भगवान को अच्छी लगती है| भक्ति रहित ऊँचा जीवन शुद्र का जीवन है|

संत कबीर जी (Sant Kabir Ji) का स्थान भक्त कवियों में ध्रुव तारे के समान है| जिनके शब्द, साखी व रमैनी आज भी उतने ही प्रसिद्ध हैं जितने कि उनके समय में थे| 

सत्ता और बलवंड दोनों सगे भाई थे| वह भाट जाति से थे और पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी के समय उनकी हजूरी में कीर्तन किया करते थे| रागों में निपुण होने के कारण वह अच्छे रबाबी बन गए|

भूमिका:

अब्दुल रहीम खानखाना का नाम हिन्दी साहित्य जगत में महत्वपूर्ण रहा है| इनका नाम साहित्य जगत में इतना प्रसिद्ध है कि इन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है| 

भूमिका:

पवित्र गंगा के किनारे काशी नगरी स्थित है जिसे बनारस भी कहा जाता है| इस नगरी में पन्द्रवी सदी में कभी घर-घर लोग रामानंद जी को याद करते थे| आप एक महा पुरुष हुए हैं| आप वैष्णव मत के नेता और योगी हुए हैं|