आ मिल यारा सार लै मेरी – काफी भक्त बुल्ले शाह जी
आ मिल यारा सार लै मेरी,
मेरी जान दुखां ने घेरी| टेक|
आ मिल यारा सार लै मेरी,
मेरी जान दुखां ने घेरी| टेक|
‘रांझा-रांझा’ करदी हुण मैं आपे रांझा होई| टेक|
सद्दो मैनूं धीरो रांझा हीर न आखो कोई|
मैंनूं की होइया मैथों गई गवाती मैं| टेक|
क्यों कमली आखे लोका मैंनूं की होया है|
की बेदर्दों के संग यारी?
रोवण अखियां ज़ारो-ज़ारी| टेक|
मैं क्योंकर जावां क़ाबे नूं,
दिल लोचे तख्त हज़ारे नूं| टेक|
क्यों ओह्ले बैह् बैह् झाकीदा?
एह पर्दा किस तों राखी दा?| टेक|