मूर्खों की फैहरिस्त (तेनालीराम) – शिक्षाप्रद कथा
एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों के साथ अपने दरबार में किसी विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि सहसा उनके पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा कि मैं घोड़ों का व्यापारी हूं|
एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों के साथ अपने दरबार में किसी विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि सहसा उनके पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा कि मैं घोड़ों का व्यापारी हूं|
राजा कृष्णदेव राय का दरबार हमेशा की तरह दरबारियों से सजा हुआ था|
रोजाना की भांति कृष्णा देव राय अपने दरबार में बैठे अपनी प्रजा के दुख-सुख सुन रहे थे कि तभी उनके दरबार में दो भाई आये|
किसी ने महाराज कृष्णदेव राय को एक तोता भेंट किया| यह तोता बड़ी मीठी और सुन्दर-सुन्दर बातें करता था| वह लोगों के प्रश्नों के उत्तर भी देता था|
तेनालीराम और राजा कृष्णदेव राय में एकबार किसी बात पर कहासुनी हो जाने पर तेनालीराम नाराज होकर कहीं चला गया|
एक बार राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबारियों से जादू का खेल देखने की इच्छा ज़ाहिर की|
एक बार राजा कृष्णदेव राय का, पड़ोसी राज्य से युद्ध छिड़ गया| युद्ध में जंग जीतकर राजा जब अपने साथियों के साथ अपनी राजधानी को वापिस आ रहे थे तो तेनालीराम कहीं पीछे ही रहे गये|