03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 174 1 [वै] नगॊत्तमं परस्रवणैर उपेतं; दिशां गजैः किंनरपक्षिभिश च सुखं निवासं जहतां हि तेषां; न परीतिर आसीद भरतर्षभाणाम Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 175 1 [जनम] कथं नागायुतप्राणॊ भीमसेनॊ महाबलः भयम आहारयत तीव्रं तस्माद अजगरान मुने Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 176 1 [वै] स भीमसेनस तेजस्वी तथा सर्पवशं गतः चिन्तयाम आस सर्पस्य वीर्यम अत्यद्भुतं महत Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 177 1 [वै] युधिष्ठिरस तम आसाद्य सर्पभॊगाभिवेष्टितम दयितं भरतरं वीरम इदं वचनम अब्रवीत Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 178 1 [य] भवान एतादृशॊ लॊके वेदवेदाङ्गपारगः बरूहि किं कुर्वतः कर्म भवेद गतिर अनुत्तमा Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 179 1 [वै] निदाघान्तकरः कालः सर्वभूतसुखावहः तत्रैव वसतां तेषां परावृट समभिपद्यत Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 180 1 [वै] काम्यकं पराप्य कौन्तेया युधिष्ठिरपुरॊगमाः कृतातिथ्या मुनिगणैर निषेदुः सह कृष्णया Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत