अध्याय 142
1 [भ]
तूष्णीम आसीद अर्जुनस तु पवनस तव अब्रवीत पुनः
शृणु मे बराह्मणेष्व एव मुख्यं कर्म जनाधिप
1 [भ]
तूष्णीम आसीद अर्जुनस तु पवनस तव अब्रवीत पुनः
शृणु मे बराह्मणेष्व एव मुख्यं कर्म जनाधिप
1 [भ]
इत्य उक्तस तव अर्जुनस तूष्णीम अभूद वायुस तम अब्रवीत
शृणु मे हैहय शरेष्ठ कर्मात्रेः सुमहात्मनः
1 [भ]
इत्य उक्तः स तदा तूष्णीम अभूद वायुस ततॊ ऽबरवीत
शृणु राजन्न अगस्त्यस्य माहात्म्यं बराह्मणस्य ह
1 [वायु]
इमां भूमिं बराह्मणेभ्यॊ दित्सुर वै दक्षिणां पुरा
अङ्गॊ नाम नृपॊ राजंस ततश चिन्तां मही ययौ
1 [वायु]
शृणु मूढ गुणान कांश चिद बराह्मणानां महात्मनाम
ये तवया कीर्तिता राजंस तेभ्यॊ ऽथ बराह्मणॊ वरः
1 [य]
कां तु बराह्मण पूजायां वयुष्टिं दृष्ट्वा जनाधिप
कं वा कर्मॊदयं मत्वा तान अर्चसि महामते