HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 81)

एक बार यूनान का राजदूत भारत आया। उसने मौर्य साम्राज्य के महामंत्री चाणक्य की प्रशंसा प्रत्येक व्यक्ति के मुख से सुनी। वह चाणक्य से मिलने के लिए उत्सुक हो उठा। राजदूत चाणक्य से मिलने उनके निवास स्थान गंगा के किनारे चल दिया।

मत्स्यराज विराट एक उदार, स्नेहशील राजा थे| विराट की पत्नी सुदेष्णा का भाई कीचक उनका सेनापति था| वह बहुत ही शक्तिशाली और क्रूर था| इसलिए विराट पर आक्रमण करने का साहस कोई नहीं करता था|

एक बार महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्रीकृष्ण से नागपंचमी-व्रत के विषय में जिज्ञासा व्यक्त की, तब भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा- ‘युधिष्ठिर! दयिता-पंचमी नागों के आनंद को बढ़ाने वाली होती है| श्रावण शुक्ला पंचमी में नागों का महान् उत्सव होता है| उस दिन वासुकि, तक्षक, कालिक, मणिभद्रक, धृतराष्ट्र, रैवत, कर्कोटक और धनंजय- ये सभी नाग प्राणियों को अभय (दान) देते है|

एक दिन वन में गुजरते हुए नारदजी ने देखा कि एक मनुष्य ध्यान में इतना मग्न है कि उसके शरीर के चारों ओर दीमक का ढेर लग गया है। नारदजी को देखकर उसने उन्हें प्रणाम किया और पूछा -प्रभु! आप कहां जा रहे हैं? नारदजी ने उत्तर दिया- मैं बैकुंठ जा रहा हूं।

एक बार देवताओं द्वारा संपूर्ण दैत्यकुल का संहार हो जाने पर दैत्य माता दिति को अपार कष्ट हुआ| तब वह पृथ्वी-लोक में स्यमन्तपंचक क्षेत्र में आकर सरस्वती नदी के तट पर अपने पति महर्षि कश्यप की आराधना करते हुए भीषण तप में निरत हो गई|

एक बार एक गांव में सूखा पड़ा। सारे तालाब और कुएं सूख गए। तब लोगों ने एक सभा की। उस सभा में सभी ने एक स्वर में तय किया कि गांव के बाहर जो शिवजी का मंदिर है, वहां चलकर भगवान से वर्षा करने के लिए सामूहिक प्रार्थना करें। अगले दिन सुबह होते ही गांव के सभी लोग शिवालय की ओर चल दिए। बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी जोश से भरे हुए जा रहे थे। इन सभी में एक बालक ऐसा था, जो हाथ में छाता लेकर चल रहा था। सभी उसे देखकर उसका उपहास उड़ाने लगे।