कौवे ने सांप को पछाड़ा
एक बरगद के पेड़ पर एक कौवे और कौवी ने घोंसला बनाया| वे अपने बाल-बच्चों के साथ उस घोसले में रहने लगे|
एक बरगद के पेड़ पर एक कौवे और कौवी ने घोंसला बनाया| वे अपने बाल-बच्चों के साथ उस घोसले में रहने लगे|
स्वामी स्वतंत्रतानन्द जी एक कर्मठ साधु थे| वह प्रतिदिन अपने आश्रम में जनता को उपदेश देते थे| प्रतिदिन वह जनता और श्रोताओं से अनुरोध करते थे कि यदि वे जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो उन्हें किसी बुराई को छोड़ने का व्रत लेना होगा और किसी अच्छी बात को जीवन में अपनाने का संकल्प लेना चाहिए|
एक लोमड़ी थी| एक दिन वह बहुत भूखी थी| वह भोजन की खोज में इधर-उधर घूम रही थी| उसे एक बाग में अंगूर की एक बेल दिखाई दी जिस पर पके हुए अंगूर लटक रहे थे|
महाभारत का युद्ध चल रहा था। सूर्यास्त के बाद सभी अपने-अपने शिविरों में थे। उस दिन अर्जुन ने कर्ण को पराजित कर दिया था। इसलिए वह अहंकार में चूर थे। वह अपनी वीरता की डींगें हाँकते हुए कर्ण का तिरस्कार करने लगे।
एक समय की बात है| एक तालाब के किनारे एक सारस रहता था| तालाब में बहुत सारी मछलियां थी| सारस रोज भरपेट मछलियां खाता|
एक कौआ बहुत प्यासा था| वह पानी की खोज में इधर उधर उड़ने लगा| प्यास के मारे वह दूर तक उड़न भरने में असमर्थ था| वह एक बगीचे में गया| उसे कहीं भी पानी के दर्शन नहीं हुए| तभी उसने दूर एक घड़ा देखा|
सिखों के छठे गुरु हरगोविंद जी भी इसी दिन कारावास से मुक्त हुए थे। आप पाँचवें गुरु श्री गुरु अर्जुनदेव जी के इकलौते पुत्र थे। सिखों पर मुगलराज्य के कोप की दिनोंदिन वृद्धि होती जाती थी।
किसी घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था| वह रोज शिकार पर निकालता और एक नहीं, दो नहीं, कई-कई जानवरों को काम तमाम कर देता| जंगल के जानवर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि जंगल में कोई भी जानवर नहीं बचेगा|
किसी गाँव में एक किसान रहता था| उसके चार पुत्र थे| चारों भाई आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे| चारों भाई अपनी तरफ से गलत काम करते रहते थे| एक दूसरे की शिकायत अपने किसान पिता से लगाकर तुरंत पकड़े भी जाते थे| किसान अपने चारों पुत्रों की इन गति-विधियों से बहुत दुःखी था| उसको चिंता सताने लगी जिसके कारण वह बीमार हो गया|
दीपावली भगवान महावीर की पुण्यतिथि भी है। उनका जन्म भारत के बिहार के प्रांत के एक राजवंश में करीब ढाई हज़ार वर्ष पूर्व हुआ था। भारत की सामाजिक और धार्मिक दुर्व्यवस्था को देखकर इनके ह्रदय में अपार दुःख होता था।