तब से घोड़ा बना गुलाम
पूर्वकाल में घोड़े भी जंगली जानवरों की तरह ही जंगलों में रहा करते थे| लोग अन्य जंगली जानवरों की तरह उनका भी शिकार किया करते थे|
पूर्वकाल में घोड़े भी जंगली जानवरों की तरह ही जंगलों में रहा करते थे| लोग अन्य जंगली जानवरों की तरह उनका भी शिकार किया करते थे|
महर्षि आयोदधौम्य अपनी विद्या, तपस्या और विचित्र उदारता के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। वे ऊपर से तो अपने शिष्यों के प्रति अत्यंत कठोर थे, किंतु भीतर से शिष्यों को असीम स्नेह करते थे।
रामदास और मोतीराम दोनों बहुत अच्छे मित्र थे| एक बार मोतीराम को किसी काम से दूसरे शहर में जाना पड़ा| काम अधिक समय तक चलने वाला था, अत; वह सपरिवार गया और जाते समय अपने मकान की चाबी तथा कीमती समान अपने मित्र रामदास को सौंप दिया|
किसी वृक्ष पर एक कौए और बटेर का बसेरा था| एक बार पक्षियों को जानकारी मिली कि उनके राजा गरुड़ सागर किनारे आने वाले है| सभी पक्षी एकत्रित होकर उनके दर्शनार्थ सागर किनारे की ओर चल पड़े| कौआ और बटेर भी गए|
छान्दोग्य की कहानी है| ऋषि आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करके जब लौटा, तब उसके पिता को अनुभूति हुई कि पुत्र में कुछ अहंकार पैदा हो गया है| पुत्र ने बताया उसने सब विधाएँ पढ़ ली है|
यूं तो भगवान हनुमान जी को अनेक नामों से पुकारा जाता है, जिसमें से उनका एक नाम वायु पुत्र भी है। जिसका शास्त्रों में सबसे ज्यादा उल्लेख मिलता है। शास्त्रों में इन्हें वातात्मज कहा गया है अर्थात् वायु से उत्पन्न होने वाला।
एक समय की बात है| दिल्ली विश्वविय के भूतपूर्व कुलपति एवं भूतपूर्व संसद सदस्य डॉ० स्वरुप सिंह अपनी मित्र-मण्डली में बैठे थे|
बीरबल से बहुत भारी भूल हो गई| दरबारियों से सलाह लेते हुए बादशाह अकबर ने पूछा – “बीरबल को इस किए की क्या सजा दी जाए?”
एक राजा के भवन का शयनकक्ष अत्यंत सुंदर था| राजा के प्रतिदिन के इस्तेमाल में आनेवाले वस्त्रों में एक जूं रहती थी| वह राजा का रक्त चूसकर आनंद से जीवन व्यतीत कर रही थी|
एक दिन राजा विक्रमादित्य दरबार को सम्बोधित कर रहे थे तभी किसी ने सूचना दी कि एक ब्राह्मण उनसे मिलना चाहता है। विक्रमादित्य ने कहा कि ब्राह्मण को अन्दर लाया जाए। जब ब्राह्मण उनसे मिला तो विक्रम ने उसके आने का प्रयोजन पूछा।