HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 131)

महाभारत के युद्ध का सत्रहवां दिन समाप्त हो गया था| महारथी कर्ण रणभूमि में गिर चुके थे| पांडव-शिविर में आनंदोत्सव हो रहा था| ऐसे उल्लास के समय श्रीकृष्ण खिन्न थे| वे बार-बार कर्ण की प्रशंसा कर रहे थे, “आज पृथ्वी से सच्चा दानी उठ गया|”

तुमने खरगोश देखा होगा, खरगोश भूरे और सफेद होते हैं| दूसरे भी कई रंगों के खरगोश पाये जाते हैं| कुछ लोग पालते भी हैं| खरगोश को संस्कृत में शशक कहते हैं| खरगोश बहुत छोटा जानवर होने पर भी दौड़ने में बहुत तेज होता है|

कर्ण कुंती का पुत्र था| पाण्डु के साथ कुंती का विवाह होने से पहले ही इसका जन्म हो चुका था| लोक-लज्जा के कारण उसने यह भेद किसी को नहीं बताया और चुपचाप एक पिटारी में रखकर उस शिशु को अश्व नाम की नदी में फेंक दिया था| इसके जन्म की कथा बड़ी विचित्र है|

एक कुत्ते को पक्षियों के अंडे खा जाने का अभ्यास हो गया| वह खेत की मेड़ों और नदी के किनारे घुमा करता और टिटिहरी के अंडे देखते ही खा जाया करता था| नदी-किनारे की रेत में वह कछुए के अंडे ढूँढ़ा करता था| 

बादशाह अकबर ने बीरबल को एक बकरी दी और आदेश देते हुए कहा – “बीरबल, यह बकरी तुम एक महीने तक अपने पास रखो| इसे पूरी खुराक देना, किन्तु इस बात का ध्यान रहे कि इस बकरी का वजन न घटे और न ही बढ़े|”

प्राय: भगवान श्रीकृष्ण की पटरानियां ब्रजगोपियों के नाम से नाक-भौं सिकोड़ने लगतीं| इनके अहंकार को भंग करने के लिए प्रभु ने एक बार एक लीला रची| नित्य निरामय भगवान बीमारी का नाटक कर पड़ गए| नारद जी आए| वे भगवान के मनोभाव को समझ गए| उन्होंने बताया कि इस रोग की औषधि तो है, पर उसका अनुपान प्रेमी भक्त की चरण-रज ही हो सकती है| रुक्मिणी, सत्यभामा सभी से पूछा गया| पर पदरज कौन दे प्रभु को| भगवान ने कहा, “एक बार ब्रज जाकर देखिए तो|”

धृतराष्ट्र के एक वैश्य वर्ण की पत्नी थी| उसी के गर्भ से युयुत्सु का जन्म हुआ था| युयुत्सु का स्वभाव गांधारी के सभी पुत्रों से बिलकुल अलग था| वह आपसी कलह और विद्वेष का विरोधी था और सदा धर्म और न्याय की बातें करता था, लकिन चूंकि सत्ता गांधारी के पुत्रों के हाथ में थी, इसलिए कोई भी इसकी नहीं सुनता था|

पुराण में एक बहुत सुन्दर कथा आती है| एक जंगल में एक तालाब था| उस जंगल के पशु उसी तालाब में पानी पीने आया करते थे| एक दिन एक शिकारी उस तालाब के पास आया| उसने तालाब में हाथ-मुँह धोकर पानी पिया|