शिक्षाप्रद कथाएँ0 Share मुश्किलों का साथी- शिक्षाप्रद कथा “एक-दो-तीन-चार…….।” जयंतीलाल पाँच-पाँच सौ के नोटों की गिनती कर रहा था। तीस की संख्या पर वह रुक गया। Continue reading