12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 133 1 [भ] अत्राप्य उदाहरन्तीमम इतिहासं पुरातनम यथा दस्युः समर्यादः परेत्य भावे न नश्यति Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
13. अनुशासनपर्व Share 0 अध्याय 133 1 [उ] किं शीलाः किं समाचाराः पुरुषाः कैश च कर्मभिः सवर्गं समभिपद्यन्ते संप्रदानेन केन वा Continue reading POST TAGS: अनुशासनपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 76 1 [व] अथ दीर्घस्य कालस्य देव यानी नृपॊत्तम वनं तद एव निर्याता करीडार्थं वरवर्णिनी Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 62 1 [दुर] सदृशानां मनुष्येषु सर्वेषां तुल्यजन्मनाम कथम एकान्ततस तेषां पार्थानां मन्यसे जयम Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
07. द्रोणपर्व Share 0 अध्याय 123 1 [धृ] तथागतेषु शूरेषु तेषां मम च संजय किं वै भीमस तदाकार्षीत तन ममाचक्ष्व संजय Continue reading POST TAGS: द्रोणपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 163 1 [वै] यथागतं गते शक्रे भरातृभिः सह संगतः कृष्णया चैव बीभत्सुर धर्मपुत्रम अपूजयत Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 132 1 [भ] अत्र कर्मान्त वचनं कीर्तयन्ति पुराविदः परत्यक्षाव एव धर्मार्थौ कषत्रियस्य विजानतः तत्र न वयवधातव्यं परॊक्षा धर्मयापना Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
13. अनुशासनपर्व Share 0 अध्याय 132 1 [उ] भगवन सर्वभूतेश सुरासुरनसं कृत धर्माधर्मे नृणां देव बरूहि मे संशयं विभॊ Continue reading POST TAGS: अनुशासनपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 63 1 [धृ] दुर्यॊधन विजानीहि यत तवां वक्ष्यामि पुत्रक उत्पथं मन्यसे मार्गम अनभिज्ञ इवाध्वगः Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
07. द्रोणपर्व Share 0 अध्याय 122 1 [धृ] तस्मिन विनिहते वीरे सैन्धवे सव्यसाचिना मामका यद अकुर्वन्त तन ममाचक्ष्व संजय Continue reading POST TAGS: द्रोणपर्वमहाभारत संस्कृत