मैंनूं कौण पछाणे – काफी भक्त बुल्ले शाह जी
मैंनूं कौण पछाणे,
मैं कुझ गो गई होर नी| टेक|
पाया है किछु पाया है
मेरे सतिगुरु अलख लखाया है| टेक|
दिल लोचे माही यार नूं| टेक|
इक हस हस गल्लां कर दियां,
से वणजारे आए नी माए,
से वणजारे आए,
लालां दा ओह वणज करेंदे,
होका आख सुणाए|