प्रभु भक्त के दिल की जानता है
एक बार ख़ुदा के सच्चे प्रेमी बायज़ीद बुस्तामी को आकाशवाणी हुई और उसने गै़बी (दैवी) आवाज़ यह कहती हुई सुनी, “तुझे जो माँगना है, माँग ले, तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी|” बायज़ीद प्रभु का सच्चा प्रेमी था और अपने महबूब के दर्शन के सिवाय और कुछ नहीं चाहता था| उसने नम्रता से सिर झुकाकर कहा, “जो कुछ मालिक ख़ुद ख़ुशी से दे, मैं ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार करूँगा और उस दाता का शुक्रगुज़ार रहूँगा|”
दैवी आवाज़ कहने लगी, “हम तुम पर ख़ुश हैं और तुझे दोनों जहान बख़्शते हैं| हम तुझे आकाश, पाताल और इनके दरमियान जो कुछ है, वह सब कुछ बख़्शते हैं|” बायज़ीद बुस्तामी दातें नहीं, दाता को माँगता था, वह कहने लगा, “सब कुछ का दाता मेरा मालिक मेरे दिल की जानता है|” दैवी आवाज़ फ़ौरन बोली, “बायज़ीद हमसे हमें माँगता है| अगर हम तुझसे तुझे माँग लें तो?”
यह सुनकर बायज़ीद समझ गया कि यह मेरे प्रियतम की आवाज़ है| वह ख़ुशी से चीख़ उठा, “मेरे मालिक, मैं सच्चे दिल से कहता हूँ कि अगर तू क़यामत के दिन मुझे नरकों की आग में कूदने का हुक्म दे तो मैं फ़ौरन उसमें कूद जाऊँगा| मेरी एक ठण्डी आह ही नरकों की आग ठण्डी कर देगी, क्योंकि मुझे पता है कि तेरे इश्क़ की आग के सामने नरकों की आग बुझे हुए कोयले से अधिक नहीं है|”
बायज़ीद ने अपनी बात पूरी नहीं की थी कि दैवी आवाज़ बोली, “हम तेरे साथ वायदा करते हैं कि तू हमारी तलाश कर, तुझे हमारा दीदार ज़रूर होगा|”