जंगल में से रास्ता
लक्खा सिंह अमृतसर में एक प्रेमी सत्संगी था| एक बार वह दक्षिण में नांदेड़ शहर गया| वहाँ उसको एक बूढ़ा व्यक्ति मिला| दोनों को एक गुरुद्वारे में जाना था| चलते-चलते रास्ते में एक जंगल आया जहाँ शेर, बाघ और अन्य कई खूँख्वार जानवर थे| इधर शाम हो गयी, उधर वे रास्ता भूल गये| जिस तरफ़ जाते, जंगल ही जंगल नज़र आता| वे सोच में पड़ गये कि कहाँ जायें?
बूढ़ा आदमी रोने लगा कि अब क्या करें? आज कोई जंगली जानवर हमें ज़रूर खा जायेगा| लेकिन लक्खा सिंह की हालत और ही थी| वह चुपचाप भजन में बैठ गया, तब बाबा जी महाराज ने प्रकट होकर बताया कि यहाँ से डेढ़ मील दाहिनी तरफ़ जाओ, वहाँ एक पगडण्डी मिलेगी, उस पर चलते जाना| थोड़ी दूरी पर एक छोटा-सा गाँव आयेगा, वहाँ से रास्ता मिलेगा|
जब वे दोनों वहाँ से डेढ़ मील दाहिने हाथ गये तो पगडण्डी मिल गयी और वे गाँव पहुँच गये| वहाँ रात ठहरे, दूसरे दिन सुबह गुरुद्वारे की ओर चल पड़े और अपनी मंजिल पर पहुँच गये|
सतगुरु तो हमेशा अंग-संग हैं, सिर्फ़ हमारे अन्दर कशिश और विश्वास की कमी है|
कृपया चिन्ता न करें| हर क़दम पर, आपकी मदद, मार्ग-दर्शन
और रक्षा के लिए सतगुरु हमेशा आपके साथ हैं| आप उनके
प्रति सचेत हो जायें और उनकी लगातार मौजूदगी का अनुभव
करें| विश्वास, प्रेम और नम्रता के साथ बराबर भजन-सुमिरन
करते रहें|
(महाराज चरन सिंह)