बुल्लेशाह का नाचना
बुल्लेशाह मुसलमान सैयद फ़क़ीर हुए हैं जो पंजाब में रहते थे और अपना बहुत-सा समय ख़ुदा की इबादत में गुज़ारते थे| अकसर उनकी आलोचना की जाती थी क्योंकि वह अपने ऊँचे कुल की धार्मिक मर्यादा के अनुसार नहीं चलते थे और न ही कट्टर रीति-रिवाजों का पालन करते थे| जब उन्हें दुनिया तंग करने लगी तो उन्होंने गधे ले लिये ताकि दुनिया उनसे और भी ज़्यादा नफ़रत करने लगे| सन्तों की लीला सन्त ही जानते हैं| कहते हैं कि एक बार एक औरत को एक मुसलमान हाकिम ज़बरदस्ती अपने घर ले गया| जब उसके पति की पुकार किसी ने न सुनी तो उसे किसी ने कहा कि बुल्लेशाह एक कामिल फ़क़ीर हैं, तू जाकर उनकी मिन्नत कर| वह जब बुल्लेशाह के पास गया तो उन्होंने कहा, “जा! शहर में देख, कहीं तबला, सारंगी बजते हैं?” एक जगह हिजड़े गा रहे थे| देखा और आकर बुल्लेशाह को ख़बर दी| बुल्लेशाह ने कहा, “ठीक है, आओ और मेरे गधे पर बैठ जाओ| हम दोनों वहाँ चलते हैं|” बुल्लेशाह उनमें जा मिले और नाचने लगे| जब वज्द* में आये तो उन्होंने पूछा कि वह हाकिम कहाँ रहता है? वह कहने लगा कि शहर के अमुक तरफ़ खज्जीवाला बाग़, अम्बांवाली बग़ीची में रहता है| तब बुल्लेशाह ने तवज्जुह देते हुए यह कहा:
वज्द= मस्ती की वह हालत जिसमें इनसान अपने आसपास और शरीर की सुध-बुध भूलकर बेख़ुदी की हालत में नाच उठता है|
अंबांवाली बगीची सुनींदी, खज्जियाँ वाला बाग|
खोतियाँ वाले सद्द बुलाई, सुत्ती ऐं ते जाग|
चीना इयों छड़ींदा यार! चीन इयों छड़ींदा|
बुल्लेशाह के कहने की देरी थी कि वह औरत बेतहाशा खिंची चली आयी, क्योंकि उस मुसलमान हाकिम का घर भी वहाँ से नज़दीक ही था जहाँ वे हिजड़े नाच रहे थे| बुल्लेशाह ने कहा, “भाई, जा अपनी पत्नी को ले जा और उसे सँभालकर रखना|”
बुल्लेशाह ने वज्द में फिर उसी तरह नाचना शुरू कर दिया| उधर बुल्लेशाह के बाप को लोगों ने बता दिया कि अभी तक तो तेरे बेटे ने गधे पाल रखे थे, अब उसने हिजड़ों के साथ नाचना भी शुरू कर दिया है, सैयदों की इज्ज़त ख़ूब बरबाद करने लगा है| बुल्लेशाह ने जब देखा कि बाप आ रहा है, दिल में आया कि आज यह भी ख़ाली न जाये| तवज्जुह देकर गाने लगाः
लोकां दे हत्थ मालियां ते बाबे दे हत्थ माल|
सारी उमर पिट पिट मर गया खुस न सकया वाल|
चीना इयों छड़ींदा यार! चीना इयों छड़ींदा|
बाप भी वज्द में आकर उसके साथ नाचने लगा और अन्दर परदा खुल गया| हाथ से माला छोड़ दी और कह उठा:
पुत्र जिन्हां दे रंग रंगीले, मापे वी लैंदे तार|
चीना इयों छड़ींदा यार! चीना इयों छड़ींदा |जग में जीवणा थोड़ा राम, कुण करे रे जंजार|
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, भज उतरो भव पार|