बाबा नानक जी का साबर मन्त्र व विधि
बाबा नानक जी का साबर मन्त्र व विधि इस प्रकार है|
ॐ सत्त नाम का सभी पसारा, धरन गगन में जो वर तारा| मन की जाय जहाँ लगि आखा, तहँ तहँ सत्त नाम की राखा| अन्नपूरना पास बैठाली, गई थुड़ो भई खुसाली| चिनत-मनी कलप-तराये काम-धेनु को साथ लियाए, आया आप कुबेर भण्डारी| साथ लक्ष्मी आज्ञाकारी| सत्-गुरु पूरन किया सवारथ| बिच आ बइठे पाँच-पदारथ| राखा बरमा विशुन महेस, काली भैरो हनू गनेस| सिध चौरासी अहै नव-नाथ, बावन वीर जती चौंसाठ| धाकन गगन पिरथवी का बासन रहे, अम्बोल न डोले आसन राखा हुवा| आप निरंकार थुड़ो भाग गई, समुन्दरो पार अतुत भण्डार, अखुत अपार| खात खरचत कुछ होय न ऊना, देव देवाये दूना चौना| गुरु की झोली मेरे हाथ, गुरु-वचनी बन्धे पञ्च तात| वे अण्ट बे-अण्ट भण्डार, जिनकी पैज रखी करतार| मन्तर पूरना जी का सम्पूरन भया, बाबा नानक जी का| गुरु के चरन-कमल को नमस्ते नमस्ते नमस्ते|
बाबा नानक जी का साबर मन्त्र की विधि इस प्रकार है|
किसी भी प्रकार के सांसारिक कष्ट में यह मन्त्र जल की कटोरी सामने रखकर, धूप जलाकर, शुद्ध मन एवं श्रद्धा से पाँच बार प्रतिदिन प्रात:काल पढ़ा करें तो वह कष्ट दूर होता है|