जौ के 8 स्वास्थ्य लाभ – 8 Health Benefits of Barley
जौ पृथ्वी पर सबसे प्राचीन काल से कृषि किये जाने वाले अनाजों में से एक है। जौ में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, अमीनो एसिड, डायट्री फाइबर्स और कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जौ घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का स्रोत होता है। इस गुण के कारण आपको देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। आज हम आपको इसके औषधीय प्रयोग बता रहे हैं।
जौ के 8 औषधीय गुण इस प्रकार हैं:
1. दमा
6 ग्राम जौ की राख 6 ग्राम मिश्री दोनों की पीसकर सुबह, शाम गर्म पानी से फंकी लें| राख बनाने की विधि – जौ किसी बर्तन में डालकर जलते हुए कोयले डालकर जलाएं| जो जल जाने के बाद किसी बर्तन से ऐसा ढक दें कि हवा न जाये| चार घंटे बाद कोयले निकाल कर फेंक दें कि हवा न जाये| चार घंटे बाद कोयले निकाल कर फेंक दें और जले जौ को पीस लें| अथवा जौ को तवे पर इतना सकें कि वो जल जाएं, फिर ऊपर बताए अनुसार करें|
2. दुबलापन
(मोटापा बढ़ाना) दो मुट्ठी जौ पानी में 12 घंटे भिगोएं, फिर चारपाई पर कपड़े पर फैला कर कुछ खुश्क कर लें| इन्हें कूट कर इनका छिलका, तुरन्त उतार दें| बची हुई जौ की गिरी से दूध में खीर बना कर खाएं| कुछ ही सप्ताहों में दुबले-पतले व्यक्ति मोटे हो जाते हैं|
3. पथरी रोग
जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है| पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें जैसे जौ की रोटी, धाणी, जौ का सत्तू लेना चाहिए| इससे पथरी पिघलने से सहायता मिलती है तथा पथरी भी नहीं बनती है|
4. आंतरिक विकार
आन्तरिक रोगों और आन्तरिक अवयवों की सूजन में जौ की रोटी खाना लाभदायक है| चर्म –रोग, जुखाम , कंठ के रोग तथा मूत्र –सम्बन्धी रोगों में जौ खाना लाभप्रद है|
5. गले के रोग
गले में सूजन, अधिक प्यास और जलन हो तो एक कप भर कर जौ कूट लें और फिर उन्हें दो गिलास पानी में आठ घंटे भीगने दें| इसके बाद पानी को छानकर उबालें| जितना गर्म सहन हो उतना गर्म पानी होने पर नित्य दो बार गरारें करें| लाभ होगा|
6. जौ के लाभ
जहां ठोस भोजन नहीं दिया जा सकता, वहां जौ का पानी अच्छा शामक पेय है| सूजन, ज्वर, पेशाब में जलन होने पर विशेष लाभदायक हैं एक कप जौ एक किलो पानी में उबाल कर ठंडा करके बार-बार पिएं|
7. गर्भपात
12 ग्राम जौ का छना हुआ आटा, 12 ग्राम तिल और 12 ग्राम शक्कर महीन पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से गर्भपात नहीं होता है|
8. जलना
जौ जलाकर तिल के तेल में बारीक पीसकर जले हुए स्थान पर लगाएं|
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245
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