प्रदोष व्रत – Pradosh Vrat
प्रदोष का अर्थ है रात्रि का शुभ आरम्भ|इस व्रत के पूजन का विधान इसी समय होता है| इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहते हैं| यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता हैं| इसका उदेशय संतान की कामना है|इस व्रत को स्त्री पुरुष दोनों ही कर सकते हैं| इस व्रत के उपास्य देव भगवान शंकर हैं|
“प्रदोष व्रत” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Audio Pradosh Vrat
विधि:
सांयकाल को व्रत करने वाले को शिव शंकर की पूजा करके अल्प आहार करना चाहिए| कृष्ण पक्ष का शनि प्रदोष विशेष पुण्दायी होता है| शंकर जी का दिन सोमवार है|इस दिन पड़ने वाला प्रदोष सोम प्रदोष कहलाता है| प्रदोष व्रत के लिए श्रावण के हर सोमवार का विशेष महत्व है|