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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

फन्टूश एक शैतान और नटखट लड़का था | उसका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था | घर वाले उसे समझाते थे कि यदि तुम पढ़ोगे-लिखोगे नहीं तो तुम्हारा जीवन व्यर्थ हो जाएगा | वे कहते थे कि पुस्तकों में ज्ञान का भंडार है, ये तुम्हें ऐसी बातों का ज्ञान कराती हैं जिनका ज्ञान कोई व्यक्ति आसानी से नहीं करा सकता |

बिरजू एक गरीब चरवाहा था | दिन भर दूसरों की गाएं चराकर शाम को थका-मांदा घर लौटता था | उसकी कमाई केवल इतनी थी कि मुश्किल से एक वक्त की रोटी जुटा पाता था |

उस्ताद अलाउद्दीन खां के पास दूर-दूर से लोग संगीत सीखने और विचार-विमर्श के लिए आते थे। उनमें अमीर भी होते और गरीब भी। वह सभी को समान भाव से शिक्षा देते थे। एक बार वह अपने बगीचे में अत्यंत साधारण कपड़े पहने हुए काम कर रहे थे। हाथ-पांव मिट्टी से सने थे। उसी समय एक व्यक्ति बढि़या सूट-बूट पहने आया और खां साहब से बोला, ‘ऐ माली, उस्ताद कहां हैं। मुझे उनसे मिलना है।’ खां साहब ने पूछा, ‘क्या काम है?’ उस व्यक्ति ने कहा, ‘मुझे उनसे संगीत सीखना है।’ खां साहब ने कहा, ‘वह अभी आराम कर रहे हैं।’

एक नगर में शमशाद नाम का एक व्यापारी रहता था | उसका कारोबार दूर-दूर तक फैला था | वह बहुत अमीर था | लेकिन वह पहले दर्जे का कंजूस था | एक-एक पैसा वह देखभाल कर खर्च करता था |

सेठ जानसन के पास धन-दौलत और ऐशो-आराम की कोई कमी न थी | उसका गांव में बहुत बड़ा व्यापार था | लोग उसकी इज्जत करते थे |

विदुला का एक ही पुत्र था और वह भी युध्द में लड़ने गया था। माता विदुला बड़ी प्रसन्न थी। उसे इस बात पर बड़ा गर्व था कि भले ही उसकी कोख से एक पुत्र जन्मा, लेकिन जब युध्द का अवसर आया तो वह घर में बैठा नहीं रहा। वह दूसरे वीरों के साथ खुशी-खुशी उससे आज्ञा लेकर अपने शस्त्र सहित युध्द क्षेत्र की ओर तेजी से बढ़ गया।

खजूरी इतनी बातूनी थी कि जहां कहीं उसे कोई बात करने वाले मिल जाए, वह उसे ढेर सारी बातें सुनाए बिना नहीं छोड़ती थी | गांव में उसकी ढेरों सहेलियां थीं | उसका जब कभी बातें करने का मन करता तो कभी किसी के घर चली जाती, तो कभी किसी के घर |

एक बालक नित्य विद्यालय पढ़ने जाता था। घर में उसकी माता थी। मां अपने बेटे पर प्राण न्योछावर किए रहती थी, उसकी हर मांग पूरी करने में आनन्द का अनुभव करती।

अनातो एक सीधा-सादा, भोला-भाला किसान था | वह अपनी पैतृक जमीन पर खेती करने में सारा दिन बिता देता था, शाम को घर आकर भोजन खाकर से जाता था |

एक गांव में हैदर नाम का एक व्यापारी रहता था | गांव में उसकी परचून की दुकान थी | दुकान खूब अच्छी चलती थी क्योंकि परचून की गांव में वह एकमात्र दुकान थी |

गांव में किसान के बेटे की शादी का मौका था | घर में खूब रौनक हो रही थी | स्त्रियां घर में खुशी के गीत गा रही थीं | बाहर चबूतरे पर घर के तथा गांव के अनेक लोग जमा थे |

अयोध्या का परित्याग करने के बाद राजा हरिश्चंद्र विचार करने लगे कि कहां जाएं, क्योंकि सारा राज्य तो उन्होंने दान में दिया है| तभी उन्हें काशी नगरी का स्मरण हो आया| उन्होंने सोचा कि ‘काशी नगरी तो भगवान शंकर की राजधानी है|

एक बार दो राज्यों के बीच युद्ध की तैयारियां चल रही थीं। दोनों के शासक एक प्रसिद्ध संत के भक्त थे। वे अपनी-अपनी विजय का आशीर्वाद मांगने के लिए अलग-अलग समय पर उनके पास पहुंचे। पहले शासक को आशीर्वाद देते हुए संत बोले, ‘तुम्हारी विजय निश्चित है।’

यह घटना मुगलकाल की है| अकबर ने एक बार अपने राजदरबार में सवाल किया कि इस दुनिया में भेड़-बकरियों, घोड़े-गधों के समूह तो दिखाई देते हैं, लेकिन कुत्तों का समूह नहीं दिखाई देता?

गोटिया बहुत ही नटखट लड़का था | उसका दिमाग हरदम शैतानियों में ही लगा रहता था | सब लोग गोटिया की शरारतों से तंग आ चुके थे | गोटिया के मामा चाहते थे कि वह उनके कामों में हाथ बंटाए, परंतु गोटिया का न तो काम में मन लगता था, न ही वह कोई काम तसल्ली से करता था |

एक बार एक किसान किसी काम से शहर गया | जैसे ही शाम होने लगी, उसे लगा कि उसे तुरंत गांव लौट जाना चाहिए | अगर देर हो गई तो अंधेरे में घर पहुंचना मुश्किल हो जाएगा | वह अपना काम अधूरा छोड़कर गांव की ओर चल दिया |

काशी नगरी में राजा हरिश्चंद्र को कोई पहचानता नहीं था| वे अपनी पत्नी के साथ गंगा के किनारे जा पहुचें और हाथ-पांव धोकर, गंगा जल पीकर किनारे पर बैठ गए| पास में ही एक कुत्ता किसी की फेंकी हुई रोटियां चबा रहा था|

राजा भोज वन में शिकार करने गए लेकिन घूमते हुए अपने सैनिकों से बिछुड़ गए और अकेले पड़ गए। वह एक वृक्ष के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। तभी उनके सामने से एक लकड़हारा सिर पर बोझा उठाए गुजरा। वह अपनी धुन में मस्त था। उसने राजा भोज को देखा पर प्रणाम करना तो दूर, तुरंत मुंह फेरकर जाने लगा।

एक बार एक गांव में एक किसान रहता था, परिवार अत्यंत गरीब था और उनकी रोटी की गुजर-बसर मुश्किल से ही हो पाती थी | किसान के विवाह को आठ वर्ष हो चुके थे | परंतु उनके कोई संतान न थी | किसान और उसकी पत्नी को गरीबी का इतना दुख न था, जितना संतान न होने का |

सिमकी का गरीबी के मारे बुरा हाल था | उसके घर में कई-कई दिन तक भोजन नसीब नहीं होता था | उसकी पत्नी रोजिया उसे रोज समझाती कि समझ और मेहनत से काम किया करो, परंतु सिमकी बहुत सीधा, भोला-भाला, मासूम था | इसी कारण हर जगह धोखा खा जाता था |

रोहिताश्व की भूख को देखकर राजा हरिश्चंद्र का धैर्य डगमगाने लगा| संतान का दुःख असहनीय होता है| उन्होंने गंगा के जल में तैरते हुए हंसों को दिखाकर बालक का मन बहलान चाह, परन्तु बच्चा भूख-भूख चिल्ला रहा था|

काशी में गंगा के तट पर एक संत का आश्रम था। एक दिन उनके एक शिष्य ने पूछा, ‘गुरुवर, शिक्षा का निचोड़ क्या है?’ संत ने मुस्करा कर कहा, ‘एक दिन तुम खुद-ब-खुद जान जाओगे।’ बात आई और गई। कुछ समय बाद एक रात संत ने उस शिष्य से कहा, ‘वत्स, इस पुस्तक को मेरे कमरे में तख्त पर रख दो।’ शिष्य पुस्तक लेकर कमरे में गया लेकिन तत्काल लौट आया। वह डर से कांप रहा था। संत ने पूछा, ‘क्या हुआ? इतना डरे हुए क्यों हो?’ शिष्य ने कहा, ‘गुरुवर, कमरे में सांप है।’

बहुत पहले की बात है | एक भिखारी सड़क के किनारे रहा करता था | उसका न तो कोई रहने का ठिकाना था और न ही कमाई का कोई निश्चित जरिया |

एक राजा था| उसका मंत्री भगवान् का भक्त था| कोई भी बात होती तो वह यही कहता कि भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी|

एक गांव के किनारे बनी कुटिया में एक साधु रहता था | वह दिन भर ईश्वर का भजन-कीर्तन करके समय बिताता था | उसे न तो अपने भोजन की चिंता रहती थी और न ही धन कमाने की | गांव के लोग स्वयं ही उसे भोजन दे जाते थे |

दोपहर तक राजा हरिश्चंद्र अपनी पत्नी शैव्या और पुत्र रोहिताश्व  के साथ नगर में भटकते रहे, परन्तु उन्हें कहीं कम नहीं मिला| हारकर वे बाजार में एक किनारे बैठ गए और अपनी पत्नी से बोले, “शैव्या! आज एक महिना पूरा हो रहा है|

मनुष्य को ऐसी शंका नहीं करनी चाहिए कि मेरा पाप तो कम था पर दंड अधिक भोगना पड़ा अथवा मैंने पाप तो किया नहीं पर दंड मुझे मिल गया! कारण कि यह सर्वज्ञ, सर्वसुह्रद, सर्वप्रथम भगवान् का विधान है कि पाप से अधिक दंड कोई नही भोगता और जो दंड मिलता है, वह किसी-न-किसी पाप का ही फल होता है|

किसी गांव में एक लड़का रहता था | उसका नाम था रेम्स | रेम्स अत्यंत बातूनी लड़का था | वह अपनी बातों से अक्सर लोगों को प्रभावित कर लेता था |

विश्वामित्र से यह सब देखा न गया| वे राजा रानी के पास पहुचें और बोले, “अरे! तुम लोग यंहा बैठे हो और मै तुम्हे नगर भर ढूढ़ता फिर रहा हूं|”

सभी मनुष्यों को दो तरह की बीमारी है- आंख की बीमारी और पेट की बीमारी| आंख की बीमारी क्या है?-