एक अमीर आदमी विभिन्न मंदिरों में जनकल्याणकारी कार्यो के लिए धन देता था। विभिन्न उत्सवों व त्योहारों पर भी वह दिल खोलकर खर्च करता। शहर के लगभग सभी मंदिर उसके दिए दान से उपकृत थे। इसीलिए लोग उसे काफी इज्जत देते थे।
बात काफ़ी पुरानी है…गणेशपुर नरेश ब्रहमदत का राजपंडित एक बार वन में एकांत स्थान पर कोई गुप्त मंत्र जप रहा था| तभी वहीं पास लेटे एक सियार के कान खड़े हो गए, वह भी ध्यान से सुनने लगा| कुछ देर बाद राजपंडित खड़ा हुआ और बोला, ‘बस, मुझे मंत्र सिद्ध हो गया|
एक बड़े विरक्त, त्यागी सन्त थे| एक व्यक्ति उनका शिष्य हो गया| वह बहुत पढ़ा-लिखा था| उसने व्याख्यान देना शुरू कर दिया| बहुत लोग उसके पास आने लगे|
एक जंगल में गीदड़ रहता था| उसे एक बार कही से मरा हुआ| हाथी नजर आ गया| वह उसके चारों ओर घूमता रहा| किन्तु उसकी सख्त खाल को फाड़ न पाया, उसी समय उधर से कहीं एक घूमता हुआ शेर आ गया| उस गीदड़ ने शेर के आगे सिर झुकाकर कहा, महाराज यह आपका शिकार है| मैं कल से खड़ा इसकी रक्षा कर रहा हूं|
गंगा नदी के तट पर भगवान का एक परम भक्त नित्य पूजा-पाठ व ध्यान करता था। वह प्रात:काल आता, स्नान करता और आसन लगाकर बैठ जाता। भगवान की भक्ति में जो रमता तो घंटों बिता देता। उसकी यह विशेषता थी कि पूजा या ध्यान के समय कैसी भी विघ्न-बाधाएं आतीं, किंतु वह अपने आसन से टस से मस नहीं होता।
बहुत समय पहले की बात है| काशी नरेश के यहाँ राजू नामक माली काम करता था| एक हिरण रोज़ राजा के बाग में घास चरने आता था| कुछ दिनों में हिरण राजू को देखने का अभ्यस्त हो गया और उसने भागना छोड़ दिया| बहुत समय पहले की बात है| काशी नरेश के यहाँ राजू नामक माली काम करता था|
एक साधारण ब्राह्मण थे| वे काशी पढ़कर आये| सिर पर पुस्तकें लदी हुई थीं| शहर से होकर निकले तो वर्षा आ गयी| पास में छाता था नहीं| अतः एक मकान के दरवाजे के पास जगह देखकर खड़े हो गये| उसके ऊपर एक वैश्या रहती थी| कुछ आदमी ‘रामनाम सत्य है’ कहते हुए एक मुर्दे को लेकर वहाँ से निकले|
एक नगर में एक पंडित रहता था| उसे अपनी पत्नी से बहुत प्यार हो गया था| एक बार इन दोनों पति-पत्नी के परिवार वालों के साथ लड़ाई हो गई| जिसके कारण इन्हें अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में जाना पड़ा|
एक बार काशी नरेश ने कौशल राज्य पर आक्रमण करके वहां के राजा को पराजित कर दिया। कौशल नरेश अपने प्राण बचाने के लिए घने जंगल में जाकर छिप गए। उन्हें पकड़कर लाने वाले को काशी नरेश ने स्वर्ण मुद्राएं पुरस्कार में देने की घोषणा की।
एक जंगल में कुछ बदमाशों की दावत चल रही थी| उनमें से एक न डींग हांकी कि इतनी रात गए भी मैं माँस ला सकता हूँ| फिर वह माँस विक्रेता की दुकान पर गया और बोला, ‘मुझे कुछ माँस चाहिए, मिलेगा?’
एक गाँव में एक ठाकुर थे| उनके कुटुम्ब में कोई आदमी नहीं बचा, केवल एक लड़का रह गया| वह ठाकुर के घर काम करने लग गया| रोजाना सुबह वह बछड़े चराने जाता था और लौटकर आता तो रोटी खा लेता था|
किसी जंगल में एक शेर रहता था| वह नित्य ही हिरण, मोर, खरगोश इत्यादि जानवरों को मारकर खा जाता था| बेचारे जानवर शेर के आतंक से तंग आकर एक दिन जंगल के जानवरों मोर, हिरण, भैंस, खरगोश आदि ने मिलकर यह निर्णय लिया की वे सब शेर के पास जाएंगे और उससे सारी बात तय करेंगे|
इंग्लैंड के राजा जेम्स उपाधि देने के लिए विख्यात थे। अपने शासनकाल में उन्होंने कई लोगों को विभिन्न प्रकार की उपाधियों से अलंकृत किया था। हालांकि जेम्स उसी को उपाधि देते थे जो उसका सही पात्र होता था। किसी को राजा जेम्स ने लॉर्ड की उपाधि दी तो किसी को डच्यूक की।
सियार की पत्नी को एक बार ताजा मछली खाने की इच्छा हुई| उससे मछली लाने का वादा करके सियार नदी की ओर बढ़ चला|
एक लड़का था| माँ ने उसका विवाह कर दिया| परन्तु वह कुछ कमाता नहीं था| माँ जब भी उसको रोटी परोसती थी, तब वह कहती कि बेटा, ठण्डी रोटी खा लो| लड़के की समझ में नहीं आया कि माँ ऐसा क्यों कहती है|
एक जंगल में अनेक प्रकार के जल जन्तुओं से भरा तालाब था| वहां पर रहने वाला एक बगुला बूढ़ा होने के कारण मछलियों को मारने में भी असमर्थ हो गया| वह बेचारा तालाब के किनारे बैठा रो रहा था| उसे इस प्रकार रोता देखकर एक केकड़े को बहुत दुख हुआ|
सम्राट अजातशत्रु ने सुचारु रूप से राज्य संचालन के कुछ नियम बना रखे थे, जिनका पालन सभी के लिए अनिवार्य था। उल्लंघन की दशा में दंड का प्रावधान भी था। सम्राट स्वयं भी इन नियमों का यथाविधि पालन करते थे। इससे उनके राज्य की व्यवस्था पूर्णत: सुगठित थी।
एक जंगल में एक हिरण रहता था| एक दिन उसकी बहन अपने बेटे को लेकर उसके पास आई और कहने लगी, ‘भाई, अपने भांजे को अपनी जाति के गुण सिखा दो|’
एक बनजारा था| वह बैलों पर मेट (मुल्तानी मिट्टी) लादकर दिल्ली की तरफ आ रहा था| रास्तों में कई गाँवों से गुजरते समय उसकी बहुत-सी मेट बिक गयी| बैलों की पीठ पर लदे बोर आधे तो खाली हो गये और आधे भरे रह गये|
एक गांव में देवशंकर नाम का एक पण्डित रहता था| उसके यहां एक बार पुत्र ने जन्म लिया| ठीक उसी औरत के साथ ही नेवले ने भी एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन वह नेवली बेचारी बच्चे को जन्म देते ही मर गई|
एक बार भगवान बुद्ध राजगृह में थे। जनसमूह को नित्य प्रवचन देने के उपरांत सायंकाल बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठकर विभिन्न विषयों पर वार्तालाप किया करते थे। ऐसा करने से शिष्यों का भी ज्ञानवर्धन होता था और बुद्ध को उन सभी का तुलनात्मक बौद्धिक स्तर भी ज्ञात हो जाता था।
एक समय की बात है| पंजाब के महाराणा रणजीत सिंह अपनी राजधानी लाहौर में थे कि उन्हें उनके गुप्तचरों ने खबर दी कि कबीली लुटेरों का एक दल सरहद के सूबे के पेशावर शहर में घुस गया है और उसे लूट रहा है|
स्वर्णनगरी में एक भिश्ती (पानी भरनेवाला) रहता था| वह दिन-रात मेहनत करने के बाद भी मुश्किल से गुज़ारा चला पाता था|
एक बार पक्षियों का राजा अपने दल के साथ भोजन की खोज में जंगल में गया|
महाराज रन्तिदेव मनु के वंश में उत्पन्न हुए थे, इनके पिता का नाम सुकृत था| महाराज रन्तिदेव में मानवता कूट-कूट कर भरी हुई थी| ये प्राणीमात्र में भगवान् को देखा करते थे|
किसी जंगल में चंडल नाम का श्रृंगाल रहता था| एक बार भूख के कारण एक नगर में घुस गया| बस फिर क्या था नगर के कुत्ते उसे देखते ही भौंकने लगे| उसके पीछे-पीछे थे वह बेचारा आगे-आगे भाग रहा था|
एक राजा अपने दरबारियों से पौराणिक आख्यान सुना करता था। एक मंत्री ने राजा को इंद्र और उनके स्वर्ग की कथा सुनाई। राजा ने कहा- मंत्रीजी! स्वर्ग की बात मुझे तो गप लगती है। मंत्री बोला- महाराज! स्वर्ग तो वास्तव में होता है।
राजकुमार असमंजस के पिता महाराज सगर थे| सगर महान् धार्मिक थे| उन्होंने जीवन में एक बार भी अधर्म का आचरण नहीं किया था| उन्होंने पुत्र की प्राप्ति के लिये परमसमाधि के द्वारा भगवान् की आराधना की थी| इससे प्रसन्न होकर महर्षि और्व ने उन्हें दो प्रकार के पुत्र होने का वरदान दिया|
अकबर के वजीर अबुल फजल ने एक बार बीरबल को नीचा दिखाने के उद्देश्य से बादशाह अकबर के सामने ही बीरबल से कहा – “बीरबल! बादशाह सलामत ने तुम्हें अब कुत्तों और सूअरों का वजीर नियुक्त किया है|”
एक बार एक गीदड़ उस जंगल में चला गया जहां दो सेनाएं युद्ध कर रही थी| दोनों सेनाओं के मध्य क्षेत्र में एक नगाड़ा रखा था| गीदड़ बेचारा कई दिनों से भूखा था नगाड़े को ऊँचे स्थान पर रखा देखकर वह कुछ देर के लिये रूका|