Homeशिक्षाप्रद कथाएँअन्याय और बदला

अन्याय और बदला

एक बार एक चील एक खरहे के पीछे पड़ी थी| खरहा भ्रमर के पास भागा| भ्रमर ने चील से विनती कीकि वह खरगोश को न पकड़े| चील नहीं मानी, वह शिकार पर झपटी उसे लेकर उड़ गयी| भ्रमर उसकी रक्षा न कर सका|

“अन्याय और बदला” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio

भ्रमर को गुस्सा आ गया| वह उड़ता हुआ चील के घोंसले में गया और उसके सभी अण्डों को एक-एक कर के गिरा दिया| अंडे फुट गये| अगले वर्ष भी ऐसा ही हुआ| ऐसा कई वर्षो तक होता रहा| चील ने देवता से प्रार्थना की की वे उसके अण्डों को अपनी गोद में रखें ताकि वे सुरक्षित रह सकें| देवता ने बात मान ली|

किन्तु भ्रमर वहाँ भी पहुँच गया| देवता के कानो के पास भनभनाने लगा| उसे भगाने के लिए देवता उठे| तभी अंडे गिर और फूट गये| देवता को कारण का पता था, किन्तु चील की अण्डों की सुरक्षा भी आवश्यक थी| तबसे उन्होंने व्यवस्था बनायी कि जिस मौसम में चील के अण्डे घोंसले में होंगे, भ्रमर सोया रहेगा| वह आज भी सोया  रहता है|

FOLLOW US ON:
गौरव की