Homeअतिथि पोस्टतीन शब्द जन्म लिए, जीवन जीए और मर गये, इससे आगे बढ़कर जीवन का महान उद्देश्य है!

तीन शब्द जन्म लिए, जीवन जीए और मर गये, इससे आगे बढ़कर जीवन का महान उद्देश्य है!

तीन शब्द जन्म लिए, जीवन जीए और मर गये, इससे आगे बढ़कर जीवन का महान उद्देश्य है!

मोहम्मद साहब के 12 दिसम्बर को तथा ईशु के 25 दिसम्बर जन्म के इस पवित्र माह में हम उनकी महान आत्मा को नमन करते हैं। इन दोनों महान आत्माओं ने भारी कष्ट सहकर अपना सारा जीवन लोक कल्याण के लिए जिया। मोहम्मद साहब ने कहा था कि हे खुदा, सारी खिल्कत को बरकत दे। अर्थात हे खुदा, सारे संसार का भला कर। उन्होंने यह भी कहा था कि गरीब का पसीना सुखने के पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए। वहीं ईशु ने मानव जाति के लिए अपना बलिदान करके उनको सुली पर चढ़ाने वाले कठोर हृदय के लोगों में करूणा का सागर बहा दिया था। ईशु ने सुली चढ़ाने वालों के लिए प्रभु से उन्हें माफ कर देने की प्रार्थना की थी। हे प्रभु, ये अपराधी नहीं वरन् ये अज्ञानी है। प्रभु ने ईशु की प्रार्थना सुनकर सुली देने वालों को माफ कर दिया। वे सभी रो-रोकर कहने लगे कि हमने अपने रक्षक को ही सुली पर लटका दिया। ईशु का सन्देश है कि जो ईश्वर की राह पर ध्येयपूर्वक सहन करते हैं परमात्मा उनका इनाम बढ़ा देता है। आज संसार में सबसे अधिक लोग ईशु तथा मोहम्मद साहब को मानने वाले हैं। ईश्वर को मानव सेवा मंे जानना और मानव मात्र से प्यार करना मेरे जीवन का उद्देश्य है!

‘अम्मा’ जयललिता के नाम पर अम्मा ब्रांड वैसे तो सिर्फ तमिलनाडु के लोगों के लिए था, लेकिन इसकी चर्चा पूरी दुनिया में थी। जयललिता ने इनसे जुड़ी सभी योजनाओं को शुरू किया था। अगर उन्हें ब्रांड अम्मा का सीईओ माना जाए तो इससे वह ‘‘न लाभ न हानि’’ में थीं। लेकिन इसने उन्हें करोड़ों के बीच अपना बना दिया। यही कारण है कि उनके निधन की खबर से पूरे तमिलनाडु में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। तमिलनाडु की जनता के दिलों में राज करने वाली जयललिता सिर्फ अम्मा के नाम से ही नहीं जानी जाती थीं बल्कि पूरा तमिलनाडु उन्हें अपनी अम्मा मानता था। इसकी वजह भी कई थे। अम्मा ने अपनी जनता के लिए सभी सामान, सुविधाएं, योजनाएं या तो मुफ्त कर दी थी या फिर उनपर भारी सब्सिडी दी जाती थी। अम्मा की इन योजनाओं से प्रदेश के लोगों को काफी रोजगार भी मिले।

अम्मा के आंचल से निकले उत्पादों में मिनरल वाटर, कुडिनीर थित्तम के अन्तर्गत प्रत्येक दिन 20 लीटर पीने का पानी निःशुल्क, 11 लाख लैपटाॅप छात्रों को वितरित किये, सभी सहायता समूहों को मुफ्त में स्मार्टफोन दिये, कैंटीन में एक रू. में खाना, सभी प्रमुख अस्पतालों में सस्ते दामों की फार्मेसी खोली, बेबी किट मुफ्त में दिये, अम्मा मैरिज हाल बनाये गये, सस्ते में अम्मा सीमेंट दी जाती है, सरकारी अस्पतालों तथा हेल्थ सेंटर्स में मुफ्त इलाज व चेकअप, 14 रूपए प्रति किलो अम्मा नमक, गरीबों में अम्मा ग्राइंडर बंटवाया, काॅल सेन्टर, टीवी, सिनेमा, पंखे, बीज आदि मुफ्त बांटा गया। हमारा मानना है कि सरकार देश के प्रत्येक नागरिक को जमीन तथा रोजगार नहीं दे सकती लेकिन न्यूनतम मासिक आय के तहत सरकारी खजाने से पैसा दे सकती है। ऐसी व्यवस्था किसी एक राज्य के लिए नहीं वरन् पूरे देश के लिए होनी चाहिए। ‘अम्मा’ जयललिता को उनके लाखों समर्थकों ने आंसुओं के सैलाब के साथ विदा किया। जयललिता की अंतिम यात्रा के दौरान चेन्नई के राजाजी हाॅल से लेकर मरीना बीच तक सड़कों पर सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे। अम्मा जनता के दिलों की धड़कन बनकर धड़कती थी। हम परमात्मा से इस महान आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करते है। पवित्र बाईबिल में कहा गया है कि ईश्वर बड़ी जिम्मेदारी अपने मजबूत-संवेदनशील बेटे-बेटी को सौंपता है।

सरकारी राशन की दुकानों पर आने वाली राशन की बोरियों में गेहूं-चावल के बराबर ही सीमेंट और मिट्टी निकल रही है। लखनऊ के इंदिरा नगर के ब्लाॅक-ए स्थित कोटेदार सुरेश शर्मा की दुकान में मिलावट की पोल खुली। कोटेदार सुरेश के अनुसार तकरीबन सभी बोरियों में तीन से चार किलो राशन भी कम मिलता है। इससे पहले बुद्धेश्वर और ऐशबाग स्थित गोदामों में चल रहा घपला उजागर होने पर गोदाम प्रभारियों को सस्पेंड किया जा चुका है। डाॅ. राम मनोहर मिश्र, एमडी, आवश्यक वस्तु निगम ने कहा है कि मामला गंभीर है। इसकी जांच करवाई जाएगी। गोदाम स्तर पर राशन की बोरियों में गड़बड़ी पाए जाने पर जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी। खाने-पीने की चीजों नुकसान पहंुचाने वाले तत्वों की मिलावट करने वाले लोगों के सेहत से खेलने वाले बड़े अपराधी हैं। ऐसी मिलावट करने वालों को उम्र कैद की सख्त सजा देनी चाहिए। ऐसा कानून बनाने से मिलावटखोरों के हौसले पस्त होंगे। ईमानदारी से नौकरी या व्यवसाय करके अपनी आत्मा के विकास का एकमात्र तथा सबसे सरल उपाय है। अपनी आत्मा को मारकर जीना भी कोई जीना है। यह जीवन तो मुर्दे के समान जीना हुआ। पवित्र रामायण में कहा गया है कि परहित से बड़ा कोई धर्म नहीं है तथा दूसरे को कष्ट पहंुचाने से बड़ा कोई अधर्म नहीं है। प्रभु राम को निर्मल मन वाले प्रिय हैं। जीवन में छल-कपट करने वाला उन्हें प्रिय नहीं है। गीता हमें प्राणी मात्र के हित में रत हो जाने का संदेश देती है। हमें अपने प्रत्येक कार्य-व्यवसाय को लोक कल्याण की भावना से करना चाहिए। ईमानदारी से नौकरी या व्यवसाय करना ही अपनी आत्मा के विकास का सबसे सरल तथा एकमात्र उपाय है।

सर्दी की ठिठुरन भरी सुबह। करीब नौ बजे लखनऊ के अलीगंज स्थित आंचलिक विज्ञान नगरी बस स्टाॅप के पास एक बुजुर्ग को सड़क किनारे घायल पड़ा देख कुछ युवा रूक गए। आपस में बातचीत के बाद कहीं फोन मिलाया। कुछ ही देर में एम्बुलेंस आ गई। युवाओं ने ठंड से कांप रहे गंभीर रूप से घायल बुजुर्ग को एम्बुलेंस में चढ़ाया और अस्पताल लेकर चले गए। इस बीच कई राहगीर भी रूक गए और मामले की जानकारी होते ही युवाओं की सराहना करने लगे। युवकों ने बुजुर्ग को इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल पहुंचाया। सबसे बड़ी बात यह है कि युवा किसी स्वयंसेवी संस्था के न होकर कालेज के छात्र हैं। निःस्वार्थ भाव से किसी जरूरत मंद की सेवा सबसे बड़ी पूजा है। संसार के प्रत्येक जीव में भगवान का वास है। भ्रष्टाचारियों, मिलावटखोरों, घपलाबाजों, आतंकवादियों, संवेदनहीन का कोई धर्म नहीं होता। ये मानवता के सबसे बड़े शत्रु हैं। बड़े प्यार से मिलना सबसे दुनियां मेें इन्सान रे, क्या जाने किस भेष में बन्धु मिल जायें भगवान रे। ये स्वयंसेवी छात्र बुजुर्ग व्यक्ति की मदद करके एक तरह से प्रत्यक्ष भगवान का कार्य ही तो कर रहे हैं। मानवता के जज्बे को लाखों सलाम। मीडिया को भी इस समाचार को प्रमुखता के साथ प्रकाशित करने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद। मानवीय मीडिया की मानवता सदा ऋणी रहेगी।

अस्पताल में भर्ती ट्राफिक संचालक समाजसेविका डोरिस फ्रांसिस ने अपने दुख को छोटा समझकर चार साल की सिया की मदद की। आर्थिक दौर से गुजर रही डोरिस फ्रांसिस का इलाज दान के पैसों से हो रहा है। सिया के दिल में छेद है, जिसकी सर्जरी होनी है, लेकिन मां गंगा देवी के पास रूपये न होने के कारण सर्जरी नहीं हो सकी है। सर्जरी में करीब तीन लाख रूपये का खर्च आएगा। डोरिस ने मदद के मिले पैसों में से 50 हजार रूपये देकर सिया की मदद की। वहीं अस्पताल ने मदद करते हुए केवल डेढ़ लाख रूपये में सिया की सर्जरी करने की बात कही है। छह महीने पहले गंगा देवी के पति को सिया की बीमारी के बारे में पता चला तो वह आॅपरेशन के लिए पैसे जुटाने की बात कहकर घर छोड़कर चले गए। सिया की मां तब से लोगों से कर्ज लेकर काम चला रही है। पहचान पत्र न होने के कारण कहीं काम नहीं मिल रहा है। इस तरह के लोगों की मदद करने की जनता तथा सरकार को स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए। विश्व के कई देशों में रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, न्याय, स्वास्थ्य जैसी अनिवार्य आवश्यकताओं का इंतजाम प्रत्येक नागरिक के लिए सरकारों ने कर रखे हैं। यदि सरकार यह इंतजाम नहीं कर सकती तो उसे प्रत्येक वोटर की न्यूनतम मासिक आय निश्चित करने का कानून बनाना चाहिए। इस बारे में जनता की राय जानने के लिए जनमत संग्रह करना चाहिए।

अनूठी है कोलकाता गर्ल प्रिया की संघर्ष की कहानी, दिन में मैनेजमेंट की क्लास कर रात में सड़क पर बेचती है किताबें। प्रिया की रोज सुबह 7 बजे क्लास शुरू होती है, छुट्टी होते-होते अक्सर शाम हो जाती है। इसलिए पार्ट टाइम जाॅब मुश्किल था। लेकिन रात 8 बजे के बाद क्या काम किया जाए, इसका उपाय जरूर मिल गया। मैनेजमेन्ट स्कूल एक दोस्त ने प्रिया को कमीशन के आधार पर किताबें बेचने की जगह बताई। नैशनल ज्याॅग्रफिक, डिस्कवरी की तरह विज्ञान आधारित और दूसरी किताबें बेचती थी। प्रिया शाम से लेकर आधी रात तक इन पाठकों तक पहुंचने का एक दुस्साहसिक काम करती हैं।

हरमन हेस अपनी किताब ‘सिद्धार्थ’ में लिखते हैं, ‘मैंने हमेशा यही माना है, अभी भी मानता हंू कि अच्छा या बुरा जो राह में आए, हम उसे एक अर्थ दे सकते हैं, उसे किसी मूल्य में बदल सकते हैं।’ मैनेजमेन्ट गुरू ब्रियान ट्रेसी कहते है, ’अपना 80 प्रतिशत समय आने वाले कल के अवसरों पर लगाएं। बीते कल की चिंताओं पर नहीं।’ मोटिवेशनल स्पीकर डेल कार्नेगी कहते है, ’दूसरों में स्वाभाविक रूचि लेकर आप ज्यादा दोस्त बना सकते हैं, बजाय यह कोशिश करने में कि लोग आपमें रूचि लें। हमारी सोच ही हमारी दुनिया है। सोच की खिड़कियां जितनी छोटी होती हैं, आकाश उतना ही कम नजर आता है। बात केवल सोच के दायरे की नहीं है। समस्या यह भी है कि हम उन खिड़कियों को लोक कल्याण से भरे कार्यों के द्वारा समय-समय पर साफ भी नहीं करते।

छोटी सोच के चंद लोगों ने ही संसार में उत्पात मचाकर लोगों का जीवन दुखदायी बना रखा है। आतंकवाद, नक्सलवाद, मिलावट, ड्रग्स तस्करी, काला धन, भ्रष्टाचार, हिंसा आदि स्वार्थपूर्ण छोटी सोच से ही फलती-फूलती है। नीति के साथ नियम भी हमारी अच्छी होनी चाहिए। हर कार्य के पीछे छिपी भावना हमारी पवित्र होनी चाहिए। बच्चों का बाल्यावस्था से विश्वव्यापी दृष्टिकोण तथा विश्वव्यापी संवेदना विकसित करनी चाहिए। यह सारी धरती अपनी है पराई नहीं। ईश्वर एक है, धर्म एक है तथा मानव जाति एक है। विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमारा हृदय धरती के प्रत्येक जीव की खुशहाली के लिए धड़कना चाहिए। जीवन की अंतिम सांस तथा खून का अंतिम कतरे तक हमारा जीवन एकमात्र लोक कल्याण के लिए हो। इसी में स्वयं के तथा परिवार के कल्याण का हित छिपा है। परिवार, स्कूल तथा मीडिया का एकजुट प्रयास सामाजिक परिवर्तन ला सकता है। हमें अपने प्रत्येक कार्य तथा निर्णय लेने के पूर्व यह देख लेना चाहिए कि उससे समाज के अन्तिम पंक्ति के व्यक्ति का क्या लाभ होगा?

प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719

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