नोटबंदी विपक्ष के लिए भी मानव जाति की सेवा का मौका है
नोटबंदी के बंद आयकर कानून में संशोधन का विधेयक आ गया। इस विधेयक ने कई और सवालों को जन्म दे दिया है। इस सबके बीच देश की सभी ईमानदार लोगों का यह अहसास और गहरा हुआ है कि यदि लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था को सही तरह से आगे बढ़ना है तो उसे असमान वितरण और काली पूंजी, इन दो कमियों से जल्द से जल्द मुक्ति पानी होगी। नोटबंदी सरीखे सीमित कदमों से काला धन नहीं मिटाया जा सकता। बेनामी चुनावी चंदे को अवैध बना कर सभी दलों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने तथा दलगत कोष को पारदर्शी और दल नेता को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। चुनौती हमेशा सुअवसर लेकर भी आती है। ऐसे सुअवसर का भरपूर लाभ उठाना ही समझदारी है। नोटबंदी केवल सरकार के लिए ही नहीं वरन् विपक्ष के लिए भी राष्ट्र की सेवा का सुअवसर है। विपक्ष को भारत की संस्कृति, सभ्यता तथा सबसे बड़े लिखित संविधान की गरिमा तथा गौरव के अनुकूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर दुनिया के सामने मिसाल प्रस्तुत करनी है। भारत को जगत गुरू की भूमिका पुनः दिलाने का यह सुनेहरा मौका विपक्ष के हाथ है। विपक्ष चाहे तो वह राजनीति अर्थात राज्य के कल्याण के भविष्य के गर्भ में पल रहे शुभ संकेत को पहचानकर संर्कीण तथा दलगत राजनीति से ऊपर अपने को स्थापित कर सकता है। आज भारत की ओर सारी दुनिया बड़ी आशा से देख रही है।
नोटबंदी की चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को पहले लेसकैश और उसके कैशलेस व्यवस्था की ओर ले जाने का आह्वान किया है। ऐसे संकट सबके लिए कुछ न कुछ करने का अवसर लेकर आते हैं। नोटबंदी केवल सत्तारूढ़ दल के लिए ही नहीं, विपक्ष के लिए भी मौका है। नेता वह होता है जो भविष्य के बदलाव का पहले से अंदाजा लगा ले। देश के अलग-अलग हिस्सों से खबरें आ रही हैं कि किस तरह चाय वाले, रिक्शे वाले, पान वाले और छोटे दुकानदारों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इन आम लोगों की लेसकैश की पहल से दूसरों को भी प्रेरणा मिल रही है। देखना है कि कौन इस अवसर का लाभ उठाएगा और कौन इसे गंवा देगा? दिमाग बहुत ताकतवर होता है।
देश में जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की खैर नहीं होगी। वसूली में फंसे ऐसे कर्जों और उनमें उलझी संपत्तियों के मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए 1 दिसम्बर 2016 से नई संहिता लागू हो रही है। इस संहिता से शोधन अक्षमता पर सलाह देने वाली एजेंसी का पंजीकरण शुरू हुआ है। फंसी संपत्तियों को मुक्त करने का काम शीघ्रता से संपन्न होगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि इस नई व्यवस्था से बड़ी उम्मीदें हैं। उन्हें विश्वास है कि एक साल के अंदर इसके परिणाम मिलने लगेंगे। अपनी क्षमता से अधिक कर्ज लेकर मंुह छुपाकर जीने के लिए अपने को मजबूर न करे। इस संसार में हम स्वाभिमान के साथ जीने के लिए आये है। अंधेरी रात के साये में दीये बनकर जीए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ताजातरीन ‘मन की बात’ कार्यक्रम में केन्या का जिक्र करते हुए कहा था कि वहां का पूरा बिजनेस सिस्टम मोबाइल लेन-देन की ओर शिफ्ट हो रहा है। सरकार ने गोल्ड रखने की लिमिट के नियमों को फिर से प्रभावी ढंग से लागू करने का इरादा जताया है। इसके पीछे कारण है कि सरकार को नोटबंदी के बाद ऐसी खबरें मिलीं हैं कि लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को सबसे अधिक गोल्ड खरीदकर वाइट बनाया है। नोटबंदी के बाद से यह सिलसिला जारी है। यही कारण है कि अब सरकार के निशाने पर बैंक लाॅकर हैं। अब सरकार के इस कदम से अवैध संपत्ति के रूप में सोना रखने वालों को सरकार के संकेत तो मिल ही गए होंगे, साथ ही सरकार का यह स्पष्टीकरण उन लोगों के लिए राहत भरी खबर है, जो अफवाहों के कारण अपने व्हाइट मनी से खरीदे गए सोने को लेकर फिक्रमंद थे।
नोटबंदी के दौर में गुजरात में एक छोटा सा गांव नोटबंदी को लेकर बिलकुल भी चिंतित नहीं है क्योंकि वहां के लोग कैश में डील ही नहीं करते और यह काम अब से नहीं बल्कि पिछले डेढ साल से है। गुजरात के अहमदाबाद शहर से लगभग 90 किमी दूर साबरकांता डिस्ट्रिक्ट में पड़ने वाला अकोदरा गांव कैशलैस है यहां लोग लेन देन का काम कैश में नहीं बल्कि ई-बैंकिंग के जरिए करते हंै। जल्द ही 12 डिजिट वाला आधार नंबर आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड सहित हर तरह के ट्रांजैक्शन की जगह ले सकता है। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथाॅरिटी आॅफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने आधार के माध्यम से बायोमीट्रिक अथाॅन्टिकेशन को मौजूदा 10 करोड़ से 40 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है इससे कैशलेस सोसायटी को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफाॅर्म मुहैया कराया जाएगा। बैंकों में नकदी की कमी से लोगों को हो रही दिक्कतों को दूर करने के लिए भाजपा सांसद सप्ताहांत की संसद की छुट्टियों में अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण देंगे। साथ ही किसानों व छोटे व्यापारियों की मंडी और बैंकों के साथ आ रही दिक्कतों को दूर करने में मदद करेंगे।
विपक्ष के रवैये के कारण जिस तरह संसद के कीमती दिन बर्बाद होते हैं उससे यह और अच्छे से स्पष्ट हुआ कि उसकी दिलचस्पी नोटबंदी के बाद उपजे हालात पर बहस की नहीं, बल्कि हंगामा करते रहने की है। पहले कई विपक्षी दल नोटबंदी के फैसले को वापस लेने पर अड़े थे, फिर जब उन्हें यह अहसास हुआ कि यह तो संभव ही नहीं तो फिर वे जनता की परेशानी का जिक्र करके बहस की जिद करने लगे। जब सरकार बहस को तैयार हुई तो विपक्ष ने उसे अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में बहस हुई होती तो विपक्ष जनता की परेशानी दूर करने में सहायक बनने वाले सुझाव देने में भी समर्थ होता और साथ ही सरकार पर इसके लिए दबाव बनाने में भी कि वह अपनी मशीनरी को और सक्रिय करे। संसद में कोई भी निर्णय लेने के पहले यह सोचा जाना कि उस निर्णय से समाज के सबसे अन्तिम व्यक्ति को क्या लाभ होगा?
सबसे बड़ी पंचायत में देश प्रेम से ओतप्रोत होकर बहस की जगह समाधानपरक परामर्श होना चाहिए। जनता के प्रतिनिधियों को वेतन-भत्ता इसलिए दिया जाता है कि वह देश हित में कार्य करें। जनता के खून-पसीने के टैक्स के पैसों से चलने वाली सरकार को उसकी खून-पसीने की कीमत ईमानदारी से चुकानी चाहिए। लोकतंत्र की सुन्दरता इसी में है कि समस्या का समाधान निकलकर आये। देश की जनता को बयानबाजी में नहीं उलझाना चाहिए। जनता समाधान मांगती है। यदि माननीय जन प्रतिनिधि ऐसा नहीं करते हैं तो वे स्वयं देश के लिए सबसे बड़ी समस्या हैं। अब देश की जनता अच्छी तरह सरकार चलाने के लिए दूसरा विकल्प भी निकालना जानती है। संसद के लिए ‘‘कार्य के बदले वेतन’’ का कानून बनाने के लिए जनता को विवश न किया जाये। जिस दिन संसद ठप्प होगी उस दिन का वेतन-भत्ता काटे जाने का कानून बनना चाहिए। देश तथा प्रदेश के लिए कानून बनाने वाले माननीय सांसद तथा विधायक समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करें। संसद की प्रतिक्रिया तथा असर समाज में बड़े स्तर पर होता है।
नोटबंदी से उपजी चुनौतियों से निपटने में पंचायतें और सरपंच अहम भूमिका निभा सकते है। देश व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसमें सभी का सहयोग जरूरी है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को यहां सरपंचों के सम्मेलन में इसके लिए उनकी मदद की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी साहसिक कदम उठाकर अपनी कुर्सी दांव पर लगा सकते हैं तो फिर सरपंचों को भी अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए जोखिम उठाने का संकल्प लेना चाहिए। 2 दिसम्बर 2016 से कैशलेस हो जाएगा महाराष्ट्र ठाणे का धसई गांव। गांववासियों के देश प्रेम के इस जज्बे के लिए लाखों सलाम।
श्री यशवंत सिन्हा, वरिष्ठ नेता, बीजेपी ने कहा कि यदि हम खुद को पार्टियों के घरौंदों में कैद करके न रखें और मित्रता का दायरा बड़ा करें तो दोस्ती की बदौलत बहुत से काम स्वतः हो जाते हैं। हमारा मानना है कि पार्टी से बड़ा देश होता है। देश प्रेम के लिए पद, सम्मान, धन, परिवार, जान सब कुछ कुर्बान किया जा सकता है। एक सैनिक लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपनी जान कुर्बान करता है। सैनिक मोर्चे पर, कलम का सिपाही देश के अंदर और किसान अपनी कर्मभूमि खेत में जीतोड़ अपना सब कुछ कुर्बान करता है। इसी प्रकार समाज के अन्य वर्ग देश के लिए अपनी सर्वोच्च सेवायें अर्पित करते हैं। एक सच्चे राजनेता को इन देश भक्तों के विश्वास तथा कुर्बानी को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। जय जवान, जय किसान।
कोई भी देश सबसे शक्तिशाली तब बनता है, जब सबसे ज्यादा शक्ति उसके नागरिकों के पास हो। चीजों को बदलने की शक्ति, गलत को सबके सामने लाने की शक्ति और सही को उसका हक दिलाने की शक्ति। आम लोगों को वोट के अधिकार के द्वारा ऐसी ताकत दी गयी है कि लोग खुद आगे बढ़कर बदलाव का हिस्सा बनें। प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक बदलाव का केन्द्र बनना चाहिए। किसी व्यक्ति एक अच्छा आइडिया दुनिया को सृजन की राह पर ले जा सकता है या किसी व्यक्ति का एक बुरा आइडिया दुनिया को विनाश में झोक सकता है। समाज को अच्छा बनाने की जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति पर है। लोकतंत्र ने प्रत्येक वोटर को वोट की सबसे बड़ी शक्ति दी है। संविधान ने अपने नागरिकों को अनेक संवैधानिक अधिकार के साथ कर्तव्य भी दिये हैं। देश संविधान से चलता है। वोटर के एक-एक वोट से सरकार बनती है। सरकार संविधान के अन्तर्गत कार्य करें इसके लिए मीडिया का सशक्त माध्यम हमें मिला है। लोकतंत्र के चार स्तम्भ हैं – कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका तथा मीडिया। इन चारों स्तम्भों को मजबूत, स्वतंत्र तथा नैतिक बनाये रखने में ही लोकतंत्र की इमारत टिकाऊ बनेगी।
अमेरिका की विश्वविख्यात टाइम मैगजीन के पाठकों ने ‘पर्सन आॅफ द ईयर-2016’ संबंधी आॅनलाइन सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा पसंद किया है। इस चुनाव में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंप, निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और विकीलीक्स के जूलियन असांजे को भी शामिल किया गया था। यह लगातार चैथा साल है, जब टाइम मैगजीन के ‘पर्सन आॅफ द ईयर’ के दावेदारों में मोदी को शुमार किया है। मोदी भारत के ही नहीं वरन् वल्र्ड के सर्वश्रेष्ठ नेता है। इस लोकप्रियता ने मोदी के दायित्व सारी मानव जाति के कल्याण के प्रति बड़ा दी है। नोटबंदी द्वारा मोदी ने भ्रष्टाचार, कालाधन तथा आतंकवाद पर जबरदस्त चोट की है। मोदी जी की विश्व में सर्वश्रेष्ठता की यह जीत उनके कुशल नेतृत्व की जीत है। इस लोकप्रियता के पीछे छिपी भावना यह हो सकती है कि विश्व की मानवता मोदीजी के वैश्विक कुशल नेतृत्व के अन्तर्गत अपने सुरक्षित भविष्य को देख रही है। मोदी जी को मानव जाति को निराश नहीं करना चाहिए। उन्हें हर पल आगे ही आगे बढ़ना है। जब तक धरती के एक भी घर में अन्धेरा है तब तक सूरज तुझे जलते रहना है।
मोदी जी को विश्व एकता के लिए अगला कदम उठाना चाहिए। अब मोदी को भारतीय संस्कृति के आदर्श वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम् को साकार रूप देने के लिए विश्व की सरकार के गठन की पहल करना चाहिए। भारत ही विश्व में शान्ति तथा एकता स्थापित कर सकता है। मोदी जी को आज की युवा पीढ़ी को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन विश्व भर में घूमकर करने के लिए विश्व की एक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनानी चाहिए। देशों की सीमाओं से विश्व को मुक्त करना चाहिए। अमीर देश-गरीब देश का अन्तर खत्म करना चाहिए। प्रकृति प्रदत्त इस धरती पर इसमें पलने वाले प्रत्येक जीव का बराबर का अधिकार है। जैसे यह देश हमारा है वैसी ही यह धरती हमारी है परायी नहीं।
प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
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