नोटबंदी के उद्देश्य को सफल बनाने में देश भक्ति का संदेश छिपा है! (देश के लिए अपना-अपना करो सुधार तभी मिटेगा भ्रष्टाचार)
लोग 500 और 1000 रूपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने को सरकार के स्मार्ट अभियान की तरह देख रहे हैं लेकिन लोग ब्लैक मनी को सफेद करने के लिए ओवर स्मार्ट तरीके खोजने की कोशिश भी कर रहे हैं। कहीं यह कोशिश ऐसे लोगों पर भारी न पड़ जाए। नोटबंदी की घोषणा के बाद अचानक चुनाव सुधार का एजेंडा हावी हो गया है। चुनाव सुधार के हिमायती मोदी सरकार से तुरंत चुनाव में काले धन के उपयोग को रोकने की मांग कर रहे हैं। 16 नवंबर को संसद सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी वर्तमान सत्र में चुनाव में स्टेट फंडिग पर बहस करने की बात कही। मौका देखते हुए चुनाव आयोग ने सुधार के प्रस्ताव फिर सरकार को दिए हैं। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या श्री नरेंद्र मोदी इस मोर्चे पर भी सख्त फैसला लेंगे? स्टेट फंडिग का प्रस्ताव के मायने हैं – राजनीतिक दलों को काॅरपोरेट डोनेशन बंद करे, नेशनल इलेक्शन फंड के तहत सभी राजनीतिक दलों को स्टेट फंडिग करें, साथ ही सरकार चुनाव में लड़ने के लिए कुछ जरूरी सामानों को सब्सिडी के रूप में दे, जिससे बेनामी रास्तों से होने वाले खर्च पर अंकुश लगे। आई.टी.आई. के तहत राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में जानने का लोकतंत्र के अभिभावक जनता को पूरा हक है। देश के लिए अपना-अपना करो सुधार तभी मिटेगा भ्रष्टाचार
सरकार ने 1000 और 500 के नोट बैन करने के फैसले के बाद आॅन स्पाॅट स्थिति का जायजा लेने के लिए 27 टीमें बनाई हैं, जो सभी राज्यों का दौरा करेंगी। सरकार की ओर जारी अधिसूचना के अनुसार, ये अधिकारी लौटकर अपना सुझाव सरकार को देंगे। साथ ही बीजेपी ने अपने सभी सांसदों से नोटबंदी की जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मांगी है। काला धन को बढ़ावा देने वाले लोगों को अब समझना चाहिए कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून के हाथ बहुत होते हैं। संविधान तथा कानून-न्याय व्यवस्था को कमजोर बनाने वालों को देशद्रोही की श्रेणी में रखकर सख्त सजा दी जानी चाहिए।
भूतकाल में भारत सहित अन्य देशों में नोटबंदी का कदम अच्छे तथा बुरे परिणाम के साथ उठाये जा चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई के कार्यकाल में नोटबंदी की गयी थी। सोवियत यूनियन ने कालेधन पर लगाम लगाने के उद्देश्य से मिखाइल गोरबाचेव ने जनवरी 1991 में 100 और 50 के रूबल बंद कर दिए थे। उत्तर कोरिया में 2010 में तत्कालीन तानाशाह किम जोंग-2 ने कालाबाजारी खत्म करने और इकाॅनामी पर कंट्रोल करने के लिए पुरानी करेंसी के फेस वैल्यू से दो जीरों कम कर दिए थे। घाना की सरकार ने भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी पर लगाम कसने के उद्देश्य से 1982 में यहां 50 सेडी पर बैन लगा दिया गया था। म्यांमार की सैन्य सरकार ने 1987 में सर्कुलेशन में चल रही करीब 8 फीसदी करेंसी पर बैन लगा दिया था। नाइजीरिया के मोहम्मद बुहारी की सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए पुरानी करेंसी बंद कर दी थी। हम सोचे कि हम भारत को मजबूती से खड़े रहने के लिए क्या कर सकते हैं? विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखना है क्योंकि राजनीतिक तथा आर्थिक रूप से मजबूत भारत ही विश्व में एकता तथा शान्ति स्थापित करेगा।
आजकल हमारे देश में नोटों को लेकर काफी उथल-पुथल चल रही है। जेब में पैसे हैं, जिनकी कोई कीमत नहीं। कागज के नोट हो, चाहे सोना-चांदी हो या जमीन-जायदाद हमें इनको इकट्ठा करने का बड़ा शौक है। लोग इसी से प्रसन्न होते हैं कि हमारे पास इतना अंबार है। उसका उपयोग करने का ख्याल उन्हें नहीं आता। लेकिन दुनिया के कई देशों में धन की ऐसी उतवाली दिखाई नहीं देती। आखिर धन के बारे में हमारा रवैया इतना स्वार्थपूर्ण क्यों है? एक तरफ आध्यात्मिकता की इतनी ऊँचाई और दूसरी तरफ धन वैध-अवैध किसी भी तरीके से प्राप्त इतनी अधिक स्वार्थपूर्ण लालसा। धन आवश्यक है लेकिन अति आवश्यक नहीं है। पैसा जेब में होना चाहिए मस्तिष्क में नहीं। धन समाज की रगों में दौड़ता हुआ खून है। यह जितनी तेजी से दौड़ेगा, उतना ही उस समाज का प्रत्येक नागरिक शक्तिशाली तथा युवा होगा। जहां-जहां खून रूक जाएगा, वहीं-वहीं बुढ़ापा शुरू हो जाएगा। यही हालत भारतीय समाज की हो गयी है। पैसे को लेकर एक असुरक्षा बोध है हमारे लोगों के मन में कि न जाने कल क्या होगा, इसलिए आज खर्च मत करो। जबकि पैसा एक ऊर्जा है, और इस ऊर्जा को लोक कल्याण की ओर बहते रहना चाहिए। बच्चों को बाल्यावस्था से ही भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक गुणों की संतुलित शिक्षा मिलनी चाहिए।
देश और समाज के लिये जज्बा ऐसा है कि बड़े से बड़ा शख्स भी हैरत में पड़ जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल ही में 500 व 1000 के पुराने नोट बंद करने की घोषणा को अधिकांश देशवासियों का समर्थन मिला। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पीएम मोदी की इस मुहिम का अपने तरीके से हिस्सा बनना चाह रहे हैं ऐसे ही हैं सचिन शर्मा, जिन्होंने शुक्रवार को पूरे दिन सैलून की सभी सेवाएं मुफ्त में देने को घोषणा की है वह अपने इस आॅफर का जोरशोर से प्रचार-प्रसार कर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
कालेधन पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार का अगला कदम बड़ी खरीद-फरोख्त या लेनदेन में नकदी इस्तेमाल की सीमा तय करने का हो सकता है। कालेधन पर सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तीन लाख से ज्यादा के नकद खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। आर्थिक विशेषज्ञ डा. अतुल सिंह के मुताबिक, बेनामी संपत्ति कानून 2016 को सख्ती से लागू करने के लिए केन्द्र को राज्यों का सहारा लेना जरूरी होगा। वही, नकदी खर्च की सीमा तय होने से बड़ी तादाद में बेनामी संपत्ति के मामले खुद-ब-खुद सामने आ जाएंगे। जिस प्रकार गरीबी की सीमा रेखा निर्धारित है उसी प्रकार अमीरी की सीमा रेखा भी निर्धारित होनी चाहिए। अमीरी की सीमा रेखा निर्धारित होने से कोई इतना अमीर नहीं बन पायेगा तक वह अपने व्यापारिक हित में किसी देश की राजनीति, कानून तथा आर्थिक व्यवस्था को चरामरा दें।
कश्मीर घाटी में 132 दिनों की बंदी के बाद जिंदगी पटरी पर लौट आई। लोगों के चेहरे खिल गए। घाटी में 8 नवंबर को घोषित नोटबंदी का असर इसलिए भी नहीं दिखाई दिया क्यांेकि घाटी में व्यापार और अन्य गतिविधियां मध्य जुलाई से ही बंद थी। श्रीनगर के बाजारों में दिखी भारी भीड़ दिखाई पड़ी। 10वीं, 12वीं की परीक्षाओं ने परीक्षा केन्द्र तक पहुँचने के लिए पहली बार सार्वजनिक वाहनों का उपयोग किया। हमें विश्वास है कि 4 महीने बाद धरती के स्वर्ग कश्मीर में शिक्षा, व्यवसाय, पर्यटन, रोजी-रोटी, शान्ति रूपी अनेक फूल सदा खुले रहेंगे।
माइक्रोफाइनेंस की दुनिया के दिग्गज और नोबेल विजेता मुहम्मद यूनूस ने कहा, अगर ब्लैकमनी को पैदा करने वाले तौर तरीकों पर वार न किया गया तो काले धन का जाल नहीं टूटेगा। उन्होंने इस समस्या की तुलना पानी के ऐसे टैप से की, जो लीक कर रहा हो। उन्होंने कहा, ’यह तो ऐसा ही है कि मैं अपने फ्लोर पर फैले हुए पानी को साफ करने में जुटा रहूं, लेकिन उस टैप को बंद न करूं, जिससे पानी लगातार चला आ रहा है। उस टैप के लीक को बंद करना होगा जिससे पानी लगातार बह रहा है।
काले धन को दूसरों के बैंक खाते में जमा कराने वालों को इनकम टैक्स डिपाॅर्टमेंट ने वार्निग दी है। उसने कहा है कि इन लोगों के खिलाफ हाल ही में बने बेनामी ट्रांजैैक्शंस एक्ट के तहत मुकदमा चलेगा। इस कानून में दोषियों पर पेनाल्टी लगाने और अधिकतम 7 साल की कैद जैसे प्रावधान हैं। सरकार के सख्त सजा के इस फैसले का प्रत्येक ईमानदार तथा जिम्मेदार नागरिक द्वारा हार्दिक स्वागत है।
नोटबंदी के बाद से पिछले 8 दिन में दाल की कीमतें दो बार बढ़ चुकी है, लेकिन कुछ दिनों बाद इनमें कमी आने के आसार हैं। इंडियन पल्स ऐंड ग्रेन एसोसिएशन का कहना है कि कीमतों में उतार-चढ़ाव सिर्फ दो सप्ताह चलेगा। फिर दाल की कीमतें वास्तविक स्तर पर आ जाएंगी। नोटबंदी के साथ रकम निकालने और जमा करने की सख्ती के कारण तीन महीने तक जमाखोरी और कालाबाजारी के आशंकाएं घट गई हैं। सरकार को जमाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी के खिलाफ भी सख्त कानून बनाना चाहिए। बेईमान व्यापारी जमाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी करके आम लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ करते हैं। ऐसे व्यापारी देश के गद्दार है।
देश में नोटबंदी के फैसले के जरिए कालेधन के खिलाफ जंग जारी है इस जंग का मकसद है करप्शन, क्राइम और ब्लैक मनी वाली इकोनाॅमी को खत्म करना। इसके साथ ही एक अन्य मकसद समाज को कैशलेस यानी नकद भुगतान रहित करना भी है हालांकि ये आसान नहीं। भारत में 90 प्रतिशत लोग नकद में खरीदरी करने को प्राथमिकता देते हैं। 500 और 1000 के नोट बंद होने की घोषणा के बाद एटीएम और बैंकों में लगने वाली लंबी कतारें इस बात का सबूत हैं कि इंडिया कैशलेस ट्रंाजैक्शंस के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है शहरों में तो फिर भी आॅप्शन धीरे-धीरे पांव पसार रहा है, लेकिन गांवों और कस्बों में ये अब भी एक पहेली बना हुआ है। विकसित देशों की तरह भारत को भी कैशलेस सिस्टम को सर्वसुलभ बनाने के प्रयास करना चाहिए।
कैसे भारत हो सकता है कैशलेस? क्या हैं कैशलेस होने के फायदे? और इसके लिए किन चुनौतियों का सामना करना होगा? विश्व के बहुत से विकसित देशों ने और विकासशील देशों ने इसे कर दिखाया है। स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस देश बनने की सौभाग्य प्राप्त कर चुका है। यूरोप के अनेक देश भी इसके करीब पहुंच चुके हैं। सोमालीलैण्ड और केन्या जैसे गरीब देश भी इस लिस्ट में शामिल हैं। एशिया में दक्षिण कोरिया सबसे आगे है। अमेरिका 80 प्रतिशत लेनदेन कैशलेस हो रहा है। भारत सबसे युवा देश है उसे तकनीकी से पूरी तरह जुड़कर कैशलेस बनाने का जज्बा तथा जुनून दिखाना चाहिए। कैशलेस देशों की लिस्ट में शामिल होने से भारत से भ्रष्टाचार का उसी अनुपात में खात्मा होगा। कैशलेस होने से सभी प्रकार के लेन-देन आॅन लाइन होने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
मोदी सरकार ने फैसला किया है कि अगले दो साल में देश की 5 लाख राशन दुकानों पर जो इलेक्ट्रानिक प्वांइट आॅफ सेल लगाए जाने है। वे माइक्रो एटीएम की तरह भी काम करेंगे। नोटबंदी के बाद पर्याप्त एटीएम नहीं होने के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को जिस तरह समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उस लिहाज से यह कदम बेहद अहम है। देश में सिर्फ दो लाख एटीएम हैं और इनमें से कुछ ही ग्रामीण इलाकों में मौजूद हैं। भारत में 5.4 लाख से भी ज्यादा की राशन दुकानें हैं इनमें से 1.6 लाख पहले से ही ईपीओएस सिस्टम से लैस हैं। बाकी दुकानों को 2019 तक इन मशीनों से लैस करने की बात हैं। यह एटीएम मशीन को ग्रामीण क्षेत्र में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचाने की अच्छी पहल साबित होगी। अब समय आ गया है कि विश्व की एक न्यायपूर्ण आर्थिक तथा राजनीतिक व्यवस्था बनायी जाये। एटीएम तथा कैशलेश सिस्टम के युग में समृद्धि का लाभ समाज के प्रत्येक अन्तिम व्यक्ति तक सीधे पहुंचाना अब सम्भव हो गया है।
प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
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