क्या अब विश्व की एक आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्था बनानी चाहिए?
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल भर पहले जब पश्चिम एशिया का दौरा किया था। जिनपिंग ने अपनी इस यात्रा के पड़ावों में रियाद और तेहरान के अलावा काहिरा में अरब लीग की बैठक मंे भी वह शामिल हुए थे। चीन अभी तक अपने व्यापारिक हितों के जरिये ही अपनी विदेश नीति को शक्ल देता रहा है। अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक अखाड़े में उतरने के पीछे दरअसल उसकी आर्थिक मजबूरियां हैं। दलील यह दी गई कि चीन पश्चिम एशिया के तेल व गैस पर बड़े पैमाने पर निर्भर है और इनकी अबाध आपूर्ति के लिए इस क्षेत्र की स्थिरता जरूरी है। यह स्थिरता अब तक अमेरिका की निगरानी की वजह से कायम रही है, और अब चूंकि अमेरिका वहां ग्लोबल पुलिस वाले की भूमिका निभाने को इच्छुक नहीं है, तो चीन को शायद यह लगता है कि उसे अपने आर्थिक हितों के लिए अपनी राजनीतिक उदासीनता छोड़नी ही पड़ेगी। चीन ने कहा कि वह वैश्वीकरण के लक्ष्यों की रक्षा करेगा। वहीं अमेरिका के नये राष्ट्रपति ने साफ कर दिया कि उनका एजेण्डा वैश्वीकरण विरोधी और अमेरिका फस्र्ट का है। चीन ने अब तक किसी जटिल अंतर्राष्ट्रीय मसले को सुलझाने की इच्छा या क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है।
विश्व के दो सबसे बड़े औद्योगिक देशों अमेरिका तथा चीन के बीच क्या कोई व्यापारिक युद्ध होने जा रहा है? अमेरिका में टंªप युग के आगाज के बाद दुनिया भर के कारोबारियों में यह चिंता बढ़ने लगी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले भाषण में यह संकेत दिया कि कारोबार, अप्रवासन व बाहरी लोगों से जुड़े अपने एजेंडे से वह पीछे नहीं हटने वाले। वैसे, इस मौके पर चीनी करोबारी यह गुणा-भाग लगा सकते हैं कि व्यापारिक युद्ध की सूरत में उन्हें कितना लाभ होगा और कितनी हानि। विश्व महाशक्तियों को विश्व को केवल बाजार की दृष्टि से ही नहीं वरन् कुटुम्ब की दृष्टि से भी देखना चाहिए। हमें यह बात समझना चाहिए कि अपने देश का हित तभी सुरक्षित रहेगा जब सारा विश्व सुरक्षित रहेगा।
अमेरिकी जनता द्वारा चयनित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हजारों लोगों ने व्हाइट हाउस के समक्ष एवं अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया और इस दौरान हिंसक झड़पों में छह पुलिसकर्मी घायल हो गये जबकि इस सिलसिले में पुलिस ने लगभग 217 लोगों को हिरासत में लिया। इसके बाद भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में प्रदर्शन जारी है। डोनाल्ड ट्रंप के कैबिनेट में अमीरों की भरमार है। एक अखबार के मुताबिक अगर ट्रंप कैबिनेट की संपत्ति को मिला दिया जाए तो यह विश्व के 30 गरीब देशांे की जीडीपी से भी अधिक होगी। राष्ट्रपति ट्रंप को हमारा सुझाव है कि उन्हें अपने देश के अब्राहीम लिंकन जैसे महान राष्ट्रपतियों की सहकार तथा विश्व बन्धुत्व की विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए।
अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति थाॅमस जेफरसन ने वर्ष 1787 में एक पत्र में लिखा था- ‘‘अमरीकियों की बेहतर सोच ही अमरीकी प्रशासन की सबसे बड़ी ताकत होगी। कभी वे रास्ता भटक सकते हैं, लेकिन उनमें खुद को सही रास्ते पर ले आने की योग्यता है। अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए लोगों के सामने हमेशा मीडिया माध्यम होना चाहिए। लोकतंत्र के चार स्तम्भ हैं – विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया। इन चारों स्तम्भों में संतुलन बहुत जरूरी है। अगर यह एक दूसरे का अतिक्रमण करने लगें तो लोकतंत्र ही खतरे में पड़ जाएगा। लोकतंत्र के चारों स्तम्भों को कोई भी निर्णय या समाचार प्रकाशित-प्रसारित करने के पहले यह सोच लेना चाहिए कि उससे समाज के अंतिम व्यक्ति का क्या लाभ होगा? प्रायः मीडिया समाज में जो हो रहा है उसे दिखाता है। लेकिन जो होना चाहिए उसे भी मीडिया को दिखाना चाहिए। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पूर्व राष्ट्रपति थाॅमस जेफरसन की सीख को ध्यान में रखकर सबसे पुराने लोकतंत्र के चारों स्तम्भों का सम्मान करना चाहिए।
ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका और इजरायल के संबंधों में आई खटास को दूर करने की पहल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की और वाशिंगटन आने का न्योता दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी फोन पर बात की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अमेरिका का सच्चा मित्र और सहयोगी बताया है। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़़े रहने और रक्षा-सुरक्षा के लिए एक साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया। वल्र्ड के लीडरों के बीच मधुर संवाद का सिलसिला जारी रहना चाहिए। दुनिया को बेहतर बनाने के लिए महाशक्तियों को परमाणु शस्त्रों की होड़ छोड़कर रोजगार, तकनीकी, शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छ पर्यावरण आदि बुनियादी चीजों पर फोकस करना चाहिए। विश्व की एक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाने के लिए होड़ करना चाहिए। विश्व को प्रदुषण मुक्त, युद्ध मुक्त तथा आतंकवाद मुक्त बनाने के लिए होड़ करनी चाहिए।
पाकिस्तान ने 2200 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली परमाणु मिसाइल अबाबील का सफलतापूर्वक पहला परीक्षण किया। उसका दावा है कि भारत के कई शहर इस मिसाइल के निशाने पर आ जाएंगे। भारत के अग्नि मिसाइल के मुकाबले पाकिस्तानी की अबाबील नहीं ठहरती है। ओडिशा के चांदीपुर में ‘पिनाक’ मल्टी बैरल राॅकेट सिस्टम का दूसरी बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इस बार पिनाक ने दस गुना सटीकता से लक्ष्य भेदा। हमारा विचार है कि मानव जाति को परमाणु बमों के होड़ को विराम देने का समय अब आ गया है। शक्तिशाली भारत को अपनी संस्कृति के अनुरूप वसुधा को कुटुम्ब बनाने के लिए तेजी से प्रयास करना चाहिए। दुनिया को शान्तिपूर्ण ढंग से चलाने के अभी भी मानव जाति के पास विकल्प हैं। परमाणु शस्त्रों की होड़ अन्तिम समाधान नहीं है। आज की युवा पीढ़ी संसार भर में घूमकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना चाहती हैं। अब उन्हें सीमाओं की चारदिवारी से मुक्त करना चाहिए। यह सारी धरती अपनी है, परायी नहीं।
भारत-पाक विभाजन विश्व के इतिहास का सबसे बड़ा बटवारा था। ऐसा कभी नहीं हुआ था, जब लगभग ढाई करोड़ लोगों को बिना उनकी सहमति लिए, ‘उजड़ जाने’ का निर्देश दे दिया गया। सिर्फ दर्जन भर बड़े लोगों ने इस विभाजन का निर्णय लेने में प्रमुख भूमिका निभायी। इस विभाजन की बुनियाद हत्याआंे, चीखों, कत्लों, बलात्कारों और लूटमार से भरी है। कश्मीर से कश्मीरी पंडितों का पलायन भी एक दुखद घटना है। सीरिया आदि देशों में आज भी लाखों बच्चों, महिलाओं, पुरूषों को अपना घर-बार छोड़कर शरणार्थी शिविरों में कष्टमय जीवन गुजारना पड़ रहा है। हम विश्व भर के पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हैं। मानव जाति को संवेदनशील होकर सारे विश्व को चलाने का समय आ गया है।
केरल तमिलनाडु की तुलना में उत्तर प्रदेश तथा बिहार से ज्यादा मजदूर इन दिनों खाड़ी देशों में मजदूरी करने के लिए जा रहे हैं। इसका खुलासा विदेश मंत्रालय के प्रोटेक्टोरेट जनरल आॅफ इमीग्रेंट्स के ताजा आंकड़ों से हुआ है। अगर हमको घर के पास काम का मौका मिले तो कोई विदेश नहीं जाना चाहता है। विदेश में मजदूरी का रूख करने के पीछे कई राज्यों में हाल के दिनों में सूखे की मार पड़ना भी बड़ा कारण है। सरकार तथा निजी संस्थाओं को हर व्यक्ति को घर के पास ही रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना चाहिए। पहले के समय में लोगों का जीवन पूरी तरह से खेती पर निर्भर था। संयुक्त परिवारों में तीन-तीन पीढ़ियां हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करती थी। बढ़ते शहरीकरण के कारण अब खेती के अवसर घटते जा रहे हैं। आधुनिक मशीनें, कम्प्यूटर, रोबोट आदि मनुष्य का स्थान ले रहे हैं। ऐसे समय में विश्व की सरकारों को प्रत्येक वोटर की न्यूनतम मासिक आय निर्धारित करनी चाहिए। जिसे वोटरशिप का नाम दिया जा सकता है। मात्र रोटी के लिए किसी को अपना घर तथा परिवार न छोड़ना पड़े। जो लोग जीवन में वैभव चाहते हैं केवल उन्हें ही देश-विदेश में घूमकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने की खुली छूट होनी चाहिए।
भारतीय मूल की निकी हैली को विश्व की शान्ति की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिकी राजदूत बनाया गया है। वह दक्षिणी कैरोलिना की गवर्नर भी रही हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के 44 वर्षीय अजित पई को संघीय संचार आयोग (एफसीसी) का अध्यक्ष बनाया है। अजित पई नई नेट न्यूटेªलिटी नीति को अमली जामा पहनाएंगे। अजित पई अमेरिका के कई न्यायिक पदों पर रह चुके हैं। भारतीय मूल के लोगों की आज सारी दुनिया में धूम है। दुनिया मानती है कि भारतीय व्यवहार कुशल, मिलनसार, बुद्धिमान, शान्तिप्रिय, प्रगतिशील तथा मेहनती होते हैं। सारे विश्व में वसुधा को कुटुम्ब बनाने के विचार को भारतीय मूल के लोग साकार रूप दे रहे हैं। भारतीय मूल के लोगों के विश्व बन्धुत्व के जज्बे को सारे विश्व में सराहा जा रहा है। शक्तिशाली तथा शान्तिप्रिय भारत ही निकट भविष्य में विश्व में एकता तथा शान्ति स्थापित करेगा।
ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि संसद की मंजूरी के बिना सरकार यूरोपीय संघ से अलग होने (ब्रेग्जिट) की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकती। प्रधानमंत्री थेरेसा ने 12 सूत्रीय एजेंडा पेश करते हुए कहा था कि सरकार मार्च में ब्रेग्जिट की कार्यवाही शुरू करेगी। हमारा विचार है कि लींग आॅफ नेशन्स, संयुक्त राष्ट्र संघ, काॅमनवेल्थ, यूरोपियन यूनियन जैसे वैश्विक संगठन हमें विश्व की एक न्यायपूर्ण आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्था बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। गुफाओं से प्रारम्भ हुई मानव सभ्यता अब अपनी लम्बी विकास यात्रा में मंजिल से अब एक कदम दूर है। हमें कदम पीछे नहीं साहस के साथ आगे बढ़ाकर अब विश्व सरकार, विश्व संसद तथा विश्व न्यायालय के गठन का विश्वव्यापी निर्णय लेना चाहिए। मानव इतिहास में पहली बार सारे विश्व को एक पृथ्वी ग्रह के रूप में अर्थात ग्लोबल विलेज के रूप में देखना सम्भव हुआ है।
प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
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