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संसार के प्रत्येक व्यक्ति को प्रेम, आनंद तथा खुशी बांटे

संसार के प्रत्येक व्यक्ति को प्रेम, आनंद तथा खुशी बांटे

असंभव के विरूद्ध चलने का नियम यह नहीं कि हम यह ठान लें कि एकाएक हम कोई बड़ा काम गुजरेंगे। आॅस्ट्रेलिया के निक वुजिसिक जन्म से ही उनके दोनों हाथ और पैर नहीं हैं। पैर की जगह निकली कुछ उगंलियों की मदद से उन्होंने लिखना सीखा। अकाउंटिंग व फाइनेंस में डिग्री ली और फिर एक कंपनी खोली- एटिट्यूड इज एटिट्यूड। आज वह एक सफल प्रेरक वक्ता है। वे तैराकी करते हैं, फुटबाल भी खेलते हैं। अगर हम किसी असंभव लक्ष्य पर जी-जान से जुटते हैं, तो उसे खोकर भी हम बहुत कुछ जीवन में सीखते हैं। मानव योनि में जन्म लेना ही जीवन का सबसे बड़ा प्रेम, आनंद तथा खुशी है। साथ ही इस मानव शरीर में इस क्षण सांस का चलना सबसे बड़ा आश्चर्य है। किसी समस्या का कारण हमारे अंदर ही होता है तथा उसका समाधान का कारण भी हमारे अंदर ही है। आवश्यकता केवल अपने अंदर की शक्ति को पहचाने की है। जीवन में आने वाली बाधायें सबसे बड़ी शिक्षक हैं। 

ब्रिटेन के हेयरफोर्ड में रहने वाली क्लोए ब्रिजवाॅटर की उम्र भले ही सात साल हो लेकिन बड़ी होकर वह कहां काम करेंगी इसका फैसला उन्होंने अभी से कर लिया है। इसी सिलसिले में उन्होंने ‘गूगल’ प्रमुख सुंदर पिचाई को खत लिखा है और गूगल में काम करने की इच्छा जाहिर की। दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई ने क्लोए को जवाब दिया और लिखा, अच्छी बात है कि तुम्हें कंप्यूटर्स और रोबोट पसंद है। उम्मीद है तुम तकनीक के बारे में पढ़ती रहोगी। मुझे लगता है कि अगर तुम मेहनत करती रही तो तुम गूगल में काम कर पाओगी और ओलिंपिक में तैराकी भी। स्कूल खत्म करने के बाद मुझे तुम्हारी जाॅब एप्लिकेशन का इंतजार रहेगा।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित मैट्सोत्सव-2017 में इंवेंटिवग्रीन कंपनी द्वारा निर्मित ‘आकाश अमृत’ मशीन आकर्षण का केंद्र रही। ‘आकाश अमृत’ एक ऐसी अनोखी मशीन है जो हवा की नमी को सोखकर पानी में बदल देती है। पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ पानी की समस्या के समाधान की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण कदम है। इस मशीन के फायदें भी हैं – जहां पानी नहीं है वहां मशीन कारगर है, तात्कालिक समाधान, शुद्ध पेयजल, कम रखरखाव, काम में आसानी, पर्यावरण के अनुकूल वैकल्पिक ऊर्जा-शक्ति संसाधनों पर चलती है।

पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी जी अपने साप्ताहिक कार्यक्रम के तहत साइकिल पर सवार होकर पुडुचेरी के एक गांव पहुंची। किरण बेदी जी की यह सादगी, स्वास्थ्य जागरूकता तथा सीधे आम लोगों से जुड़ने की अनुकरणीय पहल है। इस पहल से अन्य प्रशासनिक अधिकारियों तथा राजनेताओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। कश्मीर में सेना के जवान ने छह फीट बर्फ में आठ घंटे पैदल चलकर मां का शव कंधे पर लेकर पैतृक गांव पहुंचाया। बीस किलोमीटर की यात्रा के बाद तंगधार स्थित गांव में जवान की मां को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। दिवंगत मां के प्रति प्यार के इस जवान के जज्बे को लाखों सलाम। हमारे जवान देश के असली हीरो हैं।

भारत और ब्रिटेन के बीच विशेष सांस्कृतिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय इस माह के अंत में बर्मिंघम पैलेस में ब्रिटेन-भारत सांस्कृतिक वर्ष का उद्घाटन करेंगी। ब्रिटेन में भारतीय मूल की सबसे वरिष्ठ मंत्री प्रीति पटेल ने इस आयोजन को दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का वास्तविक प्रदर्शन करार दिया है। प्रीति अंतर्राष्ट्रीय विकास विदेश मंत्री हैं। उन्होंने कहा, ’’मेरा ध्यान मानवीय संकटों पर रहा है जो हमारे दिमाग में छाए रहे हैं खास तौर पर सीरिया का संकट।’’

दक्षिण एशियाई देशों, खाड़ी देशों के लोग तो उपचार कराने भारत आते ही हैं साथ ही अमरीका, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में इलाज के लिए भारत आने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत में उपचार अन्य देशों की तुलना में सस्ता भी है। चिकित्सा क्षेत्र के साथ-साथ दवाइयों के क्षेत्र में भी भारत ने अच्छी-खासी महारत हासिल कर ली है। चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में भारत दुनिया के 5 शीर्ष देशों में शामिल है। सस्ती तथा गुणात्मक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की विश्व में बढ़ती लोकप्रियता तथा विश्वास सराहनीय है।

फर्राटा के बादशाह उसेन बोल्ट ने क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लेब्रोन जेम्स जैसे दिग्गजों की पछाड़कर लाॅरियस पुरस्कार समारोह में चैथी बार स्पोटर्समैन आॅफ द ईयर की ट्रॅाफी जीती। महिला वर्ग में खेलों का आॅस्कर कहा जाने वाला यह सम्मान अमेरिकी जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स ने हासिल किया। विश्व के इन दोनों महान खिलाड़ियों के सर्वोच्च खेल जज्बे को लाखों सलाम। वहीं दूसरी ओर इंग्लैंड के पूर्व आफ स्पिनर ग्रीम स्वान का मानना है कि सचिन तेंदुलकर उनकी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर हैं और उन्हें अपनी सर्वकालिक अंतिम एकादश में भी शामिल किया है। टीम में भारत के एकमात्र क्रिकेटर तेंदुलकर है जबकि इंग्लैंड के भी एक ही मौजूदा खिलाड़ी तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन को इसमें जगह दी गई है जो 12वें खिलाड़ी हैं। इस अन्तर्राष्ट्रीय खेल उपलब्धि के लिए सचिन जैसे महान खिलाड़ी तथा एक अच्छे इंसान को सारा विश्व नमन करता है।

लखनऊ शहर के बड़े अस्पतालों में भले ही साफ-सफाई व्यवस्था दुरस्त न हो। डाॅक्टर समय पर मरीज को न देखते हों। महिला उत्पीड़़न की शिकायतें लटकी हों। पर, लखनऊ के निगोहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में मरीजों को बेहतर इलाज व सुविधाएं मुहैया कराने में अव्वल है। निगोहां पीएचसी ने केंद्र सरकार की कायाकल्प योजना के तहत राजधानी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। निगोहां पीएचसी के इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के चिकित्सक तथा उनके सहयोगियों के जज्बे को लाखों सलाम।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्कूलों में छात्रों को भारी बस्ते से जल्द छुटकारा मिल सकता है। नए नियमों में बस्ते का बोझ न्यूनतम रखने की कोशिश की जाएगी। सरकार स्कूलों के लिए मानक बना रही है ताकि बच्चों को सभी किताबें, कापियां रोज स्कूल न लानी पड़े। भारी बस्ते के बोझ तले दबे खोते बचपन को राहत देने की यह एक संवेदनशील पहल है। हम सभी इस कोशिश का हार्दिक स्वागत करते हैं।

आपके पास कोई नई टेक्नोलाॅजी इजात करने का विचार है लेकिन सुविधाओं के अभाव में कार्य नहीं कर पा रहे हैं तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं। आपके सपने को साकार करने के लिए भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) मंच मुहैया कराएगा। इसके लिए आईआईटीआर ने नई प्रयोगशालाएं बनाई हैं। इसमें इनोवेटर के साथ ही शोध छात्र व इंडस्ट्री के लोग वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कार्य कर सकेंगे। जीवन में कुछ नया करने के लिए उत्साह सबसे बड़ी शक्ति तथा निराशा सबसे बड़ी कमजोरी है।

शराब की भी दुकानें क्यों न हों कैशलेस? इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सरकार को यह भी पता चल जाएगा कि सरकार आरक्षण, आर्थिक सहायता, सब्सिडी, फीस में छूट, नौकरियों में छूट, 2 रू. किलो गेहूं, मुफ्त आवास व बीपीएल के लाभ आदि दे रही है उनमें कितने लोग किस तरह शराब पर पैसा खर्च कर रहे हैं। कितने फर्जी लोग जो अपना नाम बीपीएल सूची में सम्मिलित कराये बैठे हैं वे भी स्वतः मालूम चल जाएंगे, क्योंकि प्रतिमाह हजार-डेढ़ हजार रूपया शराब पर खर्च करने वाला गरीबी के फायदे लेने का हकदार कैसे है? इस प्रयास से शराब पीने की आदत पर भी रोक लगेगी। साथ ही जनता के टैक्स से जो पैसा सरकारी खजाने में जमा होता है उसको वास्तविक रूप से गरीब लोगों में बांटा जा सकेगा। इस प्रकार से लोगों के जीवन वास्तविक प्रेम, आनंद तथा खुशहाली आयेगी।

मशीनी तथा रोबोटिक्स युग में सरकार प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार तथा जमीन नहीं दे सकती लेकिन प्रत्येक व्यक्ति को धन बांटा जा सकता है। पूर्व सांसद और पूर्व केन्द्रीय सचिव श्री एन.के. सिंह का कहना है कि एक नागरिक अपनी सरकार से क्या उम्मीद रखता है? यही कि उसकी जान-माल की सुरक्षा हो, उसे भौतिक और सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मिले, साथ ही आर्थिक व राजनीतिक आजादी की गारंटी हो। इसके साथ ही यह हो सकता है कि हर नागरिक को इतनी आमदनी की गारंटी मिले कि वह वंचित न रहे और सम्मान की जिंदगी जी सके। सार्वभौमिक मूल वेतन यानी यूनिवर्सल बेसिक इनकम या यूबीआई की अवधारणा पर देश और दुनिया में काफी चर्चा हुई है। यूबीआई का मतलब है, एक ऐसी आमदनी, जो सबके लिए है और जो बिना किसी शर्त सभी के खाते में पहुंच जाती है। इसके लिए न्यूनतम योग्यता भी नहीं होती। यह सबके लिए है जिसमें किसे शामिल करना है और किसे नहीं, इसकी गलतियों से बचा जा सकता है। यूनिवर्सल बेसिक इनकम का मूल विचार काफी आकर्षक है, लेकिन यह ऐसा रास्ता है, जिसे यथार्थ के धरातल पर भी परखने की जरूरत है, ताकि उन्हें वित्तीय रूप से संभव बनाया जा सके।

हमने विश्वास से ज्यादा संशय को अपने जीवन में महत्व देना शुरू कर दिया है। मामूली सी बात पर हम बरसों पुरानी दोस्ती पल भर में तोड़ देते हैं और नफरत से भर जाते हैं। दोस्ती एकतरफा नहीं होती है, दोनों तरफ से हाथ बढ़ाना पड़ता है। जिग जगलर इससे आगे की बात कहते हैं कि ‘आप दोस्त की तलाश में निकलेंगे, तो दोस्त ढूंढ़ना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन आप दोस्त बनने के लिए निकलेंगे, तो हर जगह दोस्त पाएंगे।’ संसार के प्रत्येक व्यक्ति की सार्वभौमिक आवश्यकता प्रेम, आनंद तथा खुशी है। ऐसे बांटने का कोई भी क्षण तथा अवसर हमें नहीं खोना चाहिए।

कुदरत में हमारे लिए प्रेम, आनंद तथा खुशी भरपूर हैं। धरती में गेहूँ का एक दाना बोया जाता है, धरती उसे कई गुना करके लौटाती हैं। इसी प्रकार हम जितनी प्रेम, आनंद तथा खुशी लोगों में बांटेगे वे कई गुना होकर हमारे पास वापस आयेगी। बाल्यावस्था में हमारे अंदर जो प्रोग्रामिंग, मान्यताओं तथा पैटर्न बना हुआ है उसको तोड़कर हम हर पल प्रेम, आनंद तथा खुशी प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात हमारे अंदर जो चीजें होगी वहीं चीजें हम दूसरे को बांट सकते हैं। हमें तोलू मन के साथ नहीं वरन् सहज मन के साथ जीवन जीना है। रोजाना अपने जीवन को एक नये नजरिये से जीए। हम जो लोगों से चाहते हैं उसे इसी क्षण से लोगों को देना शुरू कर दें।

प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719

क्या अब
हम कैसी