Homeअतिथि पोस्टहमारे अपने विश्व के कुछ अच्छे तथा बुरे हालात!

हमारे अपने विश्व के कुछ अच्छे तथा बुरे हालात!

हमारे अपने विश्व के कुछ अच्छे तथा बुरे हालात!

अमेरिका के अखबार द क्रिश्चियन साइंस माॅनिटर के अनुसार अफ्रीका महादेश समृद्धि की तरफ तेज कदमों से बढ़ रहा है। अफ्रीका महाद्वीप में 54 देश समाहित हैं और जिनमें करीब एक अरब बीस करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। तेल और खनिज पदार्थों के प्रचुर भंडार वाली अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अब भी अपने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से कोसों दूर हैं। इस महादेश ने वर्ष 2017 में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का लक्ष्य तय किया है। अगर यह काम संपन्न हो गया, तो इससे पूरे अफ्रीका में वस्तुओं, सेवाओं और लोगों की आवाजाही काफी तेजी से बढ़ेगी। व्यापार, कृषि और वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में बढ़ते कदम अक्सर सुर्खिया नहीं बनते। लेकिन अफ्रीकी के मामले में उनकी भी अहम भूमिका है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत एवं अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत बनाने वाली साझेदारी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करके उन्हें धन्यवाद दिया और दोनों नेताओं ने दोनों देशों की आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधी साझी प्राथमिकताओं की दिशा में की गई अहम प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत एवं अमेरिका के बीच सामरिक साझीदारी को मजबूत बनाने में योगदान और सहयोग देने के लिए ओबामा को धन्यवाद दिया। बराक ओबामा जैसे शान्तिप्रिय, विनम्र तथा चरित्रवान हस्ती के योगदान को दुनिया कभी नहीं भूल सकती। हमें आशा है कि एक लोकप्रिय वल्र्ड लीडर के रूप में वह मानव जाति का सदैव मार्गदर्शन करते रहेंगे।

व्हाइट हाउस में अपनी आखिरी प्रेस काॅन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में अमेरिका का राष्ट्रपति कोई महिला, हिन्दू, यहूदी या फिर लैटिन अमेरिका समुदाय का हो सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका सबको समान अवसर प्रदान करता है। जिस शख्स में काबिलियत होती है वह अपनी नस्ल और विश्वास को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाता है। राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भाषण में साफ कर दिया कि उनका देश अमेरिका फस्र्ट की नीति पर चलेगा और यही उनकी सरकार का मूलमंत्र होगा। चुनावी वादों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हम अमेरिका में नौकरियां-पूंजी वापस लाएंगे और देश को फिर से महान बनाएंगे। आज हम सभी विश्ववासी वैश्विक युग में जी रहे हैं। केवल अपने देश के हित के लिए ही न सोचकर हमें पूरे विश्व के हित के लिए भी सोचना चाहिए।

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों को धरती के सबसे बेईमान लोग बताते हुये कहा कि उनका मीडिया के साथ ‘‘युद्ध चल रहा’’ है और साथ ही उनके शपथ ग्रहण समारोह में कम लोगों के शामिल होने की गलत रिपोर्टिंग करने के लिए मीडिया को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। ट्रंप ने कहा कि समारोह में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुये थे। आपने उन्हें देखा। लोगों से खचाखच भरे मैदान थे। मैं सुबह उठा, मैंने एक चैनल लगाया और वे खाली मैदान दिखा रहे थे। विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी प्रतिक्रिया संयमित होकर व्यक्त करनी चाहिए। क्योंकि वह करोड़ों लोगों के रोल माॅडल होते हैं। उनकी एक-एक प्रतिक्रिया का असर सारे विश्व पर पड़ता है।

भारत ने चीन को भारत की प्रादेशिक अखंडता का सम्मान करने की नसीहत देते हुए आज कहा कि पाकिस्तान के सहयोग से बनाया जा रहा उसका आर्थिक गलियारा जिस क्षेत्र से गुजरता है, वह भारत का हिस्सा है। विदेश सचिव एस. जयशंकर ने नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित हुए द्वितीय रायसीना संवाद में अपने संबोधन के बाद सवालों के जवाब में चीन को दो टूक शब्दों में कहा कि उसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के मुद्दे पर भारत की संवेदनशीलता को समझना होगा।

पाकिस्तान की दो पार्लियामेंटरी कमेटियों ने एक ज्वाइंट रिजोल्यूशन पास किया है। इसमें भारत से कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में बनाए जा रहे दो हाईड्रो प्रोजेक्ट्स का काम फौरन रोक दे। पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि भारत पानी विवाद सुलझाने के लिए बने कोर्ट के काॅन्स्टीट्यूशन पर सहमति दे। भारत सदैव न्यायप्रिय देश रहा है। भारत ने सदैव कानून का सम्मान किया है। हम आपसी विवादों को समझदारी तथा परामर्श के द्वारा सुलझाने पर विश्वास करते हैं।

पाकिस्तान के कुर्रम एजेंसी में भीड़ भरे सब्जी बाजार में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए। डाॅन आॅनलाइन ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इकरामुल्लाह खान के हवाले से कहा कि पाराचिनार क्षेत्र के भीड़ भरे ईदगाह बाजार में सुबह रिमोट के जरिए बम विस्फोट किया गया। इस आतंकवादी घटना की जितनी निंदा की जाये वह कम हैं। आतंकवादियों से सेना के तरीके से निपटना चाहिए। साथ ही आगे से किसी युवक को आतंकवाद की राह पर जाने की प्रेरणा न मिले इसके लिए हमें अति संवेदनशील क्षेत्रों में युवकों को जीने की सही राह दिखानी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि नीतिनिर्माताओं को असमानता पर अंकुश के लिए अब कार्रवाई करने की जरूरत है। हालांकि लेगार्ड ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में बढ़ती असमानता पर छिड़ी बहस के बीच कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए कोई ‘जादू की छड़ी’ नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि नीति निर्माता नहीं सुनते हैं तो मैं नहीं कह सकती कि क्या किया जा सकता है। सभी क्षेत्रों में समता की नीति अपनाकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। अपना अपना करो सुधार तभी मिटेगी असमानता की सामाजिक बुराई।

दुनिया के आठ सर्वाधिक धनाढ्य लोगों के पास दुनिया की आधी आबादी से ज्यादा दौलत है। परोपकारी संगठनों के वैश्विक परिसंघ आॅक्सफेम की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। संगठन ने बताया कि दुनिया के आठ सबसे अमीर लोगों के पास कुल 426 अरब डाॅलर (करीब 29, 032 अरब रूपये) हैं। वहीं, दूसरी ओर दुनिया की आधी आबादी यानी करीब तीन अरब 60 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति 409 अरब डाॅलर (लगभग 27,873 अरब रूपये) है। सोचे लोकतांत्रित व्यवस्था के युग में कुछ गिनती के व्यक्ति का इस तरह से अमीर बनते जाना क्या सही है? गरीब और अमीर का अन्तर संतुलित होना चाहिए।

वैश्वीकरण का लाभ केवल दुनिया के धनी लोगों को ही मिलने को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के सबसे धनी उद्योगपति मुकेश अंबानी ने खुली बाजार अर्थव्यवस्था का पक्ष लिया और कहा कि संपत्ति सृजन को रोका नहीं जाना चाहिये क्योंकि समाज में संपत्ति वितरण के लिये संपत्ति सृजन जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत चैथी औद्योगिक क्रांति के लिये तैयार है। भारत की आबादी 1.3 अरब। देश की कुल संपत्ति 3.1 लाख करोड़ डाॅलर। इसके बावजूद यहां अमीरों और गरीबों के बीच की खाई चैड़ी होती जा रही है। गरीबी उन्मूलन के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन आॅक्सफैम ने एक रिपोर्ट जारी की है। यह बताती है कि केवल एक फीसद अरबपति देश की आधी से ज्यादा दौलत के मालिक हैं। हमारा मानना है कि जिस प्रकार गरीबी की सीमा रेखा निर्धारित की गयी है उसी प्रकार अमीरी की सीमा रेखा निर्धारित की जानी चाहिए। किसी अमीर को इतना अमीर बनने से कानून बनाकर रोकना चाहिए कि कहीं वह देश की सारी दौलत का मालिक बन जाये। गरीब-अमीर के बीच इतनी बड़ी असमानता लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। संसार के संसााधनों पर इसमें पलने वाले प्रत्येक जीव का अधिकार होना चाहिए।

भारत के बिहार प्रान्त के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि शराबबंदी और नशामुक्ति के समर्थन में आयोजित राज्यव्यापी मानव श्रृंखला में तीन करोड़ से अधिक लोगों ने शामिल होकर इतिहास रच दिया है। नशा मुक्त बिहार के संकल्प के साथ बिहार में 21 जनवरी को दोपहर 12.15 से एक बजे तक राज्यव्यापी मानव श्रृंखला बनी। इसमें राज्य के तीन करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है। 11 हजार 400 किलोमीटर से ज्यादा लंबी मानव श्रृंखला बनी। सचमुच यह शराब की खिलाफ अपने आप में एक ऐतिहासिक प्रदर्शन है। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार तथा बिहारवासियों के इस फैलादी जज्बे को लाखों सलाम। यह एक सच्चाई है कि शराब की लत ने लाखों परिवार की जिन्दगी को नरक बना रखा है। हमें मिलकर ऐसा वातावरण बनाना चाहिए कि जिससे शराब के लती व्यक्ति को अंदर से इस जानलेवा आदत से लड़ने की शक्ति मिले। हमारा यह भी सुझाव है कि सारे देश में शराबबंदी लागू की जानी चाहिए।

27 वर्ष से अपने ही देश भारत में कश्मीरी पंडितों के शरणार्थी बनने की मौन पीड़ा को अनुपम खेर ने अपनी कविता ‘‘फैलेगा हमारा मौन’’ द्वारा हमारे सामने प्रस्तुत किया है। मानवाधिकार, संवैधानिक अधिकार और न जाने किस-किस प्रकार की प्रचारित स्वतंत्रताओं के बावजूद कश्मीरी पंडितों के लिए सब कुछ मानों बेमानी सा लगता है। पहली नजर में जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा कश्मीरी पंडितों और पलायन करने वाले दूसरे समुदायों की वापसी का प्रस्ताव पारित करना स्वागतयोग्य है। वर्ष 1990 को 60 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया था। सच कहा जाए, तो उसी दिन से कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की नई शुरूआत हुई थी। कश्मीरी पंडितों, सिक्खों और कम संख्या में ही सही, कुछ उदारवादी मुसलमानों को भी घाटी का परित्याग करना पड़ा था। इन पीड़ितों को अपने मकान तथा जमीन सस्ते दामों में बेचकर जाना पड़ा था। इन सभी का सब कुछ देखते-देखते उजड़ गया।

धरती अपनी ही, परायी नहीं। हमें इस सारी वसुधा को अपने कुटुम्ब के सदस्य की तरह समझना चाहिए। कोई देश संविधान तथा कानून से चलता है। हमें अपने अनूठे संविधान तथा कानून का सम्मान करना चाहिए। वर्तमान में विश्व को न्यायपूर्ण ढंग से चलाने का हमारे पास कोई विश्व का संविधान नहीं है। विश्व में शांति शस्त्रों से नहीं बल्कि प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों से आयेगी। भारत जैसे शक्तिशाली देश को दुनिया की एक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाने की पहल करनी चाहिए। विश्व के प्रत्येक बालक को बाल्यावस्था से नियमों तथा कानून के पालन की शिक्षा परिवार, स्कूल तथा समाज में मिलनी चाहिए। ताकि वह बड़े होकर विश्व के स्वतः कानून का पालन करने वाले एक अच्छे नागरिक बन सके। सभी धर्मों का सन्देश है कि ईश्वर एक है, धर्म एक है तथा मानव जाति एक है। विश्व एक देश बनेगा तथा हम सभी उसके विश्व नागरिक।

प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719

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