दुनिया को बेहतर लौटाने की कोशिश हमारी होनी चाहिए!
राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले ओमप्रकाश डूडी का चयन एमबीबीएस में हुआ था। वह पढ़ाई के लिए महाराष्ट्र के शोलापुर मेडिकल कालेज पहुंचे। यहां अपनी सहपाठी स्नेहा से उनका मिलना हुआ और दोनों में प्यार हो गया। 2006 में डा0 ओम की तबीयत खराब हुई तथा डाक्टरों ने कहा कि उनकी किडनियां खराब हैं। 2007 में ओम की किडनी का ट्रांसप्लांट हुआ जो उसकी मां ने दी थी। स्नेहा ने 2009 में डा. ओम से लव मैरिज कर ली। पति की दूसरी किडनी खराब होने के कारण डाॅ0 स्नेहा ने तय किया कि अब अपने सुहाग पर आए संकट के लिए वह खुद आगे आएंगी। स्नेहा ने 6 फरवरी 2017 को अपने पति डाॅ0 ओमप्रकाश को किडनी दे दी। स्नेहा की एक किडनी ओम के शरीर में है। यह पति-पत्नी के प्यार के एक अनुकरणीय मिसाल है।
मध्य प्रदेश के दमोह में गरीबी के कारण जब लक्ष्मीप्रसाद मिस्त्री ‘रमा’ की पत्नी खिलौना बहू ने तेज बुखार के कारण दम तोड़ दिया, तो उन्होंने पत्नी के अंतिम संस्कार के बाद संध्या बेला में उसकी याद में कुछ ऐसा करने की ठानी की वह हमेशा हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। पत्नी की याद में हटा के मुक्तिधाम में वर्ष 1921 को बनाया गया यह स्मारक पति का पत्नी के प्रति अपार प्रेम दर्शाता है। पेशे से निर्माण मिस्त्री रमा ने इस स्मारक के चारों ओर हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत भाषा में पंक्तियां अंकित की हैं। वहीं ग्वालियर में पत्नी की रोज-रोज की प्रताड़ना से तंग आकर तलाक के लिए अदालत पहुंचे पति ने वेलेन्टाइन डे से एक दिन पहले तीन बच्चों की खातिर पत्नी से समझौता कर लिया।
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने उन्नीसवीं शताब्दी में स्त्रियों की दुर्दशा देखकर इस विषय का अत्यन्त गहन अध्ययन किया। उनकी प्रेरणा से नारी शिक्षा और सुरक्षा के प्रति समर्पित डीएवी आंदोलन आज भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इमरान खान का जन्म राजस्थान के अलवर जिले के खरेदा गांव में हुआ था। वह स्कूल के दिनों से ही वैज्ञानिक बनना चाहते थे। वह वैज्ञानिक तो नहीं बन सके, लेकिन वह टीचर बन गये। दो वर्षीय टीचिंग कोर्स करने के बाद वर्ष 1999 में सरकारी स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गई। इमरान खान ने हिन्दी भाषा में शैक्षिक ऐप्स बनाए हैं। उनका मानना है कि अपनी भाषा में पढ़ने में बच्चे सहज महसूस करते हैं और वह उनके लिए हिन्दी में शैक्षिक ऐप्स बनाते हैं। अब तक वह 65 शैक्षिक ऐप्स और सौ से अधिक वेबसाइटें बना चुके हैं। लाखों बच्चे उनके शैक्षिक ऐप्स तथा वेबसाइटों से अपने ज्ञान का बेहतर बनाने का लाभ उठा रहे हंैं।
सफलता न तो समय की मोहताज होती है और न ही उम्र की। दुनिया में आज बहुत से ऐसे युवा उद्यमी हंै, जिन्होंने स्कूल के दिनों में अपना बिजनेस शुरू किया और देखते ही देखते दुनिया के शीर्ष बिजनेस मैन की सूची में शामिल हो गए। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। ये पंक्तियां उन लोगों को समर्पित हैं जिन्होंने जीवन के संघर्ष में विजयी होकर विभिन्न परिस्थितियों में नवीन सृजन किया है। ऐसे लोगों ने सामने आकर स्वयं का और समाज का नेतृत्व किया है। इन युवा पीढ़ी में सोशल मीडिया फाउंडर बाॅबी मर्फी, ब्रांडिंग किंग फरयाद एसिडवाला, मेडिकल प्रोफेशनल एलिजाबेथ एनी होम्स, ऐप डेवलपर राॅबर्ट मोजाह ब्रिजेज, कुकिंग एक्सपर्ट लीजा मैरी, टाॅप कंसल्टेंट कैमरून जाॅनसन आदि शामिल हैं।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी जावेद अख्तर साहित्य के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। बेहद-चढ़ाव भरी जिंदगी जीने वाले जावेद अख्तर ने जीवन की सच्चाइयों को बहुत करीब से देखा, सुना तथा जाना है। कभी अच्छे या बुरे की शिकायत न करने वाले जावेद अख्तर हमेशा दुनिया को बेहतर लौटाने की कोशिश करते रहे हैं। बुलंदियों के इस दौर में भी उनकी सहानुभूति पिछड़े, गरीब लोगों के प्रति रही है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्मे जावेद अख्तर के पिता जाने-माने प्रगतिशील कवि व माता उर्दू की लेखिका तथा शिक्षिका थीं।
कश्मीर के जिला बलगाम के युवक नजीर अहमद लोन ने न कौम को आड़े आने दिया और न ही इलाकाई
संबंधों को। यहां तक कि भ्रष्ट अफसरों ने नजीर पर आतंकवादी होने का झूठा आरोप तक लगा कर इस कश्मीरी युवक को दबाने की कोशिश की। अपनी ही कौम के लोगों ने धमकाया-बरगलाया लेकिन यह आठवीं पास युवक नजीर अहमद लोन नहीं रूका। कश्मीर घाटी के गांव से आरटीआई लगाई और खोलता चला गया अपनी ही कौम के अफसरों की पोल। शाॅल बेचकर अपने परिवार का गुजर-बसर करने वाले नजीर बताते हैं कि बाहर के दुश्मनों से लड़ना कई बार आसान होता है लेकिन अपने ही लोगों से लड़ना बहुत कठिन होता है।
लखनऊ में सिटी बस में तैनात संविदा ड्राइवर तथा कंडक्टरों की मजदूरी एक दिहाड़ी मजदूर से भी कम है। वजह बसों की खराबी और जाम की वजह से ड्राइवर और कंडक्टरों की प्रतिदिन की मजदूरी 50 से 100 रूपये तक पहंुच गई हैं। जिन चालक और परिचालकों को महीने में दस से 12 हजार रूपये मिलता था वहीं अब उनकी कमाई घटकर दो से तीन हजार रूपये तक पहुंच गई। ऐसे में चालक और परिचालक श्रम कानून के तहत न्यूनतम वेतन देने के साथ ही सिटी बस प्रबंधन से फिक्स वेतन की गुहार लगा रहे हैं। जाम में वायु प्रदुषण से दिनभर जुझते हुए जनता को आवागमन सुविधा उपलब्ध कराने वाले संविदा ड्राइवर तथा कंडक्टरों के साथ यह एक बड़ा अन्याय है। सरकार को तथा प्रशासन को चालक और परिचालक को न्यूनतम वेतन देने के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर विदेशों की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश रोडवेज बसें साफ-सुथरी नजर आएंगी। बस के अंदर गंदगी नहीं मिलेगी। रोडवेज के एएमडी राम गणेश ने चार्ज संभालते ही यह निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश रोडवेज के इस जज्बे के लिए हार्दिक बधाइयां। बस यात्रियों को प्राथमिकता के आधार पर साफ-सुथरी तथा सुरक्षित बुनियादी सुविधायें तो मिलना ही चाहिए। स्वच्छता तथा सुरक्षा हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।
राजधानी लखनऊ में जहां मेट्रो रेल का जाल फैल रहा है वहीं शहर से चंद किलोमीटर दूर मोहनलालगंज तहसील के दीवानगंज गांव के लोग आज भी बांस के पुल से नाला पार कर रहे हैं। इसी पुल के सहारे वह अपने खेतों तक पहुंचते हैं। इसी पुल से आस-पास गांव के ग्रामीण भी मोहनलालगंज कस्बे तक आते हैं। बरसात के दिनों में लकड़ियां सड़ जाने पर ग्रामीण चंदा लगाकर इसे ठीक कराते हैं। सरकार को ग्रामीण की इस समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाना चाहिए। ताकि विशेषकर स्कूल-कालेज जाने वाली बेटियों को इस कष्ट से स्थायी छुटकारा मिले।
दुनिया की सबसे ज्यादा वजन वाली महिलाओं में से एक 500 किलो की मिस्र की 36 वर्षीय ईमन अहमद अब्दुलाती को बैरियामीट्रिक सर्जरी के लिए विमान से मुम्बई में लाया गया। इलाज के लिए मुम्बई के सैफी अस्पताल में इन दिनों भर्ती है। हम इस बेटी के दुःख में उसके साथ हैं। भारत से वह शीघ्र स्वस्थ होकर जायेगी ऐसा हमारा विश्वास है। इस मामले में विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की भूमिका सराहनीय है। ईमन अहमद का इलाज करने वाले भारतीय डाक्टरों की टीम को हार्दिक शुभकामनायें। दक्षिण एशियाई देशों, खाड़ी देशों के लोग तो उपचार कराने भारत आते ही हैं साथ अमरीका, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में इलाज के लिए भारत आने वाले लोागों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत में उपचार अन्य देशों की तुलना में सस्ता भी है।
अमेरिका के लाॅस एंजिलिस में यो यो मा के साथ संदीप दास की जुगलबंदी को ग्रैमी पुरस्कार मिला है। बीएचयू के गोल्ड मेडलिस्ट दास सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत श्रेणी में ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाले यो यो मा के सिल्क रोड एनसेम्बल के एलबम ‘सिंग मी होम, का हिस्सा थे। वहीं लंदन में फिल्म ला-ला लैंड में अभिनय के लिए भारतीय मूल के ब्रिटिश अभिनेता देव पटेल ने सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का बाफ्टा पुरस्कार हासिल किया। फिल्म स्लमडाॅग मिलियनेयर से चर्चित हुए देव इसी फिल्म में अभिनय के लिए आॅस्कर अवार्ड का नामांकन भी हासिल कर चुके हैं। वहीं लखनऊ की श्वेता दीक्षित ने मिसेज इंडिया इंटरनेशनल का ताज अपने नाम कर लिया। थाईलैण्ड में आयोजित हुए मिसेज इंडिया इंटरनेशनल सौंदर्य प्रतियोगिता के फाइनल राउण्ड में प्रिंस आॅफ थाईलैण्ड ने उनके नाम की घोषणा कर ताज पहनाया।
भारत ने अंतरिक्ष में दुनिया को पछाड़ने का कीर्तिमान बनाया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक ही राॅकेट से रिकाॅर्ड 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रचा दिया। इसरो को सिर्फ एक सफल अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं, वह पूरे देश के लिए एक रोल माॅडल है। इसरो के कामकाज में हमें जो जज्बा दिखाई देता है, आगे बढ़ने के लिए पूरे देश को उसी जज्बे की जरूरत है। इन भारतीय वैज्ञानिकों की जितनी प्रशंसा की जाये वह कम हैं। वह दिन दूर नहीं जब इंसान पृथ्वी के बाहर ब्रह्माण्ड में किसी ग्रह में बसने तथा जीवन की खोज करने में सफल होगा। मनुष्य के रूप में हमारा धरती पर जन्म होना ही अपने आपमें सबसे बड़ा सौभाग्य है। इसके अलावा इस शरीर में जीवित रखने वाली सांस का चलना सबसे बड़ा आश्चर्य है। कुदरत ने इंसान के लिए भरपूर चीजें दे रखी हैं। एक गेहूँ का दाना बोने से कुदरत कई गुना हम वापिस करती है। कुदरत से सीख लेकर हमें दुनिया को बेहतर लौटाने की कोशिश हर पल करनी चाहिए।
प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719